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बच्चों को पढ़ाएं बचत की एबीसीडी : बच्चों के लिए पाई-पाई खर्च कर देते हैं, लेकिन हमारा ध्यान उनकी वित्तीय पढ़ाई पर नहीं होता

बच्चों को पढ़ाएं बचत की एबीसीडी : बच्चों के लिए पाई-पाई खर्च कर देते हैं, लेकिन हमारा ध्यान उनकी वित्तीय पढ़ाई पर नहीं होता

हम बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में कोई कसर नहीं छोड़ते। उन्हें खेल, कला, संगीत और अन्य कई दूसरी चीजें सिखाने के लिए हर दिन प्रयास करते हैं। कई बार बच्चों के लिए पाई-पाई खर्च कर देते हैं, लेकिन हमारा ध्यान उनकी वित्तीय पढ़ाई पर नहीं होता, जबकि मौजूदा दौर में यह सबसे महत्वपूर्ण है। इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि खुद सरकार नौंवी क्लास से ऊपर के बच्चों के लिए फाइनेंशियल मार्केट पर वोकेशनल कोर्स शुरू कर रही है।

पिछले सप्ताह ही हमने धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा की है लेकिन हम अपने बच्चों के साथ अन्य रूचिंयों के अलावा अतिरिक्त बचत और निवेश जैसे विषयों पर चर्चा नहीं करते। परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए निवेश संबंधी जानकारी भी नहीं देते। कई बार हम उन्हें कम खर्च करने की सलाह और पैसे कैसे कमाए जाते हैं का ताना मारकर छोड़ देते हैं। दरअसल बच्चों को वित्तीय मामलों की जानकारी देने का सिलसिला यहीं से शुरू करना चाहिए।

वारेन बफेट विश्व के सबसे ज्यादा अमीर लोगों में गिने जाते हैं आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने 11 वर्ष की उम्र से बचत और निवेश शुरू कर दिया था। आज 85 वर्ष के वारेन बफेट की संपत्ती 70 अरब डॉलर है।

महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टिन ने कहा था कि चक्रवर्धी ब्याज विश्व का 8 वा आश्चर्य है। इस गणित के सिद्धांत का लाभ लेकर किसी भी राशि को निरंतर लंबे समय तक किसी अच्छी योजना में जमार ब्याज पर चक्रवर्धी ब्याज कमाकर हम अपनी राशि को कई गुना बढ़ा सकते हैं।

आप यूट्यूब पर प्रेरक फिल्म वन इडियट देख सकते हैं। इसमें एक बच्चा बिल्उिंग में रहने वाले एक अंकल से बचत और निवेश के गुण सीखकर स्वंय तो बचत करता है। साथ ही अपने बड़े भाई को बचत के लाभ भी बताता है।

बच्चों को अगर कम आयु में बचत और निवेश की आदत डाल दी जाए तो उनको जीवन भर हर जिम्मेदारी का सामना करने में आसानी हो जाएगी। कई म्युचुअल फंड कंपनियां निवेश की आदत डालने के लिए मैनेजमेंट और दूसरे कॉलेजों का रूख करती हैं। इन कंपनियों का मकसद रहता है कि मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग कॉलेजों से निकले युवा नौकरी शुरू करते ही बचत भी शुरू कर दें। ये सभी के लिए फायदे का सौदा हाोता है।

अगर आप बच्चे को 100 रुपए खर्च के लिए दे रहे हैं तो उसे कहें कि वो उसमें से कम से कम 10 रुपए तो बचाए ही। मतलब 10 फीसदी रकम की बचत हमेशा करे। आप उससे कहे कि ये पैसे वो फिलहाल बचाए भले ही बाद में किसी बड़े खर्च के लिए इसका उपयोग कर सकता है। इससे बच्चें में बचत की आदत बनेगी।

दिवाली, नए साल और जन्मदिन पर बचत खाते का उपहार दें

बच्चों को अक्सर हम दिवाली, नए साल में या उनके जन्मदिन पर तोहफे देते हैं। अगर इन मौकों पर हम उन्हें पैसे देकर बचत खाता खोलने, म्युचुअल फंड में निवेश करने की शुरूआत करवाएं तो ये उन्हें जिंदगी भर निवेश की सीख तो देगा ही रिटर्न भी देगा। बच्चों को अपने साथ ले जाएं और बैंक में उनका बचत खाता खुलवाएं। फिर जब भी बच्चों को नकद उपहार मिले उन्हें इस रकम को बैंक खाते में जमा करवाने के लिए प्रेरित करें। आजकल कई बैंक बच्चों के खाते खोलने की सुविधा देते हैं। थोड़े ज्यादा पैसे इकट्ठे होने पर म्युचुअल फंड की एसआईपी करवाएं। बच्चे के साथ उसकी एसआईपी में आप भी योगदान दें।

बच्चों के साथ बाटें अपने अनुभव

पेरेंट्स को अपने निवेश संबंधी अनुभव बच्चों के साथ चर्चा करना चाहिए। हमारे अनुभव से भविष्य में वो हमारी गलती दोहराने से बच जाएंगे साथ ही अच्छे अनुभव का फायदा भी ले पाएंगे। कई निवेशकों के पैसे चिट फंड और मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनियों की धोखाधड़ी में डूब गए। कई निवेशकों को लंबे समय में म्युचुअल फंड में निवेश करने पर निवेश का कई गुना रिटर्न मिला। अगर बच्चों को ये सभी बातें शुरूआत से बताई जाएं तो उनके लिए जीवन भर सीख रहेगी।

वित्तीय मामलों की किताब लाकर दें

बच्चों को कहानी की किताब के साथ वित्तीय मामलों की किताब भी खरीद कर दें। कोशिश करें कि इन किताबों में आसान भाषा में सिर्फ वित्तीय मामलों से जुड़े कॉन्सेप्ट हो। इस तरह की हैंडबुक आप सेबी, एनएसई, आईआरडीए और रिजर्व बैंक की वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं। बच्चों को समझाएं की ब्याज दर क्या होती है। महंगाई और निवेश किस तरह जुड़े हैं। इस तरह की छोटी-छोटी चीजें पर हमेशा उनके साथ चर्चा करें।

मोबाइल एप से रखें खर्च का हिसाब

आजकल कई बच्चें स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं। मोबाइल एप्लीकेशन स्टोर में कई तरह के एप खर्चों का हिसाब रखने की सुविधा देते हैं। ऐसे एप डाउनलोड कर बच्चों को कहें कि वो अपना खर्च इसमें लिखते रहें। खर्च का हिसाब सामने रहने से बच्चों का कम खर्च की आदत पड़ेगी।

किराने की खरीद के समय बच्चों को साथ ले जाएं

जब आप किराने के सामान खरीदने के लिए किसी स्टोर में जाते हैं तो हमेशा चीजों की और उनकी कीमतों की तुलना करते हैं। बच्चों को साथ में ले जाएं और उन्हें समझाएं कि कोई सामान आपने किसी दूसरे सामान के बदले क्यों लिया। सामानों के कीमतों की तुलना क्यों जरूरी है।

बच्चों को क्रेडिट कार्ड कभी न दें

भूल से भी बच्चों को कभी अपना क्रेडिट कार्ड न दें। क्रेडिट कार्ड उनकी बचत संबंधी आदतें बिगाड़ सकता है। दरअसल क्रेडिट कार्ड उनके पैसे खर्च करने के पेटर्न को पूरी तरह बदल सकता है। अगर कभी कार्ड के जरिए ज्यादा पैसे खर्च हो गए तो आपका उसपर भी कंट्रोल नहीं रहेगा। फिर खर्च किए गए पैसे का बिल तो आपको ही भरना है। इसलिए क्रेडिट कार्ड बच्चों से हमेशा दूर रखें।

अगर इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप बच्चों को वित्तीय मामलों की जानकारी देंगे तो ये उन्हें जीवन में न सिर्फ आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगा बल्कि जीवन में एक सफल इंसान बनने में भी मदद करेगा।

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