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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

शिक्षामित्रों और सरकार की आस अब सुप्रीम कोर्ट पर : बेसिक शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव डिम्पल वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) कर दी दाखिल

शिक्षामित्रों और सरकार की आस अब सुप्रीम कोर्ट पर : बेसिक शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव डिम्पल वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) कर दी दाखिल

राज्य मुख्यालय । हाईकोर्ट के फैसले और केन्द्र सरकार के किनारा करने के बाद अब शिक्षामित्रों और राज्य सरकार की सारी उम्मीदें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। गुरुवार को बेसिक शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव डिम्पल वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दाखिल कर दी है।

वर्मा ने बताया कि विभाग ने पूरी मजबूती से अपना पक्ष तैयार किया है। हमें उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में आएगा। एसएलपी तैयार करने में वरिष्ठ वकीलों, कानूनविदें और विशेषज्ञों की राय ली गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सितम्बर को लगभग पौने दो लाख शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करते हुए इसे अवैध करार दिया है।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार द्वारा दायर एसएलपी में इस बिन्दु पर जोर दिया गया है कि शिक्षा का अधिकार कानून अगस्त, 2010 (आरटीई एक्ट) में लागू किया गया और यह लागू होते ही यूपी में अप्रशिक्षित शिक्षकों की भर्तियां बंद कर दी गईं। यूपी में भर्ती किए गए लगभग पौने दो लाख शिक्षामित्र अगस्त, 2010 के पहले के हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने आरटीई एक्ट लागू होने के पहले भर्ती हो चुके अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित करने को अनिवार्य किया है लेकिन उन्हें अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी)से मुक्त रखा है।

विभाग का मानना है कि एनसीटीई ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष ठीक से नहीं रखा जिस कारण फैसला विरोध में आया लेकिन अब जो पत्र एनसीटीई ने मुख्य सचिव को भेजा है वह मददगार सिद्ध होगा। इस पत्र में एनसीटीई ने अपने सभी नियमों की व्याख्या की है। हालांकि हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों की बिना टीईटी सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति को नई भर्ती मानते हुए समायोजन रद्द किया है।

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