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टीईटी से अगस्त 2010 तक के शिक्षकों को ही रियायत : एनसीटीई ने शिक्षामित्रों के समायोजन की वैधता की जिम्‍मेदारी सरकार पर छोड़ी ; शिक्षामित्रों ने किया टीईटी से छूट का दावा

लखनऊ। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने साफ किया है कि यूपी में टीईटी से छूट उन्हीं शिक्षकों को मिलेगी जिनकी नियुक्ति 25 अगस्त 2010 से पहले हुई हो और तब से लगातार सेवा में हों। इसशिक्षामित्रों ने कहा है कि राज्य सरकार ने एनसीटीई से अनुमति लेकर उन्हें प्रशिक्षण दिया था और वे पैरा टीचर की श्रेणी में आते हैं। राज्य सरकार ने उनका समायोजन किया है, न कि नई नियुक्ति। इसलिए उनके लिए टीईटी पास करने की अनिवार्यता नहीं है जिसे एनसीटीई ने स्पष्ट कर दिया है। वहीं, एनसीटीई ने साफ किया है कि उसने वर्ष 2011 में यूपी सरकार को स्नातक पास 1.24 लाख शिक्षामित्रों को बीटीसी प्रशिक्षण लेने की अनुमति दी थी।के बाद नियुक्त होने वालों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। एनसीटीई ने शिक्षामित्रों की बतौर शिक्षक तैनाती या समायोजन की वैधता का निर्धारण राज्‍य सरकार पर ही छोड़ दिया है। इस संबंध में एनसीटीई के सदस्य सचिव जुगलाल सिंह ने मुख्य सचिव आलोक रंजन को जवाब भेज दिया। मुख्य सचिव ने शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने के संबंध में एनसीटीई को पत्र लिखा था। शासन अब जवाब का कानूनी परीक्षण करा रहा है। कानूनी राय मिलने के बाद ही आगे कार्यवाही की जाएगी। हालांकि शिक्षामित्र इसे अपनी जीत मान रहे हैं।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद एनसीटीई से वर्ष 2011 में अनुमति लेते हुए स्नातक पास शिक्षामित्रों को दो वर्षीय बीटीसी कराया। इसके बाद उन्हें सीधे सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित कर दिया था। हाईकोर्ट ने इसे अवैध करार देते हुए कहा था कि टीईटी से छूट देने या नियमों को शिथिल करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, न कि राज्य सरकार के पास। इसके बाद राज्य सरकार ने एनसीटीई से बीटीसी पास शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने का अनुरोध किया था।

शिक्षामित्रों ने कहा है कि राज्य सरकार ने एनसीटीई से अनुमति लेकर उन्हें प्रशिक्षण दिया था और वे पैरा टीचर की श्रेणी में आते हैं। राज्य सरकार ने उनका समायोजन किया है, न कि नई नियुक्ति। इसलिए उनके लिए टीईटी पास करने की अनिवार्यता नहीं है जिसे एनसीटीई ने स्पष्ट कर दिया है। वहीं, एनसीटीई ने साफ किया है कि उसने वर्ष 2011 में यूपी सरकार को स्नातक पास 1.24 लाख शिक्षामित्रों को बीटीसी प्रशिक्षण लेने की अनुमति दी थी।

•25 अगस्त 2010 के बाद शिक्षक नियुक्त होने वालों को टीईटी पास करना अनिवार्य
एनसीटीई के पत्र में कहा...

‘जो शिक्षक 25 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त किए जा चुके हैं और सेवा में हैं, उन पर टीईटी क्वालिफाई करने की अनिवार्यता नहीं होगी। वे एनसीटीई नियमावली 2001 के अधीन माने जाएंगे। जो शिक्षक इस तारीख के बाद नियुक्त किए गए और सेवा में बने हुए हैं, उन्हें टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। टीईटी किसी शिक्षक के लिए न्यूनतम योग्यता का एक पैमाना है, ऐसे में इसे लागू किया जाना चाहिए। अप्रशिक्षित शिक्षक (शिक्षामित्रों) की नियुक्ति की प्रक्रिया को त्रुटिहीन रखने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है। किसी सरकार, क्षेत्रीय निकाय या स्कूल ने अगर इस तारीख के पहले शिक्षक नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी किया था, तो उन्हें भी टीईटी से छूट मिलेगी।’

प्रामाणिकता की जिम्मेदारी राज्य सरकार की

यूपी सरकार ने 14 जनवरी 2011 को एनसीटीई से अप्रशिक्षित शिक्षकों को ट्रेनिंग की मंजूरी मांगी थी, जो हमने दे दी थी। कानून में साफ है कि सिर्फ 25 अगस्त 2010 के पहले तैनात शिक्षकों के लिए टीईटी जरूरी नहीं है। यही स्थिति अब भी है। शिक्षामित्रों की तैनाती की रीति-नीति की प्रामाणिकता की जिम्मेदारी पूरी तरह राज्य सरकार की है।
-जुगलाल सिंह, सदस्य सचिव, एनसीटीई

यूपी सरकार ने एसएलपी दाखिल की,अब सुप्रीम कोर्ट में तय होगा शिक्षामित्रों का भविष्य

एनसीटीई के जवाब के बाद भी शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को लेकर संशय बरकरार हैं। इसे देखते हुए यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किए जाने के खिलाफ बेसिक शिक्षा परिषद के संयुक्त सचिव अशोक कुमार गुप्ता ने मंगलवार को शीर्ष कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दाखिल की। शिक्षामित्रों का भविष्य अब सुप्रीम कोर्ट के रुख पर निर्भर करेगा।

शिक्षामित्रों ने किया छूट का दावा

शिक्षामित्रों के नेता गाजी इमाम आला, जितेंद्र कुमार शाही, अनिल कुमार वर्मा ने दावा किया है कि एनसीटीई ने टीईटी से छूट दे दी है, इसलिए शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर बने रहने का रास्ता साफ हो गया है।

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