logo

Basic Siksha News.com
बेसिक शिक्षा न्यूज़ डॉट कॉम

एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

छात्र यूपी बोर्ड के, शिक्षक दूसरे बोर्ड के ! राजकीय इंटर कालेजों में शिक्षकों की नियुक्ति-

छात्र यूपी बोर्ड के, शिक्षक दूसरे बोर्ड के ! राजकीय इंटर कालेजों में शिक्षकों की नियुक्ति-

जागरण संवाददाता : यूपी बोर्ड से संबद्ध राजकीय इंटर कालेजों में हो रही शिक्षक-शिक्षिकाओं की भर्ती में यूपी बोर्ड से पढ़े अभ्यर्थियों का पिछड़ना तय है। इसे लेकर यूपी बोर्ड के अभ्यर्थी तनाव में हैं और मेरिट में प्राथमिकता देने की मांग कर रहे हैं।

शासन ने प्रदेश के राजकीय इंटर कालेजों में एलटी वेतनमान के हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान व सामाजिक विज्ञान समेत कई और विषयों के शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की है। परीक्षाओं के प्राप्तांकों की मेरिट के आधार पर हो रहीं नियुक्तियों में सीबीएसई और आईसीएसई से हाईस्कूल-इंटर उत्तीर्ण अभ्यर्थी आगे आ जाएंगे। छात्रों का कहना है कि इसके रास्ते दूसरे शिक्षा बोर्ड के वह अभ्यर्थी अधिकतम सीटों पर कब्जा कर लेंगे जिन्हें यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम की न तो कोई जानकारी है और न ही वह हिंदी माध्यम से पढ़ाने की दक्षता रखते हैं।

        ऐसे तैयार होगी मेरिट:-

हाईस्कूल के अंकों का प्रतिशत बटे 10, इंटरमीडिएट के अंकों का प्रतिशत का गुणा दो बटे दस, स्नातक डिग्री के अंकों का प्रतिशत गुणा चार बटे दस के साथ प्रशिक्षण डिग्री लिखित में प्रथम श्रेणी के 12, द्वितीय श्रेणी के 5 व तृतीय श्रेणी के लिए 3 अंक निर्धारित हैं। प्रैक्टिकल के लिए क्रियात्मक में प्रथम श्रेणी को 12, द्वितीय श्रेणी के लिए 6, तृतीय श्रेणी 3 अंक निर्धारित हैं।

        यूपी बोर्ड का संकट:-

इधर यूपी बोर्ड ने सीबीएसई व आईसीएसई के प्राप्तांक प्रतिशत पाने की कोशिश की है परंतु वर्तमान में हो रही नियुक्तियों के अभ्यर्थियों ने जिन वर्षो में हाईस्कूल व इंटर किया उस समय प्राप्तांक प्रतिशत इतना ऊंचा नहीं था। डेढ़ से तो प्रतिशत छात्रों को ही 75 प्रतिशत तक अंक मिलते थे जबकि दूसरे बोर्ड में आधे से अधिक को 80 फीसद अंक आसानी से मिल जाते थे।
-----
परीक्षार्थियों के निजी प्राप्तांक प्रतिशत में यूपी बोर्ड हमेशा से पीछे रहा है। इसीलिए मेरिट के आधार पर होने वाले प्रवेश व नियुक्तियों में यूपी बोर्ड फिसड्डी साबित होता है। अभ्यर्थियों की चिंता जायज है।

-डॉ. एलपी पांडे, पूर्व निदेशक माध्यमिक शिक्षा

Post a Comment

0 Comments