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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

प्रमोशन में आरक्षण का लाभ पाए कर्मचारियों को पदावनत (रिवर्ट) करने का अहम फैसला : यूपी सरकार ने गुपचुप तरीके से सिंचाई विभाग से शुरूआत करते जारी किया आदेश-

सिंचाई विभाग के 30 इंजीनियर होंगे पदावनत : सुप्रीम कोर्ट में छह अप्रैल को अवमानना याचिका पर होगी सुनवाई-

लखनऊ। सिंचाई विभाग में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 30 इंजीनियरों की पदोन्नतियां वापस होंगी। इनमें तीन मुख्य अभियंता व 27 अधीक्षण अभियंता शामिल हैं। यह वे अभियंता हैं जिन्हें नवंबर 1997 के बाद प्रमोशन में आरक्षण का लाभ देते हुए प्रमोशन दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अवमानना याचिका से बचने के लिए सरकार यह कदम उठाने जा रही है। प्रमुख सचिव कार्मिक राजीव कुमार ने प्रमुख सचिव सिंचाई को इस बाबत लिखा है।

कार्मिक विभाग से पत्र आने के साथ ही सिंचाई विभाग ने ऐसे अभियंताओं की सूची तैयार कर ली है।

सुप्रीम कोर्ट में छह अप्रैल को अवमानना याचिका पर सुनवाई होनी है। यह अवमानना याचिका विभाग के ही अभियंताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। सरकार छह अप्रैल से पहले सिंचाई विभाग में हुए एससी व एसटी इंजीनियरों के प्रमोशन को रद्द कर सुप्रीमकोर्ट में हलफनामा लगाएगी। यानी मुख्य अभियंता फिर से अधीक्षण अभियंता हो जाएंगे, जबकि अधीक्षण अभियंता फिर से अधिशासी अभियंता बन जाएंगे।

दरअसल, प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ 27 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। इससे पहले नवंबर 1992 में इंदिरा साहनी वाले केस में भी यह कहा गया था कि सरकार को यदि आरक्षण देना है तो उसके लिए संविधान संशोधन कर ले। इसके लिए पांच वर्ष का समय भी तय किया था। लेकिन पांच साल में यह कार्यवाही नहीं हो सकी।

इसी बीच वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने एक नियमावली बनाकर प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था कर दी। इसके तहत एससी व एसटी कर्मचारियों को 23 प्रतिशत आरक्षण दिया जाने लगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे 27 अप्रैल 2012 को नियम विरुद्ध करार दिया। ऐसे में प्रमोशन में आरक्षण के आधार पर नवंबर 1997 के बाद जितने भी प्रमोशन हुए हैं वह अवैध माने गए। सिंचाई विभाग में ऐसे 30 अभियंता प्रमोशन पाए हैं। अब सरकार इन्हें पदावनत करने जा रही है। इनकी फाइल बनकर तैयार हो गई है। इसे मुख्यमंत्री की अनुमति के लिए भेजा गया है। एक-दो दिनों में इस पर फैसला होने की उम्मीद है।


         खबर साभार : अमरउजाला

प्रमोशन में आरक्षण का लाभ पाए कर्मचारियों को पदावनत (रिवर्ट) करने का अहम फैसला : यूपी सरकार ने गुपचुप तरीके से सिंचाई विभाग से शुरूआत करते जारी किया आदेश-

लखनऊ | प्रदेश सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण का लाभ पाए सिंचाई विभाग के कार्मिकों को पदावनत (रिवर्ट) करने का अहम फैसला लिया है। इस दायरे में वे कर्मचारी और अधिकारी होंगे जो 15 नवंबर 1997 के बाद व 28 अप्रैल 2012 से पहले प्रमोशन में आरक्षण का लाभ पा चुके हैं।

आर्थिक नुकसान नहीं:-

हालांकि, रिवर्ट हुए कर्मचारियों व अधिकारियों के आर्थिक नुकसान का सरकार ने खयाल रखा है। उन्हें तब तक वेतन व महंगाई भत्ता उनके उच्च पद के हिसाब से मिलता रहेगा, जब तक संशोधित वरिष्ठता सूची के मुताबिक उनके वरिष्ठ कर्मी का वेतन, उनके बराबर न हो जाए।

6 को सुनवाई:-

प्रदेश सरकार ने फिलहाल यह फैसला सिंचाई विभाग में लागू करने का आदेश जारी किया है। वह भी गुपचुप तरीके से। उच्चस्तरीय सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में सिंचाई विभाग के अधिकारी द्वारा दाखिल अवमानना याचिका पर इसी छह अप्रैल को सुनवाई होनी है। संभवत: सरकार ने फौरी कदम उठाते हुए सिंचाई विभाग के लिए यह आदेश जारी कर दिया। ताकि अदालत में सरकार इस बारे में जानकारी दे सके।

मिलते रहेंगे भत्ते :-

मुख्य सचिव आलोक रंजन ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि जो कार्मिक पदानवत होंगे, उन्हें कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा। उन्हें मूल वेतन, महंगाई भत्ता, व दूसरे भत्ते नियत वेतन के रूप में मिलते रहेंगे। जहां तक बाकी विभागों का मसला है, उसे केस टू केस देखा जाएगा।

इस फैसले से प्रदेश में सियासत भी गर्म हो सकती है। प्रदेश में प्रोन्नति में आरक्षण विरोधी व आरक्षण समर्थक कर्मचारियों के अलग-अलग संगठन पहले ही बन चुके हैं। पहले भी इसको लेकर राजनीतिक तूफान खड़ा हो चुका है।

यह है मामला :-

सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल 2012 पदोन्नति में आरक्षण व परिणामी ज्येष्ठता को खत्म करने का निर्णय दिया। लेकिन विभागों में एससी-एसटी के कार्मिकों को रिवर्ट करने की पहल न होने पर सुप्रीम कोर्ट में अमर कुमार व अन्य द्वारा याचिका दाखिल की गई। इस पर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। 

उप्र लोकसेवा अधिनियम 1994 के तहत पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देते हुए 15 नवंबर 1997 के बाद पदोन्नत कार्मिकों को तथा उप्र सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली 1991 के नियम 8 (क) के तहत जिनको पदोन्नति दी गई है, उन्हें पदानवत कर दिया जाए। ’ वर्तमान संशोधित वष्ठिता सूची के मुताबिक 15 नवंबर 1997 के बाद पदोन्नति में आरक्षण तथा नियम 8 क का लाभ प्राप्त कर पदोन्नत कािर्मकों से कनिष्ठ कर्मी जिस स्तर पर कार्यरत हों उस स्तर तक उन्हें पदानवत किया जाए। इसी हिसाब से कार्रवाई हो। इसके बाद जो पद खाली होते हैं उस पर ज्येष्ठता सूची के आधार पर प्रोन्नति की जाए।

           खबर साभार : हिन्दुस्तान

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  1. प्रमोशन में आरक्षण का लाभ पाए कर्मचारियों को पदावनत (रिवर्ट) करने का अहम फैसला : यूपी सरकार ने गुपचुप तरीके से सिंचाई विभाग से शुरूआत करते जारी किया आदेश-
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