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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

जून-जलाई में मिलेंगीं बच्चों को किताबें (books) : पढ़ाई पर संकट प्राइमरी स्कूलों में नया सत्र अप्रैल से, किताबें जून से पहले छपनी मुश्किल-

जून-जलाई में मिलेंगीं बच्चों को किताबें (books) : पढ़ाई पर संकट प्राइमरी स्कूलों में नया सत्र अप्रैल से, किताबें जून से पहले छपनी मुश्किल-

१-मानक के अनुरूप कागज की शर्त न होने पर टेंडर स्थगित
२-जून-जुलाई तक मिल पाएंगी किताबें
३-कोर्ट के आदेश के अनुरूप नहीं था कागज

लखनऊ | प्राइमरी स्कूलों का नया सत्र तो सरकार अप्रैल में शुरू करने जा रही है लेकिन इस बार बच्चों को किताबें और लेट मिलेंगीं। इसकी वजह है कि पहले से ही लेट चल रही किताब छपाई की प्रक्रिया अब एक बार फिर अटक गई है। टेंडर होने के बाद सरकार ने उसे स्थगित कर दिया है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि किताबें इको फ्रेंडली कागज पर छपनी थीं। लेकिन अफसरों ने सामान्य री-साइकिल्ड कागज पर छापने का विज्ञापन टेंडर के लिए जारी कर दिया था। अफसरों की इस गलती का खामियाजा बच्चे भुगतेंगे। 

जून-जुलाई तक मिल पाएंगी किताबें-

यदि हफ्ते भर के अंदर भी नया टेंडर होता है तो 15 दिन टेक्निकल बिड और फिर 15 दिन फाइनेंसियल बिड खोलने के लिए चाहिए। उसके बाद प्रकाशकों को छपाई के लिए कम से कम एक महीना देना होगा। किताबें छपने के बाद उनकी जांच केंद्रीय स्तर पर कराई जानी है। इसके लिए 15 दिन चाहिए। यहां से जिलों में किताबें पहुंचाने और फिर ब्लॉक व स्कूल तक पहुंचाने में समय लगेगा। इस तरह कम से कम तीन-चार महीने लगेंगे। इस तरह बच्चों को जून-जुलाई तक ही किताबें मिल पाएंगीं। मतलब यह कि एक अप्रैल से दो-तीन महीने तक बच्चों को बिना किताबों के ही स्कूल जाना होगा। इस बारे में पाठ्य-पुस्तक अधिकारी पवन सचान कहते हैं कि शासन ने एक हफ्ते के लिए प्रक्रिया स्थगित की है। जैसे ही नए आदेश हो जाएंगे, किताबों की छपाई की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

कोर्ट के आदेश के अनुरूप नहीं था कागज-

नया सत्र एक अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। यदि इससे पहले बच्चों को मुफ्त किताबें देनी हैं तो जनवरी से पहले किताबों की छपाई का काम शुरू हो जाना चाहिए था। सरकार ने पहले से ही प्रक्रिया लेट कर दी। इसके लिए 28 फरवरी को टेंडर का विज्ञापन जारी किया गया। कोर्ट के आदेश के अनुसार कवर पेज और अंदर का कागज दोनों ही ईको फ्रेंडली होना चाहिए था। टेंडर में जो विज्ञापन जारी किया गया, उसमें कवर पेज के लिए तो ईको फ्रेंडली कागज की बात कही गई थी लेकिन अंदर के पेज के लिए यह शर्त नहीं रखी गई। इसकी शिकायत की गई तो शासन ने यह टेंडर स्थगित करने के आदेश दिए हैं। 

       खबर साभार : नवभारत टाइम्स

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