तुमने पत्तों को छुआ, जड़ को हिलाकर रख दिया : हाईकोर्ट ने मंत्रियों, जजों और अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाने का कानून बनाने का आदेश देकर माहौल ही बदल दिया
लखनऊ। हाईकोर्ट ने मंत्रियों, जजों और अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाने का कानून बनाने का आदेश देकर माहौल ही बदल दिया है। ज्यादातर लोग इसे न सिर्फ अभूतपूर्व बल्कि अमीर-गरीब को एक समान शिक्षा के लिहाज से क्रांतिकारी मान रहे हैं। पर, कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें इस फैसले से अपना रुतबा घटने का खतरा दिखाई देने लगा है। फैसला कोर्ट का है, सो खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहे। भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने कोर्ट के फैसले पर इस अंदाज में प्रतिक्रिया दी-
क्या गजब की उंगलियां थी, क्या गजब अंदाज था,
तुमने पत्तों को छुआ, जड़ को हिलाकर रख दिया।
जागी सरकार, दिए स्कूलों के मुआयने के निर्देश
डीआईओएस और बीएसए हर महीने 25 स्कूलों का करेंगे दौरा
शिक्षा के क्षेत्र में समानता होनी चाहिए। पर, वर्तमान में जो व्यावहारिक परिस्थितियां हैं, उनमें यह कैसे संभव हो, इसके लिए हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जाएगा।- राजेन्द्र चौधरी, राजनीतिक पेंशन मंत्री व सपा प्रवक्ता
सपा ने हमेशा समान शिक्षा की वकालत की है। आदेश का पालन तभी संभव है, जब एक जैसे स्कूल हों। प्रदेश सरकार प्राइमरी शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए ठोस काम कर रही है। -रामगोपाल यादव, सांसद व राष्ट्रीय महासचिव सपा
सूबे की बदहाल शिक्षा-व्यवस्था पर हाईकोर्ट ही नहीं, सुप्रीमकोर्ट तक की नजर है। यदि सरकार ने ऐसे फैसले पर भी अपील की तो वहां से भी राहत मिलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
- नसीमुद्दीन सिद्दीकी, नेता प्रतिपक्ष विधान परिषद
अध्ययन करने के बाद लेंगे निर्णय : महाधिवक्ता
कोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। इसके हर पहलू पर विचार करने के बाद निर्णय लिया जाएगा कि सरकार स्पेशल अपील करेगी या आदेश को लागू करेगी। तत्काल कोई निर्णय लेना जल्दबाजी होगा, इसलिए फैसले के हर पहलू पर गौर कर लेना चाहते हैं।
-विजय बहादुर सिंह, महाधिवक्ता
निर्णय की प्रति आने के बाद न्याय विभाग परीक्षण करेगा। फिर सरकार तय करेगी कि क्या करना है?
- आलोक रंजन, मुख्य सचिव
परिषदीय स्कूलों की बदहाल शिक्षा व्यवस्था मिड-डे-मील तक सीमित है, जिसमें बच्चों को हाथ में कटोरा पकड़ा दिया गया है। पढ़ाई-लिखाई बिल्कुल नहीं हो रही है। जूनियर हाईस्कूलों में 15 हजार, प्राइमरी स्कूलों में दो लाख शिक्षकों की कमी है। ऐसे भी स्कूल हैं जहां एक-एक शिक्षक के पास दो-दो स्कूलों का प्रभार है। - स्वामी प्रसाद मौर्य, नेता बसपा विधानमंडल दल
यह बुनियादी शिक्षा में सुधार के लिए अच्छा फैसला है। इससे प्राथमिक शिक्षा की क्वालिटी में सुधार होगा। -बीएन रंजन, महासचिव उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ
सरकारी तंत्र से जुड़े अफसरों व जनप्रतिनिधि बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजेंगे तो स्वाभाविक रूप से पढ़ाई की व्यवस्था सुधरेगी। -अशोक गांगुली, पूर्व अध्यक्ष्ा, सीबीएसई
न्यायालय के निर्णय की भावना पवित्र है। सरकार को इसे लागू कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- गोपाल टंडन, विधायक भाजपा
सरकार को इसे लागू करने में देरी नहीं करनी चाहिए। अफसरों के चक्कर में फंसकर फैसले के खिलाफ अपील करने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।
- डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी प्रदेश अध्यक्ष भाजपा
सरकार को अपील में नहीं जाना चाहिए। विधानसभा में सर्वदलीय प्रस्ताव लाना चाहिए और सभी दलों को खुले मन से इसका समर्थन करना चाहिए।
-डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल, मुख्य सचेतक
न्यायालय ने समाजवादी सरकार को सालों के सपने ‘एक समान शिक्षा’ के लिए कानून बनाने का सुनहरा अवसर मुहैया करा दिया है।
-सुरेश खन्ना नेता भाजपा विधानमंडल दल
सरकारी स्कूलों का स्टैंडर्ड सुधारकर बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए। सरकार को अपील के बजाय स्कूलों की दशा सुधारनी चाहिए।
- प्रदीप माथुर, नेता कांग्रेस विधानमंडल दल
छह माह इंतजार क्यों? सरकार को फैसले को लागू करने के लिए आज से ही काम शुरू कर देना चाहिए।
- हृदयनारायण दीक्षित, नेता भाजपा विधान परिषद
नेताओं, अफसरों, जजों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे तो ये स्कूल तत्काल अफसरों की प्राथमिकता में आ जाएंगे और हालत सुधरेगी। - गजाला लारी, विधायक सपा
सरकारी स्कूल इसलिए बदहाल हुए क्योंकि अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। यह फैसला वैसे ही है जैसे गोली से असर नहीं होता है तो डॉक्टर इंजेक्शन देता है। यह इंजेक्शन वाला फैसला है।
- आनंद सिंह, पूर्व कृषि मंत्री
हाईकोर्ट संविधान का निर्माता नहीं है, जो तय करेगा कि बच्चा कहां पढ़ेगा। इस पर तो अंग्रेज भी पाबंदी नहीं लगा सके थे। -आलम बदी, सपा विधायक
जो काम सरकारें न कर सकीं, वह न्यायालय ने कर दिखाया। मुझे नहीं लगता कि सरकार को इस निर्णय के खिलाफ किसी अपील और दलील के चक्कर में पड़ना चाहिए।
- देवेन्द्र प्रताप सिंह, एमएलसी सपा
अफसर, नेता, जज-जब सिस्टम के सभी पहरुए इन स्कूलों से बतौर अभिभावक जुड़ जाएंगे तो स्कूलों की बदहाली दूर होने में देर नहीं लगेगी। - हरिओम पांडेय, सांसद भाजपा
यह हम तय करेंगे कि बच्चों को कहां पढा़एं। इसे किसी पर थोपा नहीं जा सकता। बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ेगा, तो फ्यूचर कैसे बनाएगा। अच्छे इंस्टीट्यूट में कौन पढ़ेगा।
-संजय जायसवाल कांग्रेस विधायक
लखनऊ (ब्यूरो)। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने मंत्रियों, जजों और अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ने संबंधी हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद बुधवार को जिला विद्यालय निरीक्षकों व बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे हर माह कम से कम 20 से 25 स्कूलों का निरीक्षण करें। इसके बाद वे निदेशालय के माध्यम से शासन को जांच रिपोर्ट भेजें। मुख्य सचिव ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान यह निर्देश दिए।
उन्होंने जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे निरीक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित कराएं। हर माह विद्यालयों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। उन्होंने प्राथमिक विद्यालयों में दो सेमेस्टरों के साथ छमाही व वार्षिक परीक्षाएं कराने के निर्देश दिए ताकि छात्रों की परफार्मेंस की जानकारी हो सके। प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की स्कूल डायरी में छात्रों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।
...इन्होंने तो कर दी स्पेशल अपील की सिफारिश ः
मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने फैसले के खिलाफ स्पेशल अपील दाखिल करने की महाधिवक्ता से सिफारिश की है। मुख्य स्थायी अधिवक्ता उपाध्याय का कहना है कि कोर्ट के निर्णय के कानूनी पहलुओं पर विचार करने के बाद उन्होंने अपनी सिफारिश भेजी है।
....तानों के कारण कॉन्वेंट में डाला था, बच्चे वहां फेल हो गए
विश्वविद्यालय के शिक्षकों और महिलाओं के तानों के कारण बच्चों को सरस्वती शिशु मंदिर से निकालकर कान्वेंट डालना पड़ा, लेकिन बच्चे वहां फेल हो गए। अपील करने के बजाय सरकार को इसे तत्काल लागू करना चाहिए।
-अनुग्रह नारायण सिंह
कांग्रेस विधायक, इलाहाबाद
खबर साभार : अमरउजाला
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