प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने के हाईकोर्ट के फैसले पर मंथन शुरू : मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बताया कि फैसले का विधिक परीक्षण करने के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा।
लखनऊ : जनप्रतिनिधियों, नौकरशाहों व उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों के बच्चों को प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने के हाईकोर्ट के फैसले पर मंथन शुरू हो गया है। महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह का कहना है कि हाईकोर्ट के निर्णय का विधिक परीक्षण किया जा रहा हैं। कानून के दायरे में आगे निर्णय किया जाएगा। दूसरी ओर आइएएस व आइपीएस एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में कहा था कि सरकारी, अर्ध सरकारी सेवकों, स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों, न्यायपालिका एवं सरकारी खजाने से वेतन, मानदेय या धन प्राप्त करने वाले लोगों के बच्चे अनिवार्य रूप से बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ें।
हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को छह माह के अंदर इस पर अमल सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। फैसले पर बुधवार को विधि व न्याय विभाग में मंथन होता रहा। महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह का कहना है कि शिक्षा हर किसी का मौलिक अधिकार है। हाईकोर्ट के फैसले का परीक्षण कर रहे हैं। सभी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद कानून के दायरे में आगे का निर्णय किया जायेगा। इस संबंध में मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बताया कि फैसले का विधिक परीक्षण करने के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा।
खबर साभार : दैनिकजागरण
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