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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

परिषदीय स्कूलों में बच्चों को समय से नहीं मिलेंगी किताबें : शैक्षिक सत्र 1 अप्रैल से शुरू होते ही बच्चों को मुफ्त किताबें नहीं मिलेंगी-

परिषदीय स्कूलों में बच्चों को समय से नहीं मिलेंगी किताबें : शैक्षिक सत्र 1 अप्रैल से शुरू होते ही बच्चों को मुफ्त किताबें नहीं मिलेंगी-

लखनऊ(ब्यूरो)। परिषदीय स्कूलों में बच्चों को मुफ्त दी जाने वाली किताबों को लेकर फंसा पेच अभी नहीं निकल सका है। इसके चलते 1 अप्रैल से शुरू होते ही बच्चों को मुफ्त किताबें नहीं मिल पाएंगी।

छपाई के लिए टेंडर खोले जाने पर सहमति अभी तक नहीं बन सकी है। टेंडर खुलने के बाद किताबों की छपाई में कम से कम एक माह तक का समय लगता है।

बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मुफ्त किताब देने की व्यवस्था है। किताब छपाई के लिए शासन स्तर से हर साल नीति जारी की जाती है। इस साल भी नीति जारी की गई।

नीति में ईको फ्रेंडली रिसाइकल्ड कागज के इस्तेमाल की शर्त रखी गई है, जबकि इसके पहले किताबों की छपाई के लिए जारी होने वाली नीति में रिसाइकल्ड शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाता था।

शासन स्तर से नीति में रिसाइकल्ड शब्द जोड़ दिए जाने की वजह से कागज सप्लाई करने वाली कंपनी हिंदुस्तान पेपर कॉर्पोरेशन (एचपीसी) इससे बाहर हो गई। कंपनी ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था।

इसके बाद आनन-फानन में 28 फरवरी को टेंडर खोलने की प्रक्रिया स्थगित कर दी गई।

सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्त ने टेंडर खोलने की प्रक्रिया स्थगित करने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय को इसकी सूचना दे दी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के यहां इस मामले को लेकर बैठक बुलाई गई।

इसमें बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी के साथ विभाग के सभी राज्य मंत्रियों के साथ सचिव मुख्यमंत्री पार्थ सारथी सेन शर्मा, सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता आदि शामिल हुए।

विचार-विमर्श के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय को नए सिरे से प्रस्ताव भेजा गया। सूत्रों का कहना है कि विचार-विमर्श के बाद इसे वापस कर दिया गया है।

बेसिक शिक्षा विभाग एक बार फिर से फाइल को मुख्यमंत्री कार्यालय भेजने की तैयारी कर रहा जिससे छात्रों को किताब बांटने का रास्ता खुल सके।

         खबर साभार : अमरउजाला

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