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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

शिक्षक भर्ती;गैर टी0ई0टी0 पास शिक्षकों को तुरंत हटाए यूपी सरकार;सरकार उन अभ्यर्थियों के नाम ऑनलाइन करे : अंतिम सुनवाई की तिथि 6 और 13 जुलाई निर्धारित-

शिक्षक भर्ती;गैर टी0ई0टी0 पास शिक्षकों को तुरंत हटाए यूपी सरकार;सरकार उन अभ्यर्थियों के नाम ऑनलाइन करे : अंतिम सुनवाई की तिथि 6 और 13 जुलाई निर्धारित-


नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि गैर टीईटी पास लोगों को तुरंत प्रभाव से शिक्षक पद से हटाया जाए। ये लोग गैर कानूनी तरीके से भर्ती हो गए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि वह सभी उम्मीदवारों के नाम इंटरनेट पर डाले, जिन्हें नियुक्त किया गया है। सरकार को इसके लिए तीन हफ्ते का समय दिया गया है।

जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने मंगलवार को आदेश देते हुए इस मामले की अंतिम सुनवाई के लिए जुलाई की 6 और 13 तारीख तय की हैं। कोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि कोर्ट के आदेश पर भर्ती किए जा रहे शिक्षकों को नौकरी में कोई अधिकार नहीं मिलेगा। उनकी नियुक्ति याचिकाओं के नतीजे पर निर्भर करेगी। कोर्ट ने यह आदेश एक याचिका पर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फर्जी तरीके से भर्तियां हो रही हैं और कई ऐसे लोग भर्ती हो गए हैं, जो टीईटी पास नहीं हैं।

सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने बताया कि अब तक 54,464 शिक्षकों ने नौकरी ज्वाइन कर ली है और भर्ती प्रक्रिया जारी है। कोर्ट ने 24 फरवरी को आदेश दिया था कि यूपी सरकार सभी 72 हजार से ज्यादा भर्तियां पूरी करे। तब से सरकार भर्तियां कर रही है।

मामला भर्ती के निमयों में बदलाव का है। सरकार का कहना है कि भर्ती का आधार सिर्फ टीईटी ही नहीं होना चाहिए। उसके लिए शैक्षणिक योग्यता भी देखनी चाहिए। उम्मीदवारों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उसके बाद गत वर्ष यह मामला सुप्रीम कोर्ट आ गया।

            यह है मामला-

तत्कालीन मायावती सरकार ने नवंबर 2011 में प्रदेश के स्कूलों में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। ये भर्तियां शिक्षक योग्यता परीक्षा (टीईटी) के जरिए होनी थीं। परीक्षा में तमाम छात्र बैठे और पास हुए, लेकिन इस बीच मई 2102 में सरकार बदल गई। अखिलेश यादव सरकार ने भर्ती के नए मानक बनाए। इनमें टीईटी के साथ-साथ शैक्षणिक योग्यता को भी मेरिट में जोड़ने का प्रावधान कर दिया गया। छात्रों ने इस प्रावधान को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी।

छात्रों की याचिका पर हाईकोर्ट ने मई 2012 में ही इस प्रावधान को रद्द कर दिया और सरकार के नवंबर 2011 के विज्ञापन को सही ठहरा कर टीईटी मेरिट की योग्यता के आधार पर ही भर्ती करने का आदेश दिया। इस आदेश को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि छात्रों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को ध्यान में रखना आवश्यक है। टीईटी महज एक योग्यता परीक्षा है, जिसके आधार पर छात्रों की शैक्षणिक योग्यता का पता नहीं चलता।

        खबर साभार : हिन्दुस्तान

72,825 हजार शिक्षकों की नियुक्ति पर लटकी तलवार;सरकार वेबसाइट पर जारी करे लिस्ट : कोर्ट-

नई दिल्ली (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में जारी 72,825 शिक्षकों की भर्ती पर तलवार लटकती नजर आ रही है। भर्ती प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर आरोप सही पाए गए तो सभी नियुक्तियां रद्द हो जाएंगी।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मंगलवार को सुनवाई के दौरान अभ्यर्थियों की ओर से पेश वकील ने कहा कि बगैर टीईटी के ही करीब 20 हजार नियुक्तियां हुई हैं। इस पर पीठ ने कहा कि अगर ऐसा है तो यह बेहद गंभीर मामला है। हालांकि अदालत ने शिकायतकर्ता को हलफनामे के जरिये अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। पीठ ने कहा कि हलफनामा देखने के बाद आगे की कार्रवाई होगी।

अभ्यर्थियों के आरोप : 20 हजार नियुक्तियां ऐसे लोगों की हुई हैं जो टीईटी पास नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने चेताया : मामला गंभीर है। आरोप सही हुए तो नियुक्तियां रद्द होंगी।

सरकार वेबसाइट पर जारी करे लिस्ट : कोर्ट

राज्य सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 72,825 में से 54,146 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। बाकी नियुक्तियां भी जल्द हो जाएंगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सरकार नियुक्त किए गए शिक्षकों की सूची वेबसाइट पर जारी करे।

          ऐसेे हो रहा खेल-

प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी पाने के खेल में बेसिक शिक्षा अधिकारी भी शामिल हैं। एससीईआरटी ने वर्ष 2011 में हुई टीईटी के प्रमाणपत्रों को ऑनलाइन कर दिया है। बेसिक शिक्षा अधिकारियों को साफ निर्देश है कि वे टीईटी प्रमाणपत्रों का मिलान किए बिना नियुक्ति पत्र नहीं देंगे। इसके बाद भी कई जिलों में नियुक्ति पत्र बांट दिए गए। सूत्रों का कहना है कि फर्जी प्रमाण पत्र में रोल नंबर से लेकर अंक तक गड़बड़ भरे गए हैं।

        खबर साभार : अमरउजाला

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