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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

MAN KI BAAT : वैसे तो न्यायालय की चौखट पर भर्तियों से जुड़े तमाम प्रकरण लंबित हैं लेकिन, दो साल में एक के बाद एक तीन बड़ी भर्तियों या फिर समायोजन को हाईकोर्ट ने सही नहीं माना है, यह जरूर है कि.........

MAN KI BAAT : वैसे तो न्यायालय की चौखट पर भर्तियों से जुड़े तमाम प्रकरण लंबित हैं लेकिन, दो साल में एक के बाद एक तीन बड़ी भर्तियों या फिर समायोजन को हाईकोर्ट ने सही नहीं माना है, यह जरूर है कि.........

🔴 दिशाहीन आयोग

प्रदेश भर में हुई भर्तियों की खामियां उजागर होने की हैटिक लग गई है। वैसे तो न्यायालय की चौखट पर भर्तियों से जुड़े तमाम प्रकरण लंबित हैं लेकिन, दो साल में एक के बाद एक तीन बड़ी भर्तियों या फिर समायोजन को हाईकोर्ट ने सही नहीं माना है। यह जरूर है कि उन भर्तियों की शीर्ष कोर्ट में सुनवाई होने से नियुक्ति पाने वाले युवा फिलहाल नौकरी कर रहे हैं। प्रदेश सरकार का जोर इधर कुछ वर्षो में भर्ती-नियुक्तियों पर रहा है। विभिन्न विभागों में भर्तियां और समायोजन आदि हुए भी हैं। अफसरों ने नौकरी बांटने में जितनी तत्परता दिखाई, उतनी ही गड़बड़ी भर्तियों में की है। इसी वजह से सरकार की किरकिरी भी हुई।

हाल ही में हाईकोर्ट ने उप्र लोकसेवा आयोग की कृषि तकनीकी सहायक ग्रुप-सी की भर्ती में चयन आरक्षण की विसंगति के आधार पर रद किया है। इसी तरह से पुलिस की सिपाही एवं दारोगा भर्ती भी नियमों की गड़बड़ी के चलते लंबित है। यही नहीं, लोकसेवा और परिषद एवं अन्य चयन बोर्ड के तमाम प्रकरणों की सुनवाई भी चल रही है।1उप्र लोकसेवा आयोग की कार्यप्रणाली कई सालों से सवालों के घेरे में है। आयोग के अध्यक्ष पद को लेकर भी खूब विवाद हुए। कुछ ही महीनों के अंतराल पर अध्यक्ष पद की कुर्सी खाली होती रही। ऐसे अस्थिरता के माहौल में आयोग किस तरह प्रदेश में भर्ती प्रक्रिया चला रहा है, वह सबके सामने है। कभी प्रश्नपत्र में खामियां तो कभी रिजल्ट में। भर्ती के नियम भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से पहले कुछ होते हैं तो रिजल्ट आने तक कुछ और हो जाते हैं।

नतीजतन आयोग के अधिकारियों व कर्मचारियों को अभ्यर्थियों के आक्रोश का सामना करना पड़ता है। आए दिन आयोग के दफ्तर के बाहर की सड़क प्रदर्शनकारी छात्रों से पटी रहती है। कभी आयोग के अध्यक्ष का पुतला फूंका जाता है तो कभी मुर्दाबाद के नारे लगाए जाते हैं। दिन-रात मेहनत कर बेहतर भविष्य का सपना देखने वाले अभ्यर्थियों को जब अपनी मेहनत साकार होती नजर नहीं आती तो वे उग्र हो जाते हैं। मेधावी बच्चों से उनके अभिभावकों की भी ढेर सारी उम्मीदें जुड़ी होती हैं, ऐसे में अभिभावकों की उम्मीदों को मुकाम देने का उन पर काफी कुछ मानसिक दबाव भी होता है। लोकसेवा आयोग को अपनी कार्यशैली में आमूलचूल बदलाव करने की आवश्यकता है ताकि प्रदेश के मेधावी छात्र-छात्रओं का सपना साकार हो सके। मेधा को वास्तविक मुकाम मिलना ही चाहिए।

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  1. 📌 MAN KI BAAT : वैसे तो न्यायालय की चौखट पर भर्तियों से जुड़े तमाम प्रकरण लंबित हैं लेकिन, दो साल में एक के बाद एक तीन बड़ी भर्तियों या फिर समायोजन को हाईकोर्ट ने सही नहीं माना है, यह जरूर है कि.........
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2017/02/man-ki-baat_13.html

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