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मीना की दुनिया ( Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण, एपिसोड 39 । कहानी का शीर्षक - "मत रोको"

मीना की दुनिया ( Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण, एपिसोड 39 । कहानी का शीर्षक - "मत रोको"

एपिसोड-39
दिनांक-18/11/2015
आकाशवाणी केंद्र-लखनऊ ; समय-11:15am से 11:30am तक

आज की कहानी का शीर्षक- “मत रोको”

कहानी के केंद्र में रोशनी है| जिसे मास्टर जी नाटक की तैयारी करा रहे हैं| मास्टर जी रोशनी को उसकी लाइनों का अभ्यास करता छोड़ चाय पीने चले जाते हैं| तभी वहां पहुंचते हैं- शरद, राकेश आमिर और फिरोज़| जो रोशनी की खिल्ली उड़ाते हैं|रोशनी को शरद,राकेश,आमिर और फिराज़ की ये हरकत बहुत बुरी लगी| वो चुपचाप वहां से बाहर चली गयी और फिर से अपनी लाइनों का अभ्यास करने लगी, “दादी मैं खेलते-खेलते गिर गई (सिसकते हुए)...देखो मेरा हाथ में चोट लगी है...|”
शरद,राकेश,आमिर और फिरोज़ बार-बार रोशनी को तंग कर रहे थे और जोर-जोर से हँस रहे थे| रोशनी दुखी होके रोने लगी| तभी रोशनी के माता-पिता ,मीना और मीना की बहिन जी वहां पहुंचे| उन्हें देखते ही चारो लड़के वहां से भाग खड़े हुए| रोशनी के पिताजी बहिनजी से बोले, ‘देखा बहिन जी, इसीलिये हम अपनी रोशनी को यहाँ नही भेजना चाहते थे|’
बहिन जी उन्हें यकीन दिलाती हैं कि ऐसी हरकत दुबारा नहीं होगी|
और फिर मीना की बहिन जी मीना को लेके पहुँची राकेश,शरद,आमिर और फिरोज़ के पास...
बहिन जी उन्हें समझाती हैं, ‘...मज़ाक और छेड़छाड़ में अंतर होता है| ये हरकत जो तुम चरों ने की है इसे मजाक नहीं छेड़छाड़ कहते हैं| और छेड़छाड़ से ना केवल लडकियों को दुःख पहुंचता है बल्कि उनके घर वाले उन पर कई तरह की रोक लगाना भी शुरु कर देते हैं|’
सभी मांफी मंगाते है| और वो चारों रोशनी के माता-पिता और रोशनी से भी मांफी मांगने जाते हैं|
रोशनी की पिताजी उन्हें एक शर्त पर माफी देने की बात करते हैं, ‘ तुम मुझसे वादा करो कि आज के बाद तुम कभी किसी लडकी से ऐसी छेड़छाड़ नहीं करोगे|’
सभी वादा करते हैं कि कभी किसी लड़की से छेड़छाड़ नहीं करेंगे|
मिठ्ठू चहका, “तैयारी करो बहुत सारी करो|”

मीना, मिठ्ठू की कविता- 

“हर लडके को याद रहे ये बात ना जाना भूल 
लड़की का सम्मान करो चाहे घर हो या स्कूल|”

आज का गाना –

हाँ लडकियों को आगे बढ़ना है क्यों रोकते हो|
क्यों कसते हो ताने-वाने,फब्तियां, क्यों टोकते हो?
हमें भी काम अपने मार्जियों का करना है 
हमें भी आसमां में पंछियों सा उड़ना है|
हर एक कहानी के हर एक किस्से में हमारा हिस्सा है
और एक हिस्से में .......
तभी तो कहते हैं कि तुम और हम
बराबर- बराबर- बराबर.....
...कोई जो हमको ....तो दिल दुखता है
ख्वाब बिखर जाते हैं फिर सभी मन के 
क्यों न हम रहे अच्छे दोस्त बनके 
अबसे नहीं तुम सताना हमको 
न कभी छेडना हमको|
क्योंकि तब तुम और हम है 
बराबर-बराबर-बराबर........|

आज का खेल- ‘नाम अनेक अक्षर एक’

अक्षर- ‘ज’
व्यक्ति- जगजीत सिंह
वस्तु- जूता 
जानवर- जिराफ 
जगह- जैसलमेर 

आज की कहानी का शीर्षक-"मत रोको"

“मजाक और छेड़छाड़ में होता है बहुत अंतर|
लड़कियों का सदैव सम्मान करो,चाहे स्कूल हो या घर ।

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