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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

परिषदीय स्कूलों का हाल - अब छिड़ा जिले के अंदर तबादले का राग : अंतरजनपदीय की तर्ज पर स्थानांतरण नीति जारी हो या बीएसए करे फेरबदल, बाहरी जिलों से आने वाले शिक्षकों से पद भरने पर तबादले का औचित्य नहीं

परिषदीय स्कूलों का हाल - अब छिड़ा जिले के अंदर तबादले का राग : अंतरजनपदीय की तर्ज पर स्थानांतरण नीति जारी हो या बीएसए करे फेरबदल, बाहरी जिलों से आने वाले शिक्षकों से पद भरने पर तबादले का औचित्य नहीं

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के तबादले का प्रकरण खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। शासन ने अंतरजनपदीय तबादला नीति जारी कर दी है और समय सारिणी घोषित होने के पहले ही जिले के अंदर तबादले का राग छिड़ गया है। शिक्षकों का कहना है कि जिले के अंदर तबादले करने के बाद अंतरजनपदीय नीति जारी होनी चाहिए थी, लेकिन शासन ने काफी देर से हड़बड़ी में कदम उठाया। यदि अंतरजनपदीय तबादलों के बाद जिले के अंदर स्थानांतरण होंगे तो उसका लाभ नहीं मिल पाएगा, क्योंकि अधिकांश रिक्त पद बाहरी जिलों से आने वाले शिक्षकों से भर जाएंगे।

बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों की मांग शासन ने मान ली है, लेकिन इससे सभी शिक्षक खुश नहीं है। खासकर वह शिक्षक जो जिले के अंदर तबादला होने की उम्मीद लगाए आदेश का इंतजार कर रहे थे।

दरअसल, सितंबर 2015 में शासन ने जिले के अंदर तबादला करने की नीति जारी की थी और प्रदेश भर में बड़े पैमाने पर शिक्षकों ने इसके लिए आवेदन भी किए। प्रक्रिया पूरी होने के पहले ही पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने पर तबादला आदेश निरस्त कर दिया गया। उस समय आवेदन करने वाले शिक्षकों में यह उम्मीद बंधी थी कि शासन देर-सबेर पहले जिले के अंदर तबादलों की लंबित प्रक्रिया पूरी करेगा और उसके बाद ही अंतरजनपदीय स्थानांतरण होंगे। 1परिषदीय स्कूलों में अवकाश के दौरान जून माह में ही दोनों तरह के तबादले पूरे किए जा सकते थे, लेकिन शासन ने अंतरजनपदीय तबादला नीति जारी करने में ही काफी देर कर दी। इससे जिले के अंदर तबादला होने का मामला अधर में अटक गया है।

शिक्षक कहते हैं कि अब अंतरजनपदीय तबादलों के बाद जिले के अंदर फेरबदल करने का लाभ स्थानीय शिक्षकों को नहीं मिलेगा, क्योंकि अधिकांश रिक्त पदों पर बाहरी जिलों के शिक्षक तबादले पर आ चुके होंगे।

ऐसे में बड़ी संख्या में शिक्षकों को लंबी दूरी तय करके शिक्षण कार्य करना होगा। इसके अलावा जारी तबादला नीति से नए शिक्षकों खासकर जिनका पहली नियुक्ति से तीन साल पूरा नहीं हुआ है वह भी निराश हैं। तमाम युवा शिक्षक अपने गृह जिले से दूर जिलों में तैनात हैं उन्हें उम्मीद थी कि अंतरजनपदीय तबादले में वह अपने घर आ सकेंगे, लेकिन उन्हें प्रक्रिया में शामिल होने से रोक दिया गया। प्राथमिक शिक्षक संघ उप्र ने जिले के अंदर तबादले होने की हिमायत की है।

उनका कहना है कि यदि अलग से नीति न जारी हो तो बीएसए को ही यह अधिकार दिया जाए। वहीं दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव ने भी जिले के अंदर तबादला आदेश जारी करने की मांग की है।

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  1. 📌 परिषदीय स्कूलों का हाल - अब छिड़ा जिले के अंदर तबादले का राग : अंतरजनपदीय की तर्ज पर स्थानांतरण नीति जारी हो या बीएसए करे फेरबदल, बाहरी जिलों से आने वाले शिक्षकों से पद भरने पर तबादले का औचित्य नहीं
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/06/blog-post_428.html

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