शिक्षा विभाग में खत्म होगा बाबू राज -
१-जिलेवार बाबुओं की मांगी गई सूचना,
२-इनका कॉकस तोड़ना चाहता है विभाग
३-शिक्षाधिकारी बाबू राज के मुद्दे को बैठकों में कई बार उठा चुके
४- शिक्षकों के तबादले में भी है बाबूराज कायम
५-जेष्ठता सूची हेगी निर्धारीत
लखनऊ। शिक्षा विभाग में चल रहे बाबू राज को खत्म करने की तैयारी है। बाबू राज का आलम यह है कि वे अधिकारियों को काम नहीं करने देते हैं और जैसा चाहते हैं वैसा अपने हिसाब से कराते हैं। प्रत्येक माह होने वाली समीक्षा बैठकों में शिक्षाधिकारी इस मुद्दे को कई बार उठा चुके हैं। इसलिए अब विभाग बाबुओं के कॉकस को तोड़ना चाहता है। वह चाहता है कि सालों से एक ही स्थान पर जमे बाबुओं को दूसरे जिलों में भेजा जाए ताकि अधिकारी स्वतंत्र होकर काम कर सकें।
शिक्षा विभाग का दायरा बहुत बड़ा है। यहां बाबुओं की संख्या अच्छी-खासी है। निदेशालय से लेकर जिलों तक में तैनात बाबू एक ही स्थान पर सालों से जमे हुए हैं। शिकायत के बाद यदि इन्हें हटाया भी जाता है, तो वे जुगाड़ के सहारे पुन: वहीं लौट आते हैं। बाबुओं के कॉकस का आलम यह है कि चाहे जितना तेज-तर्रार अधिकारी आ जाए, लेकिन काम वे अपने हिसाब से ही कराते हैं। सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्ति से लेकर शिक्षकों के तबादले तक में इन्हीं बाबुओं की चलती है। कई जिलों के तो कुछ बाबू ऐसे हैं जिनकी सालाना कमाई करोड़ों में है। इसलिए वे जरूरत के मुताबिक पैसा भी खर्च कर देते हैं। इसलिए निदेशालय स्तर पर यह विचार किया जा रहा है कि सालों से एक ही स्थान पर जमे बाबुओं का तबादला कर दिया जाए। इससे विभागों का काम भी सुचारु रूप से चलेगा और भ्रष्टाचार भी कुछ कम हो जाएगा।
ज्येष्ठता सूची होगी निर्धारित
जिलों में तैनात आशुलिपिकों की ज्येष्ठता सूची का निर्धारण नए सिरे से किया जाएगा। अपर निदेशक बेसिक शिक्षा कुमारी रमेश शर्मा ने इस संबंध में मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों से आशुलिपिकों का पूरा ब्यौरा मांगा है। हालांकि, इसके पहले भी वह ब्यौरा मांग चुकी हैं, लेकिन मंडलों से इसे भेजा नहीं जा रहा है।
१-जिलेवार बाबुओं की मांगी गई सूचना,
२-इनका कॉकस तोड़ना चाहता है विभाग
३-शिक्षाधिकारी बाबू राज के मुद्दे को बैठकों में कई बार उठा चुके
४- शिक्षकों के तबादले में भी है बाबूराज कायम
५-जेष्ठता सूची हेगी निर्धारीत
लखनऊ। शिक्षा विभाग में चल रहे बाबू राज को खत्म करने की तैयारी है। बाबू राज का आलम यह है कि वे अधिकारियों को काम नहीं करने देते हैं और जैसा चाहते हैं वैसा अपने हिसाब से कराते हैं। प्रत्येक माह होने वाली समीक्षा बैठकों में शिक्षाधिकारी इस मुद्दे को कई बार उठा चुके हैं। इसलिए अब विभाग बाबुओं के कॉकस को तोड़ना चाहता है। वह चाहता है कि सालों से एक ही स्थान पर जमे बाबुओं को दूसरे जिलों में भेजा जाए ताकि अधिकारी स्वतंत्र होकर काम कर सकें।
शिक्षा विभाग का दायरा बहुत बड़ा है। यहां बाबुओं की संख्या अच्छी-खासी है। निदेशालय से लेकर जिलों तक में तैनात बाबू एक ही स्थान पर सालों से जमे हुए हैं। शिकायत के बाद यदि इन्हें हटाया भी जाता है, तो वे जुगाड़ के सहारे पुन: वहीं लौट आते हैं। बाबुओं के कॉकस का आलम यह है कि चाहे जितना तेज-तर्रार अधिकारी आ जाए, लेकिन काम वे अपने हिसाब से ही कराते हैं। सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्ति से लेकर शिक्षकों के तबादले तक में इन्हीं बाबुओं की चलती है। कई जिलों के तो कुछ बाबू ऐसे हैं जिनकी सालाना कमाई करोड़ों में है। इसलिए वे जरूरत के मुताबिक पैसा भी खर्च कर देते हैं। इसलिए निदेशालय स्तर पर यह विचार किया जा रहा है कि सालों से एक ही स्थान पर जमे बाबुओं का तबादला कर दिया जाए। इससे विभागों का काम भी सुचारु रूप से चलेगा और भ्रष्टाचार भी कुछ कम हो जाएगा।
ज्येष्ठता सूची होगी निर्धारित
जिलों में तैनात आशुलिपिकों की ज्येष्ठता सूची का निर्धारण नए सिरे से किया जाएगा। अपर निदेशक बेसिक शिक्षा कुमारी रमेश शर्मा ने इस संबंध में मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों से आशुलिपिकों का पूरा ब्यौरा मांगा है। हालांकि, इसके पहले भी वह ब्यौरा मांग चुकी हैं, लेकिन मंडलों से इसे भेजा नहीं जा रहा है।
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