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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

SHIKSHAK BHARTI : 68500 भर्ती के तहत नौकरी को अभी भी भटक रहे सैकड़ों अभ्यर्थी

SHIKSHAK BHARTI : 68500 भर्ती के तहत नौकरी को अभी भी भटक रहे सैकड़ों अभ्यर्थी



प्रयागराज | बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती के दो साल पूरे होने के बावजूद सैकड़ों अभ्यर्थी भटक रहे हैं। अगस्त 2019 में 68500 भर्ती का परिणाम घोषित होने के 20 दिन में ही गड़बड़ी का खुलासा हो गया। कई फेल अभ्यर्थियों को पास और पास को फेल किया गया था। इसके बाद परिणाम को लेकर हाईकोर्ट में सैकड़ों याचिकाएं हुई। कॉपियों का दोबारा मूल्यांकन हुआ तो हजारों अभ्यर्थी दोबारा पास हुए। इसी क्रम में नरेन्द्र चतुर्वेदी व अन्य ने भी याचिका की थी।




अमेठी के समर जीत राव ने बताया कि याचिका का निस्तारण करते हुए हाईकोर्ट ने 22 अक्तूबर 2019 को लगभग 550 कापियों के पुनर्मूल्यांकन और तीन महीने में रिजल्ट घोषित करते हुए नियुक्ति देने का आदेश दिया था। लेकिन लगभग 7 महीने बीतने के बावजूद न ही रिजल्ट का पता है और न ही नियुक्ति पत्र का। गौरतलब है कि 68,500 भर्ती में 46352 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है।


एमआरसी अभ्यर्थियों ने मांगी मनपसंद जिले में तैनाती प्रयागराज। 68500 शिक्षक भर्ती में चयनित उच्च गुणांक वाले आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों (एमआरसी) ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को शुक्रवार को ज्ञापन देकर मनपंसद जिले में तैनाती मांगी है। बादल मलिक एवं शुभम सिंह ने बताया कि 29 अगस्त 2019 को हाईकोर्ट ने एनआरसी अभ्यर्थियों को आरक्षित श्रेणी में ही मानते हुए पुनः जिला आवंटन करने का आदेश दिया था सभी एमआरसी अभ्यर्थियों को 3 माह के अंदर अपना प्रत्यावेदन सचिव के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया था। प्रत्यावेदन देने के बाद 5 माह से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन कोई भी कार्रवाई अब तक नहीं की गई है।


550 कॉपियों की दोबारा जांच का आदेश
प्रयागराज। प्राथमिक विद्यालयों के लिए 2018 में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से परीक्षा कराई गई थी। शिक्षक भर्ती की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आने के बाद बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों ने कोर्ट से गुहार लगाई थी। इसी मामले में 22 अक्टूबर 2019 को हाईकोर्ट ने 550 कॉपियों को दोबारा जांचने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के सात महीने बीत जाने के बाद भी सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से इन उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन पूरा नहीं कराया गया जबकि कोर्ट ने अपने आदेश में तीन महीने में इन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पूरा करने का निर्देश दिया था।

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