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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

नए साल में भी धड़ल्ले से चलेंगे बगैर मान्यता वाले स्कूल : 2014 में पूरे करने थे मानक, ब्यौरा अब तक उपलब्ध नहीं-

नए साल में भी धड़ल्ले से चलेंगे बगैर मान्यता वाले स्कूल : 2014 में पूरे करने थे मानक, ब्यौरा अब तक उपलब्ध नहीं-

-नए साल में भी धड़ल्ले से चलेंगे बगैर मान्यता वाले स्कूल

-2014 में पूरे करने थे मानक, ब्यौरा अब तक उपलब्ध नहीं 

-सूची बनी, ना ही वेबसाइट पर पडे़ नाम

 "शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार करीब पांच फीसदी परिषदीय और कम से कम 25 फीसदी निजी स्कूल मानकों पर खरे नहीं हैं।"

* स्कूल में खेल का मैदान
* प्रत्येक 30 बच्चों पर एक शिक्षक
* सभी शिक्षक हों प्रशिक्षित
* निजी स्कूलों की 25 सीटों पर गरीब बच्चों को मिले मुफ्त दाखिला
* बगैर मान्यता के कोई स्कूल नहीं होना चाहिए

लखनऊ। नए साल में भी बगैर मान्यता व मानकविहीन स्कूल संचालित होंगे। मानकविहीन स्कूल चिह्ति कर उनके नाम वेबसाइट पर अपलोड किए जाने थे लेकिन स्कूलों की सूची तो दूूर उनका चिह्ीकरण भी नहीं हुआ है। जुलाई में शैक्षिक सत्र शुरू होने से पहले ही सभी खंड शिक्षा अधिकारियों से उनके क्षेत्र में चलने वाले मान्यता और मानकविहीन स्कूलों का ब्यौरा मांगा गया था। सत्र शुरू होने के छह माह बाद भी स्थिति जहां की तहां है।
 
2011 में आरटीई लागू होने के बाद अधिनियम के मानकों के अनुसार स्कूलों को मान्यता दी जानी थी। नए नियमों के तहत मानक पूरे करने के लिए तीन साल का समय दिया गया था। यह अवधि जुलाई-2014 में पूरी हो गई, इसके बावजूद शिक्षा अधिकारियों को मानकविहीन स्कूलों का ब्यौरा जुटाने की सुध अंतिम तिथि से महज छह महीने पहले आई लेकिन अब तक एक भी मानकविहीन स्कूलों का ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराया। ऐसे में नए साल में भी बगैर मान्यता और मानकविहीन स्कूल धड़ल्ले से चलेंगे।
 
सूची बनी, ना ही वेबसाइट पर पडे़ नाम
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी है कि मानक न पूरा करने वाले सभी स्कूलों की सूची तैयार कराए। अधिनियम लागू होने से तीन साल पहले इन स्कूलों के नाम वेबसाइट पर डाले। स्कूल प्रबंधक अपने स्कूल का नाम देखकर सूची जारी होने के बाद मानक पूरे करेंगे। सूची जारी होने के दो साल के अंदर किसी भी समय वो मानक पूरा करने संबंधी जानकारी देकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को अपने यहां निरीक्षण के लिए बुला सकता है। इस प्रावधान पर जिम्मेदारों ने पूरी तरह से आंखें मूंदी रखीं। आरटीई लागू होेने के तीन साल होने के बाद जिले में न तो मानकविहीन स्कूलों की सूची बनी ओर ना ही वेबसाइट पर इनकी सूची जारी हुई। 
 
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार करीब पांच फीसदी परिषदीय और कम से कम 25 फीसदी निजी स्कूल मानकों पर खरे नहीं हैं।
• स्कूल में खेल का मैदान
• प्रत्येक 30 बच्चों पर एक शिक्षक
• सभी शिक्षक हों प्रशिक्षित
• निजी स्कूलों की 25 सीटों पर गरीब बच्चों को मिले मुफ्त दाखिला
• बगैर मान्यता के कोई स्कूल नहीं होना चाहिए
 
 
पूरे करने होते हैं ये प्रमुख मानक : सरकारी स्कूलों के पास नहीं खुद के भवन
आरटीई के मानकों की धज्जियां उड़ाने में केवल निजी स्कूल ही शामिल नहीं हैं। मानक पर खरे न उतरने वाली सूची में सरकारी स्कूल भी हैं। आरटीई के प्रावधान के अनुसार हर स्कूल का खुद का भवन होना चाहिए। इसके बावजूद काफी सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनके पास खुद के भवन तक नहीं हैं। शिक्षक-छात्र अनुपात और प्रशिक्षिक शिक्षक जैसे मानक निजी स्कूलों की तरह इनके लिए भी दूर की कौड़ी है। ऐसे में जब स्कूलों पर ताले पड़ने की नौबत आएगी, तो पहला नंबर इन्हीं का लगेगा।
 
जिले के सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची वेबसाइट पर प्रदर्शित कर दी गई है। खंड शिक्षा अधिकरियों को बगैर मानक और मानकविहीन स्कूलों की सूची देने के लिए दोबारा नोटिस दिया जाएगा। जल्द से जल्द सूची लेकर आगे की कार्यवाही की जाएगी |
-प्रवीण मणि त्रिपाठी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकार, लखनऊ

          खबर साभार : अमरउजाला

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