बिना किताब 'स्कूल चलो अभियान' : सूबे में बेसिक शिक्षा परिषद एवं माध्यमिक स्कूलों का हाल-बेहाल, 15 जुलाई के बाद किताबों की आपूर्ति संभावित
इलाहाबाद : ‘आओ स्कूल चलें हम’ का नारा शनिवार को फिर गूंज उठा। तमाम जगहों पर बच्चों ने रैलियां निकालकर साथियों व उनके अभिभावकों को जागरूक किया, तो कुछ जगहों पर गिने-चुने बच्चे स्कूल पहुंचे सो अभियान का श्रीगणोश ही नहीं हो पाया। शिक्षक भी देर से स्कूल पहुंचे, क्योंकि उनका बारिश ने रास्ता रोका। ऐसे ही मिड डे-मील भी अधिकांश स्कूलों में नहीं पका और न ही पहले दिन पढ़ाई-लिखाई हुई।
यह नजारा गर्मी की छुट्टी के बाद खुले बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों का है। पहली जुलाई को आखिरी जुमा एवं तीन जुलाई को रविवार का अवकाश होने के कारण जिला, तहसील एवं विकासखंड मुख्यालयों से सुदूर विद्यालयों में तैनात तमाम शिक्षकों ने शनिवार को भी छुट्टी मना लिया। जिन स्कूलों में स्कूल चलो अभियान के दूसरे चरण का शुभारंभ होना था वहां जरूर कुछ रौनक दिखी, लेकिन बारिश ने उसमें भी खलल डाला। पहले दिन बच्चों के साथ ही शिक्षकों की उपस्थिति भी कम रही। इसलिए आयोजन सिर्फ रस्म अदायगी तक सीमित रहा। रैली निकालकर वापस लौटे बच्चों ने स्कूल में अपना बस्ता भी नहीं खोला। इसकी वजह यह थी कि उनके पास अभी उस कक्षा की कॉपी है और न किताब।
यह जरूर है कि शिक्षा विभाग के अफसरों ने जून तक हर हाल में पुस्तकों का बंदोबस्त कराने का वादा किया था, जो पूरा नहीं हो सका। ऐसे ही बच्चों की ड्रेस आदि का प्रबंध भी अब तक नहीं हो सका है। कहा जा रहा है कि 15 जुलाई के बाद किताबों की आपूर्ति संभावित है, लेकिन बच्चों के हाथ में वह इस माह के अंत तक ही पहुंच पाएंगी। वहीं ड्रेस वितरण अगले माह ही होने के आसार हैं। यही नहीं इस बार स्कूलों में बच्चों का पंजीकरण भी पिछले वर्षो की अपेक्षा काफी कम है। इसीलिए सर्व शिक्षा अभियान की ओर से जुलाई में स्कूल चलो अभियान का दूसरा चरण शुरू किया गया है।
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