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हिमाचल में भी उठी वीआईपी के बच्चों के सरकारी स्कूलों (School) में पढ़ाने की आवाज : विधानसभा में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad highcourt) के फैसले पर हुई लंबी चर्चा ; सीपीएस नीरज भारती के ऐलान के बाद सदन में छाया सन्नाटा

हिमाचल में भी उठी वीआईपी के बच्चों के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की आवाज : विधानसभा में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर हुई लंबी चर्चा ; सीपीएस नीरज भारती के ऐलान के बाद सदन में छाया सन्नाटा

विधानसभा में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर हुई लंबी चर्चा

√सीपीएस नीरज भारती के ऐलान के बाद सदन में छाया सन्नाटा

शिमला (ब्यूरो )। हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में गुरुवार को माननीयों और वीआईपी के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की आवाज उठी। शिक्षा के सुदृढ़ीकरण पर संकल्प प्रस्ताव को रखते हुए भाजपा विधायक कर्नल इंद्र सिंह ने बीते दिनों आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसलेे में दी व्यवस्था को हिमाचल में भी लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इसके तहत नेताओं और नौकरशाहों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना अनिवार्य किया गया है। प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी ने कहा कि जजों, शिक्षकों आदि सबके बच्चे भी सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाए जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। सीपीएस नीरज भारती के बेटी को सरकारी स्कूल में दाखिल करने के ऐलान के बाद थोड़े समय के लिए सदन में सन्नाटा छाया रहा।

संकल्प प्रस्ताव पर चर्चा दौरान मुख्य संसदीय सचिव नीरज भारती ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार की शिक्षण संस्थानों के बारे में नकारात्मक सोच रही। वह खुद सरकारी स्कूलों में पढ़े हैं। उन्होंने घोषणा की कि वह अगले वर्ष अपनी बेटी को पहली कक्षा में सरकारी स्कूल में दाखिल करवाएंगे। यदि शिक्षकों, अधिकारियों और राजनेताओं के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे तो स्वत: ही सरकारी स्कूलों में सुविधाएं बढ़ेंगी और शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी। नादौन के विधायक विजय अग्निहोत्री भी बोले कि उनकी बेटी भी सरकारी स्कूल में पढ़ रही है। शिमला के भाजपा विधायक सुरेश भारद्वाज ने कहा कि उनके बच्चे खुद सरकारी स्कूल में पढ़े हैं।

बॉक्स 2.

वोट करवाने पर अड़े विपक्ष के सदस्य, ध्वनिमत से गिरा प्रस्ताव

इस संकल्प प्रस्ताव पर विपक्ष के सदस्य वोट करवाने पर अडे़ रहे। उस समय सत्ता पक्ष में विधायकों की संख्या कम थी। बाद में सदन में विधायकों की संख्या बढ़ गई। यह प्रस्ताव ध्वनिमत से गिर गया।

बॉक्स 1.

सीएम बोले, तबादलों के डीओ नोट लेकर न आएं

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों से आग्रह किया कि वे तबादलों के लिए डीओ नोट लेकर न आएं। पहली नियुक्ति में ही शिक्षक यहां-वहां एडजस्ट करने के लिए आवेदन देते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार विशेष परिस्थितियों में ही ऐसा करें। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों से लगातार तबादलों के अनुरोध आते रहते हैं।

किसने क्या कहा

- डलहौजी की कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने ब्लाक स्तर पर मॉडल स्कूल तैयार करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा किसी कलस्टर में अगर सभी सुविधाओं से लैस सरकारी स्कूल खोले जाते हैं तो बच्चों का वहां पढ़ाई करने को रुझान बढ़ेगा।

- कुल्लू से हिलोपा विधायक महेश्वर सिंह ने कहा कि निजी स्कूलों में लोग बच्चों को पढ़ने भेज रहे हैं। सरकारी व्यवस्था से लोगों का विश्वास उठ गया है।

- भोरंज के भाजपा विधायक आईडी धीमान ने कहा कि बैक डोर एंट्री और मिड टर्म ट्रांसफर को बैन करना पडे़गा। सरकार को ईमानदारी से काम करना होगा।

- चुराह के भाजपा विधायक हंसराज ने कहा कि निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकार को मॉडर्न स्कूल खोलने चाहिए।

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विधानसभा में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर हुई लंबी चर्चा

सीपीएस नीरज भारती के ऐलान के बाद सदन में छाया सन्नाटा

          खबर साभार : अमरउजाला

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