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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

अब फटाफट सुलझेंगे मुकदमें,बनेगा एजुकेशनल ट्रिब्यूनल : मण्डल और राज्य स्तर पर करेगा ट्रिब्यूनल कार्य, बिल का मसौदा अगली कैबिनेट मीटिंग में होगा प्रस्तुत

बनेगा एजुकेशनल ट्रिब्यूनल : मण्डल और राज्य स्तर पर करेगा ट्रिब्यूनल कार्य, बिल का मसौदा अगली कैबिनेट मीटिंग में होगा प्रस्तुत

लखनऊ : मुकदमों की मार झेल रहे शिक्षा विभाग को बचाने के लिए सरकार सदन के अगले सत्र में स्टेट एजुकेशन ट्रिब्यूनल बिल लाएगी। इसका ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। शिक्षकों के प्रशासन और सेवा से जुड़े मसलों की इसमें सुनवाई हो सकेगी। सुनवाई के लिए दो स्तर पर व्यवस्था बनाई जाएगी। 

हाई कोर्ट में शिक्षा विभाग के हजारों मुकदमे पेंडिंग हैं। अकेले लखनऊ बेंच में ही माध्यमिक और बेसिक शिक्षा विभाग के 38 हजार से अधिक मुकदमे चल रहे हैं। विभागीय स्तर पर आने वाले ग्रीवांस के निस्तारण का कोई और फोरम न होने के चलते मामले कोर्ट पहुंचते हैं। आए दिन सचिव से लेकर निदेशक, संयुक्त निदेशक और डीआईओएस स्तर के अधिकारियों को सफाई और समन के लिए कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता है। इसको देखते हुए ये फैसला लिया गया है। 

एजुकेशन ट्रिब्यूनल की गठन की मांग शिक्षक संगठनों की भी रही है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही राज्यों को ट्रिब्यूनल बनाने को कह चुका है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि फर्जीवाड़े, गलत डॉक्यूमेंट जैसे रास्तों के जरिए बहुत से लोग नौकरी में आ जाते हैं। इसके अलावा छोटे-मोटे विभागीय विवादों में भी अधिकारियों को कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता है। प्रक्रिया लंबी खिंचने का नुकसान शिक्षकों को होता है।

स्टेट एजुकेशन ट्रिब्यूनल की कमान हाई कोर्ट के पूर्व जज के हाथ में होगी। तीन और सदस्य इसमें होंगे। 18 मंडलों में रिटायर्ड जिला जज इसकी अगुवाई करेंगे। माध्यमिक शिक्षा के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार का कहना है कि शिक्षा विभाग के मामलों के त्वरित निस्तारण और मुकदमेबाजी को कम करने के लिए यह कवायद की गई है। ड्राफ्ट लगभग तैयार हो चुका है। कैबिनेट से मंजूरी दिलाकर विधानसभा के अगले सत्र में रखा जाएगा, जिससे इस साल ट्रिब्यूनल काम करना शुरू कर दे। 

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