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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

एक स्कूल, पांच क्लास और गुरुजी बस एक : दिम्मेदारों का कहना है कि प्रशिक्षु शिक्षकों का प्रशिक्षण समाप्त हो गया है अब उन्हें विद्यालय भेजा जा जायेगा

एक स्कूल, पांच क्लास और गुरुजी बस एक : दिम्मेदारों का कहना है कि प्रशिक्षु शिक्षकों का प्रशिक्षण समाप्त हो गया है अब उन्हें विद्यालय भेजा जा जायेगा


गोंडा : केस-एक

नगर के प्राथमिक विद्यालय पुलिस लाइन में अकेले किरनलता श्रीवास्तव शिक्षिका ही कार्यरत हैं। यहां पर कक्षा एक से पांच तक की कक्षाएं चलती हैं। कोई और शिक्षक न होने के कारण एक साथ ही सभी बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हैं। भले ही उनकी किताबें अलग-अलग हों, लेकिन पढ़ते सब एक ही हैं।

केस-दो

गांधीपार्क के बगल स्थित प्राथमिक विद्यालय राधाकुंड की दशा भी यही है। यहां पर तैनात प्रधानाध्यापिका सरोजनंदनी के सेवानिवृत्त होने के बाद वित्तीय प्रभार एक-दूसरे शिक्षक को दे दिया गया। बावजूद इसके शिक्षण कार्य के लिए सिर्फ एक ही शिक्षिका मोनिका गुप्ता कार्यरत हैं। वह सुबह से दोपहर तक सभी बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाती हैं। दोपहर बाद पांचवीं के बच्चों की अलग से क्लास लेती हैं।

केस-तीन

प्राथमिक विद्यालय अलावल देवरिया प्रथम में एक शिक्षिका व एक शिक्षामित्र के भरोसे 108 बच्चों की शिक्षा है। यहां पर भी बच्चों को एक साथ बैठाकर उन्हें ककहरा पढ़ाया जाता है।

केस-चार

मुख्यालय स्थित फखरुद्दीन अली अहमद राजकीय इंटर कालेज भी शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। यहां पर 35 स्वीकृत पद के सापेक्ष सिर्फ 12 की ही तैनाती है। ¨हदी, गणित, नागरिक शास्त्र, अर्थशास्त्र जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं। यहां पर शिक्षकों की कमी के कारण कक्षाओं का वर्ग विभाजन समाप्त कर दिया गया है।

यह हाल सरकारी स्कूलों की दशा व दिशा बयां करने के लिए काफी है। जिले के 3100 परिषदीय स्कूलों में से करीब एक हजार स्कूलों में एक ही शिक्षक कार्यरत है। जिससे इन स्कूलों का शैक्षिक स्तर सुधारने के सारे प्रयास विफल हो जा रहे हैं। कई स्कूल तो ऐसे हैं, जो सिर्फ शिक्षामित्रों के भरोसे चल रहे हैं। समय से शिक्षकों के स्कूल न आने की शिकायतें विभाग के पास पहुंच रही हैं। जिस पर अधिकारी कार्रवाई का भरोसा तो दिला रहे हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण वह भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। माध्यमिक स्तर के सरकारी स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी सबसे बड़ी समस्या है। नए खुले राजकीय कालेजों में तो सिर्फ एक ही शिक्षक कार्यरत है। ऐसे में स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार कैसे हो, यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है। इससे इतर कान्वेंट स्कूलों में हर विषय के अलग-अलग शिक्षकों के साथ ही अन्य सुविधाएं बच्चों को मुहैया कराई जा रही हैं। जबकि वहां पर तैनात शिक्षकों का वेतन सरकारी स्कूलों के अध्यापकों से काफी कम है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को 29 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक का वेतन मिल रहा है, जबकि कान्वेंट स्कूलों में दो हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक ही वेतन दिया जा रहा है। हालांकि उच्च न्यायालय के सरकारी स्कूलों में नेताओं, अधिकारियों व कर्मचारियों के बच्चों के पढ़ाने संबंधी जारी किए गए आदेश से स्कूलों का शैक्षिक स्तर सुधरने की उम्मीद जताई जा रही है।

इनसेट

बोले जिम्मेदार

-जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. फतेह बहादुर ¨सह का कहना है कि चार हजार प्रशिक्षु शिक्षक प्रशिक्षण पर हैं। प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद उन्हें स्कूलों में तैनात कर दिया जाएगा। जिससे एकल शिक्षक वाले विद्यालयों में शिक्षकों की कमी समाप्त हो जाएगी। साथ ही शैक्षिक गुणवत्ता की निगरानी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

-प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक राम ¨सह का कहना है कि शिक्षकों की कमी से काफी दिक्कतें आ रही हैं। इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है। बावजूद इसके शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

       खबर साभार : दैनिकजागरण

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