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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

प्रधानाध्यपक ने स्कूल (Primary School) को बनाया 'संस्कारशाला' : दीवालों पर प्रेरणादायी स्लोगन और पूरे परिसर में फुलवारी; अमूमन परिषदीय स्कूलों का नाम सुनते ही बदहाली की जो तस्वीर उभरती है ये उससे लिए एक उदाहरण

प्रधानाध्यपक ने स्कूल को बनाया 'संस्कारशाला' : दीवालों पर प्रेरणादायी स्लोगन और पूरे परिसर में फुलवारी; अमूमन परिषदीय स्कूलों का नाम सुनते ही बदहाली की जो तस्वीर उभरती है ये उससे लिए एक उदाहरण


भोगांव: दीवालों पर प्रेरणादायी स्लोगन और पूरे परिसर में फुलवारी। ये किसी संस्कारशाला का दृश्य नहीं है, बल्कि प्राइमरी स्कूल है। अमूमन परिषदीय स्कूलों का नाम सुनते ही बदहाली की जो तस्वीर उभरती है, ये स्कूल इन सबसे जुदा है। यहां बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ ही संस्कार भी सिखाए जाते हैं।

ये स्कूल है भोगांव क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय रजवाना। ये विद्यालय यूं ही चर्चा में नहीं है। बीते सत्र में इसे तत्कालीन डायट प्राचार्य आरएस बघेल ने गोद लिया था। इस स्कूल के प्रधानाध्यापक हैं इशरत अली। इशरत अली ने अपनी मेहनत से स्कूल का नक्शा ही बदल दिया। 170 बच्चे विद्यालय में पंजीकृत हैं। यहां बच्चे प्रतिदिन फुल ड्रेस में टाई और बेल्ट लगाकर आते हैं। मिड डे मील खाने को यहां झगड़ा नहीं होता, बल्कि सामूहिक रूप से पंक्ति में बैठकर भोजन करते हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां प्रधानाध्यापक के अलावा एक सहायक अध्यापक अजीत प्रताप की तैनाती है। स्कूल में बच्चों को झाड़ू न लगानी पड़े, इसलिए सुबह रसोइया विनोद कुमार पहले स्कूल में झाड़ू लगाते हैं फिर खाना बनाते हैं। फिर उच्च शिक्षित रसोइया बच्चों को पढ़ाते भी हैं। पूरे स्कूल की दीवालों में प्रेरणादायी स्लोगन लिखे हैं।

अपने पास से बनाया पुस्तकालय

इशरत अली ने अपने पास से बच्चों के ज्ञान के लिए तीन सौ किताबें खरीदीं। स्कूल के ही एक कमरे को उन्होंने पुस्तकालय का रूप दिया है। स्कूल में प्रतिदिन समाचार पत्र भी आते हैं। बच्चे देश-दुनिया की जानकारी के लिए सामूहिक रूप से समाचारों का वाचन करते हैं।

अब मिलेगी कंप्यूटर शिक्षा

इशरत अली ने अपने पास से दो कंप्यूटर खरीद लिए हैं। चार दिन में दोनों कंप्यूटर वह स्कूल में लगाएंगे, ताकि बच्चे कंप्यूटर की शिक्षा भी ले सकें। वह कहते हैं कि स्कूल में बच्चों को हर जानकारी दी जा रही है। रोज सुबह उन्हें दिए गए होमवर्क की जांच की जाती है। फिर होमवर्क दिया जाता है।

शिक्षक के तबादले पर रोए थे बच्चे

कुछ दिनों पूर्व विभाग ने इशरत अली का तबादला दूसरे स्कूल में कर दिया था। इस पर बच्चे खूब रोए। यहां तक कि उनके अभिभावक जिलाधिकारी और शिक्षाधिकारियों तक पहुंच गए। तब अधिकारियों ने बच्चों की भावनाओं का ध्यान रखकर तबादला रोक दिया।

     खबर साभार : दैनिकजागरण

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