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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

10 जुलाई को होगी मिड-डे मील की पहली जांच : परिषदीय स्कूलों में मिड-डे मील को लेकर सरकार बेहद सख्त

10 जुलाई को होगी मिड-डे मील की पहली जांच : परिषदीय स्कूलों में मिड-डे मील को लेकर सरकार बेहद सख्त

मैनपुरी : एक जुलाई से स्कूल खुलने हैं। परिषदीय स्कूलों में मिड-डे मील को लेकर सरकार बेहद सख्त है। आदेश दिए हैं कि रोजाना सभी स्कूलों में मिड-डे मील के खाने की जांच की जाएगी। इस बार खुद मुख्यमंत्री मिड-डे मील को लेकर गंभीर हैं। लेकिन, जिले के शिक्षाधिकारी पूरी तरह से बेफिक्र हैं। जांच को लेकर न तो योजना बन पाई है और न ही विद्यालयों में मिड-डे मील के तहत परिवर्तित किए गए नए मैन्यू का जिक्र कराया गया है।

मध्यान्ह भोजन योजना में बडे़ पैमाने पर मिली लापरवाही और घोटाले को लेकर इस बार शासन ने कई बदलाव किए हैं। एक जुलाई से खुलने वाले सभी परिषदीय स्कूलों, माध्यमिक विद्यालयों और मदरसों में अब प्रतिदिन पकाए जाने वाले भोजन की जांच की जाएगी। नवीन शिक्षा सत्र में नई व्यवस्था के तहत पहली जांच 10 जुलाई को होनी है। लेकिन, शिक्षाधिकारी इसे लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। स्कूल खुलने में तीन दिनों का समय शेष है लेकिन अभी तक किसी भी परिषदीय स्कूल में कोई व्यवस्था नहीं कराई गई है।

मध्यान्ह भोजन के तहत बुधवार को बच्चों को कोफ्ता-चावल के साथ दूध दिया जाएगा। लेकिन, हाल देखिए। जिले के किसी भी स्कूल में अभी तक मिड-डे मील के पुराने मैन्यू को परिवर्तित नहीं कराया गया है। दीवालों पर वही पुराना मैन्यू अभी भी लिखा हुआ है। रसोई घरों की न तो सफाई कराई गई है और न ही रंग-रोगन। रसोइयों को भी कोई जानकारी नहीं दी गई है।

बेसिक शिक्षा सचिव के निर्देश के अनुसार 10 जुलाई को मिड-डे मील की जांच होनी है। जांच का जिम्मा खाद्य एवं सुरक्षा विभाग का है। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी चितरंजन कुमार का कहना है कि उनके पास कर्मचारियों और जांच टीम की कमी है। ऐसे में एक ही समय में एक ही दिन जिले के सारे स्कूलों की जांच कर पाना संभव नहीं है। जांच टीम द्वारा जो रिपोर्ट शिक्षा विभाग को सौंपी जाएगी, उसकी पूरी जानकारी जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को हर हाल में 25 जुलाई तक मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण को भेजनी होगी। जांच में प्रत्येक स्कूल के बच्चों की उपस्थिति का भी बाकायदा जिक्र करना होगा।

मिड-डे मील की व्यवस्था को लेकर शिक्षाधिकारी गंभीर नहीं हैं। उप बेसिक शिक्षा अधिकारी भारती शाक्य का कहना है कि जांच का काम हमारा नहीं है। इसके लिए जो जिम्मेदार हैं, वे खुद ही व्यवस्था करेंगे। अगर कहीं जांच टीम की कमी पड़ती है तो जिलाधिकारी द्वारा जिसे जिम्मेदारी दी जाएगी, वह जांच करेंगे। रही बात स्कूलों में रंग-रोगन और मैन्यू लिखवाने की, तो अभी विद्यालयों के खुलने में समय है।

      खबर साभार : दैनिकजागरण

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