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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

ALLAHABAD HIGHCOURT, MRITAK ASHRIT : मृतक आश्रित कोटे से नियुक्ति पर समय सीमा तय, कोर्ट ने कहा कि जब आयु सीमा बढ़ा दी गई है तो छूट देने का औचित्य ही नहीं बनता

ALLAHABAD HIGHCOURT, MRITAK ASHRIT : मृतक आश्रित कोटे से नियुक्ति पर समय सीमा तय, कोर्ट ने कहा कि जब आयु सीमा बढ़ा दी गई है तो छूट देने का औचित्य ही नहीं बनता

विधि संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मृतक आश्रित पुत्र, पुत्री को नियुक्ति में अधिकतम आयु सीमा में छूट नहीं दी जा सकती, लेकिन विधवा को विशेष परिस्थिति में छूट मिल सकती है। पुत्र, पुत्री की अधिकतम आयु सीमा 25 से बढ़ाकर 30 साल कर दी गई और विधवा की आयु सीमा 40 से बढ़ाकर 45 साल कर दी गई है। कोर्ट ने कहा कि विधवा को अन्य श्रेणियों जैसे एससी/एसटी, दिव्यांग व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के समान अधिकतम आयु सीमा में छूट मिलेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने अनुराग अवस्थी की विशेष अपील पर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि जब आयु सीमा बढ़ा दी गई है तो छूट देने का औचित्य ही नहीं बनता है। विधवा को भी छूट देने का विवेकाधिकार प्राधिकारी को है। याची के पिता भारतीय जीवन बीमा निगम में सेवा में थे। उनकी मौत के बाद पुत्र ने आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग की। 30 वर्ष से अधिक आयु के आधार पर नियुक्ति देने से इन्कार किए जाने पर कोर्ट में चुनौती दी गई थी। एकल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया था। जिसे विशेष अपील में चुनौती दी गई थी।

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