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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

BOOKS, BASIC SHIKSHA NEWS, UNIFORM : नए सत्र में भी शिक्षकों की कमी से पड़ेगा जूझना, नई किताबों और यूनीफॉर्म के लिए भी बच्चों को करना होगा इंतजार, फिलहाल पुरानी किताबों से चलाना होगा काम

BOOKS, BASIC SHIKSHA NEWS, UNIFORM : नए सत्र में भी शिक्षकों की कमी से पड़ेगा जूझना, नई किताबों और यूनीफॉर्म के लिए भी बच्चों को करना होगा इंतजार, फिलहाल पुरानी किताबों से चलाना होगा काम

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : परिषदीय स्कूलों में नया शैक्षिक सत्र सोमवार से भले ही शुरू हो गया हो लेकिन, इस सत्र में भी शिक्षकों की कमी से जूङोगी। यह भी तय है कि सत्र की शुरुआत में इन स्कूलों के बच्चों को बीते वर्षों की तरह पुरानी किताबों से ही काम चलाना होगा। इस साल बच्चों को यूनीफॉर्म भी पिछले वर्षों की अपेक्षा देर से ही मिलने के आसार हैं।

नये शैक्षिक सत्र का आगाज तो हो गया है लेकिन, को इस साल भी शिक्षकों की कमी सालेगी। शिक्षामित्रों को उनके मूल पद पर वापस भेजने से रिक्त हुए शिक्षकों के 1.37 लाख पदों में से पहले चरण में 68,500 पदों पर भर्ती की राज्य सरकार की मंशा हाईकोर्ट के आदेश से फिलहाल अधर में लटक गई है। अब कोर्ट के आदेश के बाद ही शिक्षकों की भर्ती में लगी गांठ खुलने के आसार हैं। संभावना जताई जा रही है कि शिक्षकों की भर्ती का पहला चरण अगले पांच-छह महीने से पहले पूरा होने वाला नहीं है।

मुख्यमंत्री के हाथों हुए स्कूल चलो अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम में कुछ बच्चों को रस्मी तौर पर भले ही पाठ्यपुस्तकें बांट दी गई हों लेकिन, हकीकत यह है कि विभाग की अदूरदर्शिता के कारण इस साल नए सत्र की शुरुआत में बच्चे एक बार फिर पुरानी किताबों से पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं। पिछले वर्षों की तरह इस साल भी किताबों की छपाई के लिए अपनाई गई टेंडर प्रक्रिया लेटलतीफी का शिकार हुई। किताबों की छपाई के लिए प्रकाशकों और विभाग के बीच अनुबंध ही 17 मार्च को हो पाया है।

अनुबंध की शर्त के मुताबिक प्रकाशकों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है। नई पाठ्यपुस्तकों के अभाव में विभाग को बच्चों की पुरानी किताबें जमा कराकर उनसे पढ़ाई कराने का निर्देश जारी करना पड़ा है।

इस बार परिषदीय स्कूलों में बच्चों को यूनीफॉर्म भी देर से मिल पाएगी। ज्यादातर बच्चों को यूनीफॉर्म सर्व शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाली धनराशि से मुहैया कराई जाती है। इस बार केंद्र को वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए सर्व शिक्षा अभियान की वार्षिक कार्ययोजना ही अब तक नहीं भेजी जा सकी है।

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