प्रोन्नति में आरक्षण का लाभ पाये दो लाख राज्यकर्मी होंगे डिमोट!
< राज्यसरकार ने सभी विभागों से मांगा ब्योरा सुप्रीम कोर्ट 1997 के बाद प्रोन्नत हुए कर्मियों को डिमोट करने का दे चुका है आदेश
लखनऊ (एसएनबी)। यूपी में प्रोन्नति में आरक्षण का लाभ पाने वाले दो लाख से ज्यादा अधिकारियों व कर्मचारियों पर पदावनति (डिमोट) का खतरा मंडरा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए राज्य सरकार ने प्रोन्नति पाने वाले अधिकारियों/ कर्मचारियों का ब्योरा तलब किया है। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने इस बारे में बुधवार की शाम एनेक्सी स्थित अपने कार्यालय में सभी विभागों के प्रमुख सचिवों/ सचिवों को बुलाया था। इन अधिकारियों से उन्होंने अपने-अपने विभाग में वर्ष 1997 के बाद से आरक्षण का लाभ देकर प्रोन्नति किए गये सभी संवर्ग के अधिकारी/कर्मचारियों का ब्योरा तैयार कराकर अगले 15 दिनों में देने को कहा है। प्रोन्नति में आरक्षण का सर्वाधिक लाभ पूर्ववर्ती मायावती सरकार में सरकारी अधिकारी/ कर्मचारियों को दिया गया था। इसको लेकर सवर्ण वर्ग के कर्मचारियों में आक्रोश था। तब इस
मुद्दे पर मायावती सरकार द्वारा जारी शासनादेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी थी।
उच्च न्यायालय ने सम्बंधित शासनादेश को खारिज कर दिया था। बावजूद इसके मायावती सरकार में प्रोन्नति में आरक्षण का लाभ कर्मचारियों को दे दिया गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी उच्च न्यायालय के आदेश को मान्य करते हुए प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को अमान्य करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के लाभ से प्रोन्नत हुए कर्मचारियों को डिमोट करने का आदेश दिया। मगर राज्य सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की। अब सवर्ण वर्ग के कर्मचारियों के संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर यूपी में प्रोन्नति में आरक्षण का लाभ पाने वाले कर्मचारियों को डिमोट करने के आदेश का पालन कराने का आग्रह किया है। इसी याचिका के मद्देनजर राज्य सरकार ने अब अपनी तैयारी शुरू की है। सुप्रीम कोर्ट ने यदि अपने पूर्व आदेश का पालन करने को कहा तो राज्य सरकार की मजबूरी बन जायेगी कि वह दो लाख से ज्यादा कर्मचारियों/अधिकारियों को डिमोट करे। इतना ही नहीं उन कर्मचारियों/अधिकारियों जो कि रिटायर हो चुके हैं उनकी पेंशन का भी फिर से निर्धारण करना होगा, क्योंकि ऐसे कर्मियों को प्रोन्नति का लाभ मिलने से उनका वेतनमान बढ़ा, जो उन्हें नहीं मिलता।
साभार : राष्ट्रीय सहारा

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