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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

SOCAIL MEDIA, SHIKSHAMITRA, PRERAK : अखिलेश और योगी में छिड़ी 'ट्विटर वॉर', शिक्षामित्रों, शिक्षा प्रेरकों और टीईटी धारकों को 'चौकीदार' नहीं बल्कि स्थायी रोजगार चाहिए,'  जानें किसने क्या कहा

SOCAIL MEDIA, SHIKSHAMITRA, PRERAK : अखिलेश और योगी में छिड़ी 'ट्विटर वॉर', शिक्षामित्रों, शिक्षा प्रेरकों और टीईटी धारकों को 'चौकीदार' नहीं बल्कि स्थायी रोजगार चाहिए,'  जानें किसने क्या कहा


नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीम : Twitter War on Akhilesh yadav and Yogi Adityanath: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर अपनी नाकामियों से भागने के लिये विपक्ष की ही बातें करने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि शिक्षामित्रों, शिक्षा प्रेरकों और टीईटी धारकों को 'चौकीदार' नहीं बल्कि स्थायी रोजगार चाहिए।'


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस पर पलटवार करते हुए कहा कि जनता 'खानदानी भ्रष्टाचारियों' को उनके कुकर्मों की सजा देगी।' अखिलेश ने ट्वीट किया ''विकास पूछा रहा है... बीजेपी अपनी रैलियों में केवल विपक्ष की ही बातें क्यों कर रही है? क्या बीजेपी के पांच साल के शासनकाल में उनकी अपनी कोई भी सकारात्मक उपलब्धि नहीं है?'' उन्होंने कहा ''जनता के आक्रोश और हार के डर से बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता गर्मी का बहाना करके चुनाव प्रचार से बच रहे हैं।''

सपा प्रमुख ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों, बीपीएड एवं टीईटी डिग्रीधारकों, शिक्षा प्रेरकों, ग्राम रोजगार सेवकों, आंगनबाड़ी सहायिकाओं, आशा बहुओं, रसोइयों और अनुदेशकों को स्थायी रोजगार चाहिये, ना कि चौकीदार।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा ''भ्रष्टाचारियों के कुकर्म सामने आ रहे हैं, इन्होंने जनता को लूटा है। माननीय न्यायालय इन खानदानी भ्रष्टाचारियों को उनके कुकर्मों की सजा देगी।'' उन्होंने जनता का आह्वान करते हुए यह भी कहा ''इनसे सावधान रहिये, ये जेल जाने से बचने के लिये आपको जाति, धर्म के नाम पर बांटेंगे। चौकीदार के डर से सब चोर इकट्ठे हो गये हैं, लेकिन कब तक बचेंगे?''

■ शिक्षामित्रों के मुद्दे पर सियासत की जमीन पर ट्विटर वॉर अखिलेश बनाते रहे मुद्दा


■ जैसे-जैसे सियासी पारा गर्मा रहा है सरकारी स्कूलों में लगभग 1.70 लाख शिक्षामित्र और 33 हजार अनुदेशकों की समस्याएं सभी विपक्षी दलों को याद आ रही हैं और अब इनके बीच रार छिड़ी है।.


■ प्रियंका गांधी ने सोमवार को शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों की समस्याओँ पर ट्वीट कर इसे ताजा कर दिया, जबकि अखिलेश एक दिन पहले ही शिक्षा मित्रों के बारे में ट्वीट कर भाजपा पर हमला बोल चुके हैं।.


शिक्षा मित्रों का रोज़ होता है अपमान: कांग्रेस महासचिव व पूर्वी यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने सोमवार को यूपी के शिक्षामित्रों और अनुदेशकों की समस्याओं पर ट्वीट कर चिंता जताई। शिक्षामित्रों के साथ एक फोटो साझा करते हुए कहा कि प्रदेश के शिक्षामित्रों की मेहनत का रोज़ अपमान होता है, सैकड़ों पीड़ितों ने आत्महत्या कर डाली। जो सड़कों पर उतरे सरकार ने उन पर लाठियां चलाई, रासुका दर्ज किया। भाजपा के नेता टीशर्टों की मार्केटिंग में व्यस्त हैं। काश, वे अपना ध्यान दर्दमंदों की ओर भी डालते। वहीं अनुदेशकों की समस्याओं भी ट्वीट किया कि मैं लखनऊ में कुछ अनुदेशकों से मिली। मुख्यमंत्री ने उनका मानदेय 8470 से 17,000 रुपये की घोषणा की थी। मगर आज तक अनुदेशकों को मात्र 8470 ही मिलता है। अनुदेशकों की आवाज गुम हो गई है।.


■  2017 में सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रों के समायोजन को अवैध घोषित किया।  अब शिक्षामित्र अपने लिए स्थायी नौकरी की मांग कर रहे हैं। मांग है कि टीईटी और लिखित परीक्षा से छूट देने के लिए अध्यादेश लाया जाए। .

■ भाजपा सरकार ने अगस्त् 2017 से मानदेय बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया।.

■ लगभग 25 हजार शिक्षामित्र शिक्षकों के पदों पर लिखित परीक्षा के जरिये से चुने जा चुके हैं। 


पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने भी ट्वीट कर शिक्षामित्रों के प्रति चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि शिक्षा मित्र, अनुदेशक, यूपी टीईटी 2011, शिक्षा प्रेरक, यूपी बीपीएड धारकों को स्थायी रोजगार चाहिए, न की चौकीदार। 2012 के विधानसभा चुनाव में शिक्षामित्रों के समायोजन का मुद्दा सपा के घोषणापत्र का हिस्सा बना और सरकार में आने के बाद अखिलेश ने शिक्षामित्रों के समायोजन करवाया।


प्रदेश में 33 हजार अनुदेशक आरटीई एक्ट के तहत रखे गये। इन्हें 8470 रुपये मानदेय दिया जाता है। हालांकि सर्व शिक्षा अभियान के तहत केन्द्र सरकार ने मानदेय बढ़ा कर 17 हजार रुपये कर दिया है लेकिन अब भी राज्य सरकार इन्हें पुराना मानदेय देती है।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सत्ता संभालने के बाद कई बार शिक्षामित्र संगठनों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया है। भाजपा सरकार ने शिक्षामित्रों को रियायत देते हुए लिखित परीक्षा में अधिकतम भारांक देने का भी फैसला किया है। उनकी समस्याओं के समाधान के लिए उप मुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में हाईपॉवर कमेटी भी बनाई लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। 



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