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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

निजी हाथों में जायेंगे मॉडल स्कूल : केन्द्रीय मदद बन्द होने पर सरकार कर रही पीपीपी मॉडल (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ) के जरिए स्कूलों के संचालन पर विचार-

निजी हाथों में जायेंगे मॉडल स्कूल : केन्द्रीय मदद बन्द होने पर सरकार कर रही पीपीपी मॉडल (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ) के जरिए स्कूलों के संचालन पर विचार-

लखनऊ | सरकारी पैसे से बने यूपी के मॉडल स्कूलों को अब निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। केंद्र सरकार की ओर से मदद बंद होने के बाद प्रदेश सरकार इस विकल्प पर भी विचार कर रही है। हालांकि इस पर निर्णय अगले हफ्ते मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने वाली गवर्निंग बॉडी की बैठक में लिया जाएगा। इसमें पीपीपी मॉडल (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ) के जरिए स्कूलों के संचालन पर भी विचार किया जाएगा।

"सरकारी पैसे से बिल्डिंग बनी हैं। इन्हें निजी हाथों में सौंपना ठीक नहीं है। निजी हाथों में जाने से शिक्षा माफिया इन पर हावी हो सकते हैं। महंगी फीस भी वसूली जा सकती है। सरकारी पैसे का फायदा स्कूल प्रबंधन में शामिल लोग उठाएंगे।"
-पीएन पांडेय, अध्यक्ष, राजकीय शिक्षक संघ

"इस बारे में अभी कुछ तय नहीं है। गवर्निंग बॉडी की बैठक में ही तय होगा कि किस तरह स्कूलों का संचालन किया जाए। केंद्र से मदद नहीं मिलनी है तो ऐसे में कई विकल्पों पर विचार किया जाएगा ताकि ठीक से इनका संचालन किया जा सके।"
-जितेंद्र कुमार, प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा

सांसद-विधायक भी हो सकते हैं शामिल-

अब सरकार फिर नए सिरे से इनके संचालन के विकल्प तलाश रही है। हाल ही में हुई शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक में कई रास्तों पर विचार किया गया है। इसमें सरकार और कुछ निजी संस्थानों के साथ मिलकर इनका संचालन करने पर चर्चा हुई। इसमें विधायकों और सांसदों को भी प्रबंधन में शामिल किए जाने की बात हुई। इसके पीछे मंशा यह है कि सरकार का नियंत्रण रहे और अन्य संसाधनों के लिए निजी स्रोतों से पैसा जुटाया जाए। वहीं पुराने दो विकल्प यह भी हैं कि सामान्य राजकीय स्कूलों की तरह सरकार खुद इनका संचालन करे या फिर पहले केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर सरकार सीबीएसई बोर्ड से इनका संचालन करे।

सीबीएसई से मिलनी थी मान्यता-

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर प्रदेशों में मॉडल स्कूल खोले जाने थे। इनके लिए 75 प्रतिशत धनराशि केंद्र और 25 प्रतिशत राज्य सरकार को खर्च करनी थी। 293 मॉडल स्कूलों को केंद्र से मंजूरी भी मिल गई। ज्यादातर स्कूलों की बिल्डिंग भी बन चुकी है। प्रदेश सरकार ने यह भी तय कर लिया था कि केंद्रीय विद्यालय की तरह इनका संचालन भी सीबीएसई से किया जाएगा।

पिछले दिनों 2,051 शिक्षकों की नियुक्ति का विज्ञापन भी जारी हो गया। इसी बीच मार्च में हुई बैठक में केंद्र ने स्कूलों के संचालन के लिए मदद से इनकार कर दिया। केंद्र ने कहा कि राज्य खुद स्कूल चलाएं। फिर प्रदेश सरकार ने शिक्षकों की नियुक्तियों पर रोक लगा दी।

        खबर साभार : नवभारत टाइम्स

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