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MAN KI BAAT : सातवें वेतनमान की मंजूरी के बाद भी राज्यकर्मियों में उत्साह नहीं आया तो कारण यही है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी खुद को ठगा.........

MAN KI BAAT : सातवें वेतनमान की मंजूरी के बाद भी राज्यकर्मियों में उत्साह नहीं आया तो कारण यही है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी खुद को ठगा.........

🔴 वेतनमान से नाराजगी

सातवें वेतनमान की मंजूरी के बाद भी राज्यकर्मियों में उत्साह नहीं आया तो कारण यही है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। केंद्रीय कर्मचारियों को सातवां वेतनमान मिलने के बाद से ही प्रदेश के कर्मचारियों में भी उम्मीद जगी थी कि उन्हें बढ़ कर इतना वेतन मिलने लगेगा कि उससे महंगाई का असर कम हो जाएगा। उन्हें तब भी खुशी हुई थी जब चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुकी राज्य सरकार ने तत्काल इसके लिए एक समिति बनाने की घोषणा कर दी। कर्मचारी संगठनों, वेतन विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों से मिले फीडबैक के बाद समिति ने कुछ दिनों बाद अपनी सिफारिशें भी सरकार को सौंप दीं। मंगलवार को राज्य कैबिनेट ने जब इसे पारित कर दिया और पूरा विवरण पब्लिक के सामने आया तो कर्मचारियों का आक्रोश भी सामने आने लगा। स्लैब देखने के बाद पता चला कि कर्मचारियों को सबसे कम लाभ मिला और अधिकारियों को सबसे ज्यादा।

महंगाई भत्ता जीरो हो गया, अन्य भत्ते बढ़े नहीं, दूसरी ओर पेंशन, बीमा योजना की कटौतियां बढ़ गई, कुल जमा बढ़ा वेतन 3.48 और 6.64 प्रतिशत। 1सातवें वेतनमान के निर्धारण के लिए बने पे मेटिक्स में अधिकारियों की अधिकतम वेतन वृद्धि 21.07 प्रतिशत दिखाई दे रही है। यही प्रतिशत कर्मचारियों को चिढ़ा रहा है। 19,800 रुपये वेतन यानी कि 660 रुपये प्रतिदिन, इस दौर में वाकई कम है। इसमें नकद मिलेगा 16,500 रुपया, जो करीब 550 रुपया प्रतिदिन पड़ेगा। इसी तरह तीसरी श्रेणी के कर्मचारियों का वेतन 39,000 रुपये यानी 1300 रुपये प्रतिदिन। इसमें नकद मिलेगा 32,960 रुपया जो करीब 1100 रुपया प्रतिदिन पड़ेगा। वेतन इतना तो मिलना ही चाहिए कि कर्मचारी को किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े। यही वर्ग ऐसा है जो सर्वाधिक पब्लिक डीलिंग करता है और छोटे-छोटे काम के लिए फील्ड में भी निकलता है।

भ्रष्टाचार से मुक्ति की बात रोज सुनाई पड़ती है, देश के जिम्मेदार लोगों से लेकर प्रदेश सरकार के मुखिया तक इस बात को खुलेआम दोहराते हैं। सरकार की अपनी मंशा भले ही अच्छी रही हो, कर्मचारियों के बीच उसका संदेश अच्छा नहीं गया है और इसीलिए वे आंदोलित हैं।

उनकी यह शिकायत जायज भी दिखती है कि नए वेतनमान का अधिकारियों को अधिक लाभ हुआ है जबकि निचले दर्जे के लोग उपेक्षित रह गए हैं। शासन को अब चाहिए कि कर्मचारियों से संवाद बनाकर उनके असंतोष का कारण समझने और उसे दूर करने की कोशिश करे।

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  1. 📌 MAN KI BAAT : सातवें वेतनमान की मंजूरी के बाद भी राज्यकर्मियों में उत्साह नहीं आया तो कारण यही है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी खुद को ठगा.........
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/12/man-ki-baat_15.html

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