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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

अब बच्चों की और अच्छी सेहत बनाएगा मिड डे मील : अधिक पौष्टिकता के लिए गेहूं की 7 विशेष प्रजातियां स्वीकृत-

अब बच्चों की और अच्छी सेहत बनाएगा मिड डे मील : अधिक पौष्टिकता के लिए गेहूं की 7 विशेष प्रजातियां स्वीकृत-

एमडीएम पौष्टिकता मानक-

प्रतिछात्र प्रतिदिन-गेहूं-चावल 

~प्राथमिक कक्षाओं में 100 ग्राम

~जूनियर कक्षाओं में 150 ग्राम

~न्यूनतम कैलोरी प्राथमिक  450

~जूनियर में  700

~न्यूनतम प्रोटीन प्राथमिक में 12

~जूनियर में  20 ग्राम

कानपुर : प्रदेश के स्कूलों में अध्ययनरत लाखों बच्चों को मजबूत व स्वस्थ बनाने के लिए अब अधिक आयरन व जिंक वाले गेहूं से तैयार मध्याह्न् भोजन (एमडीएम) मिलेगा। यह गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अधिक पौष्टिकता के अन्न उत्पादन की मंशा को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पूरा करने जा रहा है। यहां के वैज्ञानिकों की निकाली गईं गेहूं की सात प्रजातियां एमडीएम के लिए प्रमाणिक व अधिक पौष्टिक मानी गई हैं। इन प्रजातियों के गेहूं के अधिकतम उत्पादन की रणनीति तैयार होगी।

मध्याह्न् भोजन प्राधिकरण बच्चों को पौष्टिक भोजन देने की जिम्मेदारी निभाता है। प्राधिकरण ने पौष्टिकता के मानक तय किए हैं। फिलहाल भोजन आपूर्ति करने वालों को चावल व गेहूं के साथ कन्वर्जन चार्ज दिया जाता है। वह गेहूं से रोटी व दलिया तैयार करके बच्चों को परोसते हैं। प्राधिकरण ने अधिक पौष्टिकता वाले गेहूं की तलाश शुरू की तो सीएसए की सात उन्नत प्रजातियां बच्चों के लिए अधिक पौष्टिक पाई गयीं।  उनको एमडीएम के लिए स्वीकृत कर लिया गया। भविष्य में बच्चों को इसी गेहूं से तैयार खाद्य सामग्री परोसी जाएगी। जिन प्रजातियों का चयन किया गया उन्हें न्यूटी फार्मिग के अंतर्गत राष्ट्रीय बीज श्रृंखला में दर्ज कर लिया गया है। प्रदेश में इसके अधिकतम जनक बीज बनाने की तैयारी चल रही है। 

             ये हैं प्रजातियां !

वैसे तो सीएसए ने गेहूं की दर्जनों उन्नत प्रजातियां निकाली हैं परंतु मिडडे मील के लिए शेखर (1006), देवा, हलना, उन्नत हलना, ममता, माया व शताब्दी का विशेष रूप से चयन किया गया है क्योंकि इनमें बच्चों के स्वास्थ्य के लिए मुफीद आयरन व जिंक की मात्र अधिक होती है। ब्रेड समुदाय की इन प्रजातियों की चपाती भी अपेक्षाकृत अधिक मुलायम व स्वादिष्ट बनती है। हरी सब्जियों के साथ उसकी रोटी पौष्टिकता को और बढ़ा देती है। 

गेहूं की इन प्रजातियों में पौष्टिकता अधिक है। बच्चों को अधिक प्रोटीन मिलेगी। भीग जाने पर भी रोटी अच्छी बनती है। इनका चयन होना सीएसए के लिए गर्व की बात है।
- डॉ. हरज्ञान प्रकाश, शोध निदेशक सीएसए

शताब्दी, शेखर व दूसरी प्रजातियों के लिए उप्र की जलवायु अनुकूल है। इसलिए इनका अधिक उत्पादन किया जा सकता है। इनसे तैयार भोजन बच्चों के लिए ज्यादा स्वाथ्यवर्धक होगा। 
- डॉ. एलपी तिवारी, पूर्व निदेशक शोध व गेहूं अभिजनक

        खबर साभार :  दैनिकजागरण

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