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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

डायट में उल्टी गंगा, संबद्ध शिक्षकों से कौन ले पंगा! : आदेशों की धज्जियां उड़ा वर्षों से डायट में डटे हैं संबद्ध शिक्षक;वर्षों से डायट में संबद्ध हैं ये शिक्षक

डायट में उल्टी गंगा, संबद्ध शिक्षकों से कौन ले पंगा! : आदेशों की धज्जियां उड़ा वर्षों से डायट में डटे हैं संबद्ध शिक्षक;वर्षों से डायट में संबद्ध हैं ये शिक्षक

"शिक्षा निदेशक बेसिक दिनेश चन्द्र कनौजिया द्वारा वर्ष 2011 में आदेश जारी किया गया है कि संबद्ध शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से कार्य मुक्त किया जाय और उनके मूल तैनाती के स्थान पर भेजा जाय। यह भी निर्देश दिया गया कि यदि वे अपने मूल तैनाती के स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने हेतु कार्यमुक्त नहीं होते हैं तो उनका वेतन रोक दिया जाए।"

रायबरेली। सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम कानून बनाकर स्कूली शिक्षा को अनिवार्य भले बना दिया हो लेकिन जिलों में इस कानून के अनुपालन में सिर्फ माखौल उड़ाया जा रहा है। सरकार ने संबद्धता को लेकर चाहे जितने शासनादेश जारी कर रखे हाें किन्तु यहां के हठधर्मी शिक्षक कार्यालयों में आठ घंटे फाइलें ढोना पसन्द कर लेंगे मगर उन्हें स्कूलों में चार घंटे पढ़ाना मंजूर नहीं।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की प्राचार्य की हिटलरशाही और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की उदासीनता का नमूना है कि आधा दर्जन से अधिक शिक्षक डायट में वर्षों से संबद्ध हैं जबकि जिन स्कूलों के यह शिक्षक हैं वहां शिक्षकों का टोटा है। यह बात तो कई बार सामने आयी, डीएम और बीएसए से शिकायतें भी हुई लेकिन इन संबद्ध शिक्षकों की उच्च स्तरीय पकड़ व पहुंच देखकर पिछले जिलाधिकारियों व बेसिक शिक्षा अधिकारियों की हिम्मत डोल गई।

आज तक किसी ने पत्राचार कर यह तक पूछने की हिम्मत नहीं जुटाई की डायट में जो शिक्षक संबद्ध किए गए हैं वह किसके आदेश से संबद्ध हैं? डायट में जूनियर स्कूलों के नौ शिक्षकों को संबद्ध किया गया है। इनमें से अधिकतर शिक्षकों की संबद्धता का आदेश बेसिक शिक्षा विभाग से जारी ही नहीं हुआ। सारे आदेश डायट ने स्वयं जारी किए हैं। आधा दर्जन शिक्षक वर्ष 2008 से संबद्ध हैं जबकि तीन शिक्षकों को क्रमश: 2002, 2006 तथा 2007 से संबद्ध किया गया है।

शासनादेश की धज्जियां उड़ाकर डायट से संबद्ध हुए शिक्षकों को आज तक यहां से हटाने की हिम्मत नहीं की गई। इनमें से अधिकतर शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने ज्वानिंग के साथ ही खुद को डायट से संबद्ध करा लिया और डायट से संबद्धता होने के कारण प्रमोशन समिति की अध्यक्ष डायट प्राचार्य ने इन्हें प्रमोशन भी दे दिया। जबकि नियमत: जब तक कोई शिक्षक किसी विद्यालय में पांच वर्ष तक अध्यापन कार्य नहीं कर लेता तब तक उसे प्रमोशन नहीं दिया जा सकता। जब शिक्षकों ने स्कूल में पढ़ाया ही नहीं तो इनके पास अनुभव कहां से आया यह बड़ा सवाल है।

हालांकि डायट के अनुसार शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत डायट में संचालित प्रशिक्षणों की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु शिक्षण एवं प्रशिक्षण का कार्य इनसे लिया जा रहा है लेकिन फिर भी सवाल शिक्षा निदेशक का वह शासनादेश खड़ा करता है जो उनके द्वारा 2011 में संबद्धता को लेकर जारी किया गया है।

किसी ने नहीं दिखाई संबद्धता के बारे में पूछने की हिम्मत

नाम विद्यालय ब्लाक संबद्ध.  वर्ष
मुदिता बाजपेयी पूमावि रोझइया जगतपुर 2002
चन्दना गोस्वामी पूमावि गढ़ी खास अमावां 2006अभिवेक श्रीवास्तव पूमावि डेडैया अमावां 2007डॉ. राम निहोर सिंह पूमावि खोरहटी राही 2008डॉ. अभिषेक द्विवेदी पूमावि पूरे नक्की अमावां 2008सूर्य प्रकाश पूमावि हरियावां अमावा 2008राजेन्द्र वर्मा पूमावि कैथवल ऊंचाहार 2008विनीत श्रीवास्तव पूमावि खैरहना अमावां 2008आशुतोष तिवारी पूमावि बरऊवा सतांव 2008

क्या है निदेशक का आदेश

रायबरेली। शिक्षा निदेशक बेसिक दिनेश चन्द्र कनौजिया द्वारा वर्ष 2011 में आदेश जारी किया गया है कि संबद्ध शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से कार्य मुक्त किया जाय और उनके मूल तैनाती के स्थान पर भेजा जाय। यह भी निर्देश दिया गया कि यदि वे अपने मूल तैनाती के स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने हेतु कार्यमुक्त नहीं होते हैं तो उनका वेतन रोक दिया जाए।

              खबर साभार : डीएनए

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