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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

BASIC SHIKSHA NEWS : अभ्यर्थियों के चयन में कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं

BASIC SHIKSHA NEWS : अभ्यर्थियों के चयन में कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं
   
प्रयागराज।69 हजार शिक्षक भर्ती को लेकर सोशल मीडिया पर जातिवार भ्रामक आंकड़े फैलाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद ने स्पष्ट किया है कि आवेदन में गलती के लिए अभ्यर्थी ही जिम्मेदार होता है।अभ्यर्थी का चयन पूरी पारदर्शिता के साथ होता है और इसमें किसी प्रकार का मानवीय हस्तक्षेप नहीं होता है। भ्रामक संदेश फैलाए जाने के मामले में बेसिक शिक्षा परिषद ने शिकायत दर्ज कराने के साथ यूपी पुलिस की साइबर सेल से भ्रामक संदेशों का परीक्षण कर उचित कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया है।पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर इस तरह की सूचनाएं वायरल हो रही हैं कि सामान्य श्रेणी के किसी अभ्यर्थी का चयन ओबीसी श्रेणी में हो गया है। इसी तरह अन्य कई प्रकार के संदेश वायरल यह प्रदर्शित करने की कोशिश की जा रही है कि शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग वालों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।जातिवार आंकड़ों से संबंधित सूचनाएं वायरल होने से अभ्यर्थियों के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। मामला बढ़ने पर अब उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से स्थिति स्पष्ट की गई है। परिषद के उप सचिव अनिल कुमार ने विज्ञप्ति जारी कहा है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन लिए गए थे। 

आवेदन पत्र में समस्त सूचनाएं अभ्यर्थी ही भरते हैं, जिसमें किसी प्रकार की गलती के लिए वे स्वयं जिम्मेदार हैं। ऑनलाइन आवेदन के बाद जनपद स्तर पर होने वाली काउंसलिंग का यह मतलब नहीं कि अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए पात्र हैं। काउंसलिंग में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों के शैक्षिक, जाति, निवास आदि से संबंधित मूल अभिलेख जमा करा लिए जाते हैं और इनका सत्यापन जनपद स्तर पर गठित समिति से कराया जाता है। अगर किसी अभ्यर्थी के अभिलेख में भिन्नता पाई जाती है तो जनपदीय चयन समिति की ओर से उसका अभ्यर्थन निरस्त कर दिया जाता है।


किसी भी अभ्यर्थी का चयन उसके द्वारा भरे गए आवेदन पत्र में अंकित विवरण के आधार पर समस्त नियमों का अनुपालन करते हुए आरक्षणवार/मेरिटवार एनआईसी द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर के माध्यम से पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाता है और यह बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के किया जाता है। ऐसे में व्हाट्सएप, सोशल साइट्स, सोशल मीडिया पर जातिवार/गलत प्रमाण के आधार पर चयनित आदि होने के बारे में भ्रामक या गलत संदेश देने वालों के खिलाफ विधिक कार्रवाई का निर्णय लिया गया है। बेसिक शिक्षा परिषद ने यूपी पुलिस की लखनऊ स्थित साइबर सेल से अनुरोध किया है कि ऐसे मामलों का परीक्षण कराकर भ्रामक संदेश फैलाने वालों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाए।

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