मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) रेडियो प्रसारण एपिसोड 37 । कहानी का शीर्षक - "मेरा पौधा"
एपिसोड-37
दिनांक-14/11/2015
आकाशवाणी केंद्र-लखनऊ; समय-11:15am से 11:30am तक
आज की कहानी का शीर्षक- “ मेरा पौधा”
एपिसोड-37
दिनांक-14/11/2015
आकाशवाणी केंद्र-लखनऊ; समय-11:15am से 11:30am तक
आज की कहानी का शीर्षक- “ मेरा पौधा”
मीना क्लास में है और बहिन जी बच्चों को पढ़ा रहीं है, ‘बच्चों जैसा कि मैंने अभी तुम्हें बताया, पौधे कई प्रकार के होते हैं| और अलग-अलग पौधों की जरुरतें भी अलग-अलग होती हैं| किसी पौधे को रोशनी और पानी कम चाहिए होता है तो किसी को अधिक| कुछ पौधे केवल खेतों में पनपते हैं जबकि कुछ पौधों का विकास गमलों में ही हो जाता है| इस बात को अच्छी तरह समझाने के लिए हम कल एक प्रयोग करेंगे|
मिठ्ठू चहका, “प्रयोग करेंगे सब लोग करेंगे|”
ह...हा..ही ..ह्ह हा...ह...ह्ह
बहिन जी आगे कहती हैं, ‘बच्चों क्लास के बाहर रखे खाली गमले सबने देखें हैं|’
“जी बहिन जी” सभी बच्चे एक साथ जबाब देते हैं|
बहिनजी-...तो मैं चाहती हूँ कि तुम लोग तीन-तीन बच्चों की एक टीम बनाओ फिर हर टीम एक-एक गमले में एक-एक पौधा लगाएगी, वो पौधा कोई भी हो सकता है- फूल,सब्जी...कुछ भी| और फिर एक महीने के बाद हम देखेंगे कि किस टीम का पौधा सबसे अच्छा पनपता है| ठीक है|
“जी बहिन जी” सबने उत्तर दिया|
और फिर स्कूल की छुट्टी के बाद सब बच्चों ने अपनी-अपनी टीम बना ली| मीना की टीम मैं थे- सुनील और रानो| मीना, सुनील और रानो घर की तरफ निकल ही रहे थे कि.....
बहिन जी- मीना......
मीना- जी बहिन जी|
बहिनजी- रवि पिछले कुछ दिन से स्कूल आ ही नहीं रहा| उसकी तबियत तो ठीक हैं ना|
मीना- पता नहीं बहिन जी....रवि कुछ दिनों से हमसे भी नहीं मिला|
बहिन जी- अच्छा...हूँ...क्या तुम तीनों रवि के घर जाकर पता कर सकते हो कि आखिर बात क्या है? अगर उसकी तबियत ठीक है तो उससे कहना..कल से नियमित स्कूल आये ताकि वो इस प्रयोग में भाग ले सके| ठीक है बच्चों|
मीना- जी बहिन जी|
और फिर शाम को जब मीना, सुनील और रानो रवि के घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि रवि दो लडको के साथ पकड़म-पकड़ाई खेल रहा है|
अ..आ...पकड लिया....ह्ह्ह हा हा....|
‘रवि...’ मीना आवाज देते है|
रवि- अरे! मीना, सुनील, रानो...आओ इनसे मिलो ये हैं मेरे मामाजी के लड़के- रतन और संजू| शहर से आये हैं| आओ तुम भी हमारे साथ खेलो|
मीना- नही रवि, हम तो बस तुम्हारा हाल जानने आये थे|
रवि- हाल जानने....|
मीना-हाँ...हमें लगा शायद तुम्हारी तवियत ठीक नहीं| इसलिए तुम...
रवि- हा ह्ह ...मीना मेरी तवियत को क्या होना है? मैं तो बिलकुल ठीक हूँ|
सुनील- तो फिर तुम पिछले तीन दिन से स्कूल क्यों नहीं आ रहे थे?
रवि- सुनील तुम देख तो रहे हो रतन और संजू आये हुए हैं| अगर मैं स्कूल आता तो ये दोनों किसके साथ खेलते| आज ये दोनों वापस जा रहे हैं.... कल से स्कूल आना शुरु|
रानो- पता है रवि...कल हमारी पूरी क्लास प्रयोग करेगी|
रवि- प्रयोग.....|
मीना- रवि, बहिन जी ने तीन-तीन बच्चों की टीमे बनायी हैं और हर टीम से एक-एक पौधा लगाने को कहा है|
रानो- हाँ...और फिर एक महीने बाद बहिन जी देखेंगी कि किस टीम का पौधा सबसे अच्छा पनपता है|
रवि- बस इतनी सी बात.....पौधा लगाना तो मेरे बायें हाथ का खेल है| मैं कल स्कूल आके ऐसा पौधा लगाऊंगा कि सब देखते रह जायेंगे|
मिठ्ठू- “देखते रह जायेंगे रवि जी पौधा लगायेंगे|”
ह...हा..ही ..ह्ह हा...ह...ह्ह
और फिर अगले दिन स्कूल में..........
सब बच्चे चर्चा कर रहे हैं कि कौन सा पौधा लगाना चाहिए?
“सब बच्चे अपनी-अपनी टीम बना चुके हैं” मीना बोली, रवि अब तुम क्या करोगे?
रवि- मीना...पौधा लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है| उसके लिए मुझे किसी की मदद या बातें समझाने की जरूरत नहीं है| मैं अकेले ही कर सकता हूँ|
सुनील- मीना, रानो...मैं सोच रहा हूँ, क्यों ना हम तीनों अपने गमले में टमाटर उगायें|
मिठ्ठू चहका, “टमाटर उगायें और मजे से खाएं”
ह...हा..ही ..ह्ह हा...ह...ह्ह
रानो- मिठ्ठू ठीक कह रहा है मीना| जब हमारे पौधे में लाल-लाल टमाटर उगेंगे तो हम उन्हें धोकर मजे से खायेंगे|
मीना- बड़ा मजा आएगा|...रवि तुम कौन सा पौधा लगाओगे|
रवि- हम्म...मैं लगाऊंगा...मैं इस गमले में उगाऊंगा खीरे |
सब टीमों ने अपने-अपने गमले में पौधे लगाये और फिर क्लास में.....
बहिन जी- ...तो जैसा कि कल हमने पढ़ा था पौधों के लिए क्लोरोफिल बहुत जरुरी होता है.......|
“मीना ,क्लोरोफिल क्या होता है?” रवि फुसफुसाया|
मीना ने दबी जुबान से कहा, ‘रवि क्लोरोफिल पौधों मे पाया जाने वाल एक रसायन होता है|
रवि- हाँ...मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है|
उस दिन क्लास में बहिन जी की पढाई गयी एक भी बात रवि की समझ में नही आये| और अगले दो दिन तक यही हाल रहा| आखिर रवि ने मीना से इस बारे में बात की, ‘ मीना...बहिन जी आजकल क्या पढाती हैं? मुझे तो कुछ समझ में नहीं आता|
मीना- रवि तुम पिछले कुछ दिन स्कूल नही आये ना...इसलिए तुम्हें ये पाठ समझने में परेशानी हो रही है| एक काम करो तुम मेरी कॉपी ले जाओ| घर जाकर इसे अच्छी तरह पढ़ना..तुम्हें इससे पाठ समझने में आसानी होगी|
रवि- और फिर भी मुझे पाठ समझ ना आये तो...|
मीना- ....तो तुम बहिन जी से इस बारे में बात कर सकते हो|
“ठीक है...अब तो मैं वापस आने के बाद ही बहिन जी से बात कर सकूँगा|” रवि ने ठंडी आह भरते हुए कहा|
मीना- वापस आने के बाद.....तुम कहीं जा रहे हो क्या?
रवि- हाँ मीना.... मेरी दादी जी की तबियत कुछ ठीक नहीं है इसलिए मैं कुछ दिनों के लिए उनके पास जा रहा हूँ...साथ वाले गाँव|
मीना-..... और तुम्हारा पौधा|
“उसकी चिंता मत करो|...मैं सब संभाल लूँगा” रवि ने कहा|
रवि अपनी दादी जी के पास चला गया| और जब दो हफ्तों के बाद वापस लौटा और स्कूल आया तो.....
बहिन जी- वाह! बच्चों तुम सबके पौधे तो बहुत अच्छे-अच्छे बढ़ गए हैं|
मिठ्ठू- “ अच्छे-अच्छे खिले हैं लाल,हरे, पीले”
ह...हा..ही ..ह्ह हा...ह...ह्ह
“अरे! ये मुरझाया हुआ सा पौधा किस टीम का है?” बहिन जी बोली|
“बहिन जी...ये रवि का पौधा है|” मीना बोली|
रवि- बहिन जी, मैंने तो अपने पौधे में खूब खाद डाली थी| और मैं दादी जी के गाँव जाने से पहले इसमें ढेर सारा पानी भी डाला था|...फिर पता नही मेरा पौधा क्यों मुरझा गया?
बहिन जी- क्या कोई बच्चा रवि की इस बात का जबाब दे सकता है?
मीना- जी बहिन जी...
“शाबाश! मीना...जरा बताना रवि को भी इसका पौधा क्यों मुरझा गया?” बहिन जी बोली|
मीना- रवि, बहिन जी ने हमें बताया था कि पौधों में रोज़ पानी देना चाहिए| ताकि पानी इसकी जड़ों में समा सके|
“हाँ...रवि, और रोज़ देखभाल ना करने के कारण तुम्हारे पौधे में क्लोरोफिल नहीं बन पाया|” रानो ने कहा|
“क्लोरोफिल....क्लोरोफिल क्या होता है रानो? रवि ने पूँछा| मीना ने कुछ बताया तो था लेकिन मुझे याद नही आ रहा|
बहिन जी- रवि, क्लोरोफिल पौधों में पाया जाने वाला एक रसायन होता है| जिसकी अनुपस्थिति में पौधे का खिलना संभव नही होता|
मीना बताती है, ‘बहिन जी....रवि पिछले कई दिनों स्कूल में अनुपस्थित रहा ना..शायद इसलिए ये पौधों वाले पाठ को ठीक से समझ नहीं पाया|’
रवि- बहिन जी...मैं मीना से उसकी कॉपी लेके दो दिन में ये सारा पाठ याद कर लूँगा|
बहिन जी- एक बात पूंछू रवि?
रवि- जी बहिन जी|
बहिन जी- क्या ये मुमकिन है कि हम एक हफ्ता बिलकुल भूखे रहे और फिर आठवें दिन पिछले सात दिनों का खाना इकठ्ठा खा लें?
रवि- नहीं बहिन जी, खाना तो हमें रोज़ाना चाहिए|
बहिन जी- अब तुम समझे रवि...जैसे हमारे शरीर में रोज़ भोजन की जरूरत है...पौधों को भी रोज़ पानी देने की जरूरत है| वैसे ही तुम्हें स्कूल आने की जरुरत है..रोज़| क्योंकि अगर तुम रोज़ स्कूल आओगे तो एक तो तुम्हें पाठ अच्छी तरह समझ आएगा और साथ ही तुम्हारा पौधा भी ना मुरझाता|
रवि- बहिन जी, मैं आप सब से ये वादा करता हूँ कि अब से मैं रोज़ स्कूल आऊंगा|
“रोज़ स्कूल आऊंगा नया पौधा लगाऊंगा” मिठ्ठू चहका|
ह...हा..ही ..ह्ह हा...ह...ह्ह
और कुछ दिन बाद रवि ने स्कूल से एक भी छुट्टी नहीं ली वो रोज़ स्कूल जाने लगा| अब रवि को बहिन जी द्वारा पढाया गया हर पाठ अच्छे से समझ में आता है क्योंकि वो रोज़ स्कूल जाता है|
मीना, मिठ्ठू की कविता-
“ बात पते की कहती है मीना,मिठ्ठू भी तो यही है कहता
रोज़ स्कूल जो आये बच्चा नयी बातें वो सीखता रहता||”
आज का गाना-
स्कूल बड़ा ही मज़ेदार है मिलते सारे दोस्त यार हैं,
साथ में पढ़ते साथ खेलते करते सबसे प्यार हैं|-2
स्कूल बड़ा ही मज़ेदार है मिलते सारे दोस्त यार हैं
ल...ला...ल़ा....ल .....ला........................|
साथ स्कूल हम जाते साथ ही वापस आते ,
कभी जो रूठे दोस्त कोई मिलकर उसे मानते|
दोस्त को हो जब अपनी जरूरत रहते हम तैयार हैं|
साथ में पढ़ते साथ खेलते करते सबसे प्यार हैं|-2
ल...ला...ल़ा....ल .....ला........................|
खूब मज़ा हम करते खेल-खेल में लड़ते,
लेकिन किसी दोस्त को अपने तंग कभी न करते|
हमने जाना ये जीवन तो बिना दोस्त बेकार है
साथ में पढ़ते साथ खेलते करते सबसे प्यार हैं|-2
ल...ला...ल़ा....ल .....ला........................|
आज का खेल- “नाम अनेक अक्षर अनेक”
अक्षर- ‘म’
• व्यक्ति- मेरीकॉम
• वस्तु- मटका (घड़ा)
• जानवर- मगरमच्छ (घड़ियाल)
• जगह- मणिपुर (जिसकी राजधानी इम्फाल
है|)
आज की कहानी का सन्देश-
“जैसे रोज पानी देने से होता पौधों का उद्धार
वैसे ही प्रतिदिन स्कूल जाने से बढ़ता ज्ञान का भण्डार”
0 Comments