CHILDREN : बच्चों की पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए किसी भी प्रकार का शारीरिक दंड दिया जाना उचित नहीं होता, शारीरिक दंड विद्यार्थियों के लिए घातक - संजय सिन्हा
इलाहाबाद । बच्चों की पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए किसी भी प्रकार का शारीरिक दंड दिया जाना उचित नहीं होता। जो शिक्षक यह समझते हैं कि इससे बच्चा पढ़ने लगेगा वह वास्तव में भ्रम में है। कई शोधों से यह प्रमाणित हो चुका है कि शारीरिक दंड से बच्चों में पढ़ाई के प्रति अरुचि ही बढ़ती है। बड़ी संख्या में बच्चे शारीरिक उत्पीड़न के कारण ही विद्यालय छोड़ देते हैं। इसलिए बच्चों को किसी भी स्थिति में शारीरिक दंड नहीं दिया जाना चाहिए।
यह उद्गार राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) एलनगंज के निदेशक संजय सिन्हा ने सोमवार को व्यक्त किए। श्री सिन्हा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के वार्डनों के सुरक्षा एवं संरक्षा संबंधी चार दिवसीय प्रशिक्षण के तृतीय चक्र के समापन पर बोल रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों के नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में कहा गया है कि बच्चों को किसी भी प्रकार का शारीरिक दंड या मानसिक उत्पीड़न नही किया जाएगा।
नियम का उल्लंघन करने पर सेवा नियमों के तहत उस व्यक्ति पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की व्यवस्था है। स्कूलों में दंड को पूरी तरह प्रतिबंधित करने के लिए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने अगस्त 2007 में और पुन: 26 मई 2009 में सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए है।
तीसरे चक्र के प्रशिक्षण में अम्बेडकरनगर, बरेली, बस्ती, आगरा, अलीगढ़, आजमगढ़ एवं महोबा से कुल 84 वार्डन/शिक्षकों ने भाग लिया। प्रवक्ता पवन सांवत ने प्रशिक्षण की उपयोगिता पर विचार रखे। इस दौरान सरदार अहमद, सूफिया फारूकी आदि उपस्थित रहीं।
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