दुग्ध वितरण आंकड़े बता रहे योजना हो गई फ्लाप : मिड-डे मील में हर बुद्धवार को बच्चों को दूध देने की कही गयी बात
कानपुर । मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी मिड डे मील के अंतर्गत बुधवार को कभी सभी स्कूलों में दूध का वितरण नहीं हो सका। ये हम नहीं कह रहे। विभाग की ओर से जारी आंकड़े ही हकीकत बयां कर रहे हैं। अफसरों ने सीएम का हस्तक्षेप होने के बावजूद इस कार्यक्रम की धज्जियां उड़ा कर रख दीं। अफसरों के पास न तो संसाधन की कमी थी और न सुविधाओं की। इसके बावजूद 15 जुलाई से शुरू हुए कार्यक्रम में चार नवंबर तक किसी भी बुधवार को सभी 2496 विद्यालयों में दूध का वितरण नहीं हुआ। ग्रामीण क्षेत्रों में दूध वितरण की जिम्मेदारी प्रधानों की है तो नगर क्षेत्र में जिम्मेदारी संस्थाओं और उनकी मानीट¨रग करने वाले विभागीय अफसरों की है। मगर न तो अफसर इस कार्यक्रम के प्रति गंभीर हुए और न ही ग्राम प्रधान और संस्थाएं। जब जब अफसरों से इस बाबत पूछा गया कि आखिर जब कम दूध का वितरण हुआ तो क्या कार्रवाई की गयी? तो उनका रटा रटाया जवाब था कि संबंधित ग्राम प्रधान और संस्था का उस दिन का पेमेंट रोका जायेगा। मगर इसके उलट किसी ने ये प्रयास नहीं किया कि हर विद्यालय में दूध का वितरण हो सके।
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ये है हकीकत:
तिथियां वितरण के स्कूल
15 जुलाई- 1489
22 जुलाई- 1545
5 अगस्त- 1983
12 अगस्त- 1994
26 अगस्त- 2009
2 सितंबर- 2004
9 सितंबर- 2048
23 सितंबर- 1929
30 सितंबर- 1891
7 अक्टूबर- 1951
14 अक्टूबर- 1701
23 अक्टूबर- 1546
28 अक्टूबर- 1655
4 नवंबर- 1575
(आंकड़े बीएसए कार्यालय के मिड डे मील विभाग के मुताबिक हैं।)
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नगर क्षेत्र में दूध वितरण न होने की सूचना पर खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से संस्थाओं को नोटिस दिया जाता है। बाकी जहां कमी होती है वहां नियमानुसार कार्रवाई की जाती है।
-विष्णु प्रताप सिंह, बीएसए
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