सूबे में 42 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार : विधानसभा में सरकार ने माना,कहा;आयरन, फोलिक एसिड देकर दूर कर रहे कुपोषण-
लखनऊ (एसएनबी)। उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को विपक्ष ने राज्य में बच्चों में कुपोषण के बढ़ते प्रभाव और उस पर अंकुश लगाने की नाकाम कोशिशों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की। हंगामे के माहौल में सरकार ने स्वीकार किया कि प्रदेश में 42 प्रतिशत बच्चे कुपोषित है। बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविन्द चौधरी ने सदन में यह भी माना कि कुपोषण पर अंकुश लगाने में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पायी है पर सरकार इस दिशा में लगातार प्रयासरत है। सदन में प्रशन प्रहर में भारतीय जनता पार्टी के डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने एक सवाल के जरिये सरकार से प्रदेश के विभिन्न सरकारी, निजी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के अध्ययनरत छात्र-छात्राओं में कुपोषण के संबंध कराई गई जांच रिपोर्ट का विवरण जानना चाहा था। जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी प्राथमकि तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 42 प्रतिशत बच्चे कुपोषित है। उन्होंने कहा कि कुपोषण को रोकने के लिए बेसिक शिक्षा, स्वास्थ्य और बाल पुष्टाहार विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। इन तीनो विभागों की कुपोषण समाप्त करने की सामूहिक जिम्मेदारी है। चौधरी ने कहा कि कुपोषण से निबटने के लिए डाक्टरों की सलाह पर बच्चों को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां दी जा रही हैँ। डा. अग्रवाल और भाजपा के ही डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि इन दोनों गोलियों से कुपोषण दूर नहीं होता। बच्चों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा हह। डा. अग्रवाल ने कहा कि यदि 42 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय सही इलाज नहीं कर रहा है, तो यह गंभीर मामला है। एक विभाग दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डालकर बच नहीं सकता। उनका कहना था कि आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां देकर कुपोषण दूर करने की कोशिश का मतलब, सलाह देने वाले डाक्टरों का चयन गलत किया गया है। डा बाजपेयी कुपोषण के कारणों के बारे में जानना चाह रहे थे जबकि भाजपा के ही सुरेश खन्ना ने मामले को गंभीर बताते हुए इस पर र्चचा कराने की मांग की। वह यह भी जानना चाहते थे कि बाल विकास पुष्टाहार विभाग की स्थापना के बाद कुपोषण कितने फीसदी बढा है। चौधरी ने बताया कि कुपोषण से निबटने के लिए विपक्ष के घेरने पर बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा-अंकुश लगाने में नहीं मिली है अपेक्षित सफलता मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कुपोषण मिशन का गठन किया गया है। इसी तरह की कमेटी जिलों में भी गठित की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह एक दिन का मामला नहीं है। कुपोषण दूर करने के लिए सरकार कटिबद्ध है। केवल आलोचना से काम नहीं चलेगा। इसके लिए सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मिल जुलकर काम करना होगा। उन्होंने सदन को विास दिलाया कि कुपोषण दर घटेगा। बसपा के नीरज कुशवाहा ने कहा कि कुपोषण समाप्त करने के लिए जिलों में बनी समितियों के पास कोई बजट ही नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके जिले शाहजहांपुर में कुपोषण समाप्त कराने के लिए बनी इस कमेटी के लिए जिलाधिकारी चन्दा ले रहे है। चौधरी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में अक्टूबर से दिसम्बर तक राज्य के कुल एक लाख 12 हजार 845 स्कूलों में पढने वाले 76 लाख दो हजार नौ सौ छात्रों का परीक्षण कराया गया।
खबर साभार : राष्ट्रीयसहारा
सूबे में 42 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार : विधानसभा में सरकार ने माना,कहा;आयरन, फोलिक एसिड देकर दूर कर रहे कुपोषण-
१-मंत्री बोले- जैसी डॉक्टर की सलाह वैसी दवा भाजपा व बेसिक शिक्षा मंत्री में तीखी झड़प
२-आयरन, फोलिक एसिड देकर दूर कर रहे कुपोषण
लखनऊ। सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में बताया कि प्रदेश में कराए गए सर्वे में 42 फीसदी बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। कुपोषण दूर करने के लिए बच्चों को आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां तथा कीड़ा मारने वाली दवा दी जाती है। कुपोषण को लेकर भाजपा सदस्यों की बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी से तीखी झड़प भी हुई। सदस्यों ने स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े किए तो मंत्री ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि डॉक्टर जैसी सलाह देते हैं उसी के अनुसार दवा दी जाती है। इसमें शिक्षा विभाग का क्या दोष है? चौधरी ने कहा, बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कुपोषण मिशन बनाया गया है जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा व बाल विकास विभाग शामिल हैं। सरकार मिड डे मील योजना में भी बच्चों को पौष्टिक आहार देकर उन्हें कुपोषण से बचाने में लगी है।
प्रश्न प्रहर में इस मुद्दे पर लंबी बहस हुई। भाजपा सदस्यों ने अध्यक्ष से प्रश्न स्थगित करके अगले सत्र में दोबारा लेने का अनुरोध किया तो मंत्री ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि चाहे जितने सवाल पूछे जाएं वह उत्तर देने को तैयार हैं। प्रश्न स्थगित नहीं होगा। मूल सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा ‘राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम’ के तहत विद्यालयों के छात्र-छात्राओं का साल में दो बार स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है। 2014-15 में अक्तूबर से दिसंबर तक 1,12,845 स्कूलों के 76,02,900 छात्र-छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ। इन्हें आयरन, फोलिक एसिड व कीड़ामार दवाएं दी गईं।
डॉ. राधा मोहन अग्रवाल ने कहा, सरकार कुपोषण को लेकर गंभीर नहीं है। आयरन व फोलिक एसिड से हीमोग्लोबिन तो बढ़ सकता है पर कुपोषण दूर नहीं हो सकता। दर्द कहीं और दवा कहीं और की है। इस पर मंत्री ने कहा, आप जैसे डॉक्टर ही होते हैं परीक्षण करने वाले। डॉ. अग्रवाल ने कहा, मंत्री ने अपनी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग पर डाल दी। पता नहीं उनकी टिप्पणी स्वास्थ्य मंत्री पर है या डॉक्टरों पर। स्वास्थ्य मंत्री को इंगित करने से मामला गंभीर हो गया है। मंत्री बोले, उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री नहीं बल्कि आप जैसे डॉक्टरों पर आरोप लगाया है। डॉ. अग्रवाल नेे कहा, उनके जैसे डॉक्टरों पर अंगुली उठाने से कुछ नहीं होगा। यह सरकार का दायित्व है। अयोग्य चिकित्सकों की सलाह क्यों ली जाती है।
भाजपा के डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भी सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाए। पूछा, सर्वे में डॉक्टरों ने कुपोषण के क्या कारण और निदान बताए हैं? बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग कितने समय से चल रहा है। इसके बाद भी कुपोषण बढ़ गया। इसका फायदा क्या हुआ? मंत्री ने कहा, यह संवेदनशील मामला है।
इसीलिए कुपोषण मिशन का गठन हुआ है। इसे दूर करने को सरकार कटिबद्ध है।
जल्दी-जल्दी खड़े न हों, सुनने की आदत डालें-
कुपोषण पर बहस के दौरान जब डॉ. अग्रवाल सवाल पूछने खड़े हुए तो पहले से जवाब दे रहे बेसिक शिक्षा मंत्री ने उन्हें टोकते हुए कहा, जल्दी-जल्दी खड़े न होइए। सुनने की भी आदत डालिए। डॉ. अग्रवाल अनुपूरक सवाल पूछने खड़े हुए तो अध्यक्ष से बोले, आप भी मुस्कुरा रहे हैं। समझ रहे हैं। उनका इशारा सरकार के जवाब की तरफ था जिससे वह संतुष्ट नहीं थे।
खबर साभार : अमरउजाला
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