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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

BOOKS, UNIFORM, BASIC SHIKSHA NEWS : बच्चों को किताबें ही नहीं यूनिफार्म भी देर से मिलेगी, बेसिक शिक्षा के स्कूलों में पठन-पाठन दुरुस्त कराने के चाहे जितने दावे किए जा रहे हो लेकिन, जमीनी हकीकत से मेल नहीं खा रहे

BOOKS, UNIFORM, BASIC SHIKSHA NEWS : बच्चों को किताबें ही नहीं यूनिफार्म भी देर से मिलेगी, बेसिक शिक्षा के स्कूलों में पठन-पाठन दुरुस्त कराने के चाहे जितने दावे किए जा रहे हो लेकिन, जमीनी हकीकत से मेल नहीं खा रहे

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा के स्कूलों में पठन-पाठन दुरुस्त कराने के चाहे जितने दावे किए जा रहे हो लेकिन, जमीनी हकीकत से मेल नहीं खा रहे। नए शैक्षिक सत्र के चालीस दिन बीत चुके हैं, अब तक विद्यालयों को नई किताबें नहीं मिली हैं, स्कूलों में पुरानी किताबों से ही जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है। किताबें कब तक स्कूलों में पहुंचेंगी इसकी सूचना भी नहीं दी गई है। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक ने यूनिफार्म का जिलावार धन आवंटन जरूर कर दिया है लेकिन, वह जुलाई से पहले बच्चों को मिलना संभव नहीं है। प्रदेश के राजकीय, बेसिक शिक्षा परिषद व सहायता प्राप्त प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के साथ ही मदरसों के बच्चों को सरकार हर तरह के संसाधन मुहैया करा रही है। किताब, यूनिफार्म, बैग, जूता-मोजा, मिडडे-मील आदि के लिए भरपूर बजट भी है लेकिन, यह सुविधाएं इधर कई वर्षो से समय पर नहीं दी जा पा रही हैं। शिक्षकों की जिम्मेदारी बच्चों का नामांकन कराने और उनको पढ़ाने की है, इसकी मॉनीटरिंग तेज करने और पढ़ाई बेहतर करने के दावे सरकार व अफसर जरूर करते हैं, लेकिन धरातल पर जैसे-तैसे नामांकन भले हो रहा है पर पढ़ाई व सुविधाएं अब भी बच्चों से दूर हैं। इसी तरह से सर्व शिक्षा अभियान के परियोजना निदेशक डॉ. वेदपति मिश्र ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को यूनिफार्म के लिए प्रथम किस्त का धन आवंटन कर दिया है। पात्र छात्र-छात्रओं को 400 रुपये अधिकतम दर पर दो सेट यूनिफार्म दिया जाना है। इसके लिए 327 करोड़ 16 लाख 26 हजार छह सौ रुपये का आवंटन सभी जिलों के लिए किया गया है। इसमें कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की छात्रओं को भी निश्शुल्क यूनिफार्म दिया जाना है।राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा के स्कूलों में पठन-पाठन दुरुस्त कराने के चाहे जितने दावे किए जा रहे हो लेकिन, जमीनी हकीकत से मेल नहीं खा रहे। नए शैक्षिक सत्र के चालीस दिन बीत चुके हैं, अब तक विद्यालयों को नई किताबें नहीं मिली हैं, स्कूलों में पुरानी किताबों से ही जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है। किताबें कब तक स्कूलों में पहुंचेंगी इसकी सूचना भी नहीं दी गई है। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक ने यूनिफार्म का जिलावार धन आवंटन जरूर कर दिया है लेकिन, वह जुलाई से पहले बच्चों को मिलना संभव नहीं है। प्रदेश के राजकीय, बेसिक शिक्षा परिषद व सहायता प्राप्त प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के साथ ही मदरसों के बच्चों को सरकार हर तरह के संसाधन मुहैया करा रही है। किताब, यूनिफार्म, बैग, जूता-मोजा, मिडडे-मील आदि के लिए भरपूर बजट भी है लेकिन, यह सुविधाएं इधर कई वर्षो से समय पर नहीं दी जा पा रही हैं। शिक्षकों की जिम्मेदारी बच्चों का नामांकन कराने और उनको पढ़ाने की है, इसकी मॉनीटरिंग तेज करने और पढ़ाई बेहतर करने के दावे सरकार व अफसर जरूर करते हैं, लेकिन धरातल पर जैसे-तैसे नामांकन भले हो रहा है पर पढ़ाई व सुविधाएं अब भी बच्चों से दूर हैं। इसी तरह से सर्व शिक्षा अभियान के परियोजना निदेशक डॉ. वेदपति मिश्र ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को यूनिफार्म के लिए प्रथम किस्त का धन आवंटन कर दिया है। पात्र छात्र-छात्रओं को 400 रुपये अधिकतम दर पर दो सेट यूनिफार्म दिया जाना है। इसके लिए 327 करोड़ 16 लाख 26 हजार छह सौ रुपये का आवंटन सभी जिलों के लिए किया गया है। इसमें कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की छात्रओं को भी निश्शुल्क यूनिफार्म दिया जाना है।

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