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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

शिक्षा विभाग में तरह-तरह के कारनामे उजागर होते :दो स्कूलों को पहले बताया फर्जी, फिर दी क्लीनचिट-

शिक्षा विभाग में तरह-तरह के कारनामे उजागर होते :दो स्कूलों को पहले बताया फर्जी, फिर दी क्लीनचिट-

इलाहाबाद : शिक्षा विभाग में तरह-तरह के कारनामे उजागर होते रहते हैं। जैसे विद्यालयों में पढ़ाई न होना, कापी, यूनीफार्म का घटिया होना या न पहुंचना। विद्यालय में बिजली, पानी एवं शौचालय की व्यवस्था नहीं होना आदि..आदि। इधर एक चौंकाने वाला नया मामला सामने आया है जो जसरा ब्लॉक के अंग्रेजी माध्यम निजी विद्यालयों का है। कुछ दिन पहले जिन विद्यालयों को फर्जी बताकर नोटिस थमाई गई, अब उन्हें क्लीनचिट दी जा रही है। शिक्षा विभाग का यह प्रकरण खासा चर्चा का विषय बना है। मामले में यहां पर तैनात खंड शिक्षा अधिकारी की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

अंग्रेजी की पढ़ाई के नाम पर जिले भर में गली-कूचे में स्कूल खुले हुए हैं जिनकी लगातार बढ़ती संख्या और बच्चों से मनमानी फीस वसूली की शिकायत होती रही है, परंतु बेसिक शिक्षा अधिकारी मूकदर्शक की भूमिका में रहे। पानी सिर से ऊपर जाने पर पूर्व जिलाधिकारी भवनाथ सिंह ने आनन फानन में बैठक बुलाकर अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई, जिसके बाद बीएसए हरकत में आए और फर्जी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की जांच शुरू कराई तो जिले में उनकी संख्या 1100 से अधिक मिली। इसी के तहत जसरा विकास खंड की खंड शिक्षाधिकारी सुमन केसरवानी ने 29 अप्रैल को फर्जी स्कूलों की सूची जारी की, जिसमें घूरपुर, मानपुर, जसरा, असरवई, लोटाढ़, परसरा, कांटी, गौहानी और टिकरी कला के 62 स्कूल फर्जी मिले। जो बिना मान्यता एवं मानक को पूरा किए बिना ही संचालित किए जा रहे थे। खंड शिक्षाधिकारी ने उक्त सभी स्कूलों को नोटिस जारी कर बंद करने की कार्रवाई शुरू की।

अब वही खंड शिक्षाधिकारी कह रही हैं कि घूरपुर का शिवालिक पब्लिक स्कूल बीकर और नेशनल कांवेंट घूरपुर की मान्यता है। दोनों का नाम उन्होंने गलती से गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची में जारी कर दिया था। अब यहां प्रश्न यह उठता है कि खंड शिक्षाधिकारी ने बिना जांच-पड़ताल के कैसे सूची जारी कर दी। बीएसए ने सूची की पड़ताल क्यों नहीं कराई। उक्त मामले में बीएसए राजकुमार का कहना है कि खंड शिक्षाधिकारी सुमन ने बिना जरूरी जांच-पड़ताल कर ही उक्त विद्यालयों को फर्जी बता दिया था। अब उनकी भूल सुधारी जा रही है।

        खबर साभार : दैनिकजागरण

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