सत्र समाप्ति पर पुस्तकें जमा कराकर अगले साल वितरित करने पर होगा विचार : काली सूची में डाले जाएंगे घटिया पुस्तक छापने वालेमुद्रक-प्रकाशक-
लखनऊ। बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि मानक के अनुसार पुस्तकों की छपाई न करने वाले मुद्रकों व प्रकाशकों को काली सूची मेें डाला जाएगा और भविष्य में उन्हें काम नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों में समय से पुस्तकें वितरित कराने का प्रयास किया जा रहा है। ज्यादातर स्कूलों में जुलाई में ही पुस्तकें वितरित की गई हैं। सत्र समाप्त होने के बाद पुस्तकें जमा कराकर अगले वर्ष के छात्रों को वितरित करने के सुझाव पर उन्होंने कहा कि इस बारे में अधिकारियों से बातचीत करके निर्णय लिया जाएगा।
भाजपा के डॉ. लक्ष्मी कांत बाजपेयी के एक सवाल के जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्कूलों में छात्रों को मुफ्त पाठ्य पुस्तक देने की व्यवस्था 2005-06 से है। पाठ्य पुस्तकों का मुद्रण एवं प्रकाशन टेंडर से प्राप्त न्यूनतम दर के आधार पर चयनित मुद्रकों और प्रकाशकों से कराया जाता है। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ मामलों की जांच में आंशिक रूप से अधोमानक छपाई या देर से आपूर्ति पाई गई। गुणवत्ता में कमी पर संबंधित मुद्रक-प्रकाशक के भुगतान से 30 फीसदी की कटौती की जाती है। अनुपूरक सवालों के जवाब में मंत्री ने बताया कि जो प्रकाशक टेंडर मेें हिस्सा लेते हैं उन्हीं में से न्यूनतम दर को स्वीकार किया जाता है।
सवालों के जवाब में चौधरी ने कहा कि पहले मानक के अनुरूप छपाई न करने वालों को काली सूची में डालने का प्रावधान नहीं था लेकिन अब यह प्रावधान किया जा रहा है। किताबों के वितरण में विलंब के सवाल पर उन्होंने कहा कि समय पर ही पुस्तकें बांटी जाती है। पहले सरकारी स्कू लों, फिर उर्दू के छात्रों और इसके बाद एडेड स्कूलों के छात्रों को पुस्तकें दी जाती हैं। बसपा के नीरज मौर्य ने कहा कि गुणवत्तायुक्त पुस्तकें छपवाई जाएं और सत्र पूरा होने पर पुरानी किताबें जमाकर अगले साल उन्हें फिर वितरित करा दिया जाए। इससे पैसा बचेगा। मंत्री ने कहा कि हर साल नई किताबें छपवाकर दी जाती हैं। अमेरिका में पुस्तकें जमा कराने की व्यवस्था है। यहां भी लागू करने के संबंध में अफसरों से बात की जाएगी।
अनुदेशकों के मानदेय में वृद्धि नहीं :-
भाजपा के सुरेश खन्ना के एक सवाल के जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 31 जनवरी 2013 के शासनादेश के प्रावधानों के अनुसार अंशकालिक अनुदेशकों को संविदा पर वर्ष 2013-14 में 7000 रुपये प्रतिमाह के नियत वेतन पर तैनात किया गया है।
मानदेय बढ़ाने पर सरकार कोई विचार नहीं कर रही है। संविदा पर तैनात अनुदेशकों के लिए केंद्र द्वारा 2014-15 में 7000 रुपये प्रतिमाह की दर से मानदेय के लिए बजट अनुमोदित किया गया है।
इसके अनुसार ही अंशकालिक अनुदेशकों को मानदेय दिया जाता है। वहीं बसपा के देव नरायन उर्फ जीएम सिंह के सवाल के जवाब में चौधरी ने बताया 18 जुलाई 2013 के शासनादेश के जरिये निशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2008 के प्रावधानों के तहत बच्चों का बोझ कम करने के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में राज्य सलाहकार परिषद गठित है।
शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या पता नहीं-
कांग्रेस के नदीम जावेद के सवाल के जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। ऐसी स्थिति में रिक्त पदों की वास्तविक संख्या उपलब्ध कराना संभव नहीं है। विद्यालयों में रिक्तियों के सापेक्ष स्नातक बीटीसी डिग्रीधारी तथा टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों तथा कार्यरत शिक्षा मित्रों के समायोजन से रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है।
खबर साभार : अमरउजाला
0 Comments