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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

शिक्षक भर्ती के मामले में एनसीटीई की अधिसूचना को चुनौती : परास्नातक में 50 प्रतिशत पाने वालों को शामिल नहीं करने का मामला

शिक्षक भर्ती के मामले में एनसीटीई की अधिसूचना को चुनौती : परास्नातक में 50 प्रतिशत पाने वालों को शामिल नहीं करने का मामला

इलाहाबाद (ब्यूरो)। सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले में एनसीटीई द्वारा निर्धारित अर्हता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। एनसीटीई द्वारा इस मामले में जारी 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना एवं संशोधन 29 जुलाई 2011 के क्लाज 3(1)(ए) को अवैध बताते हुए रद करने तथा याचीगण को सहायक अध्यापक भर्ती की काउंसलिंग में शामिल करने की मांग हाईकोर्ट से की गई है। याचिका नीरज कुमार राय सहित 30 अन्य लोगों ने दाखिल की है। इस पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खंडपीठ ने याचिका में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। पक्षकारों से हलफनामा दाखिल कर जवाब देने के लिए कहा है। याचिका पर 17 अक्तूबर को सुनवाई होगी।

याचीगण का कहना था कि उनके पास बीएड की डिग्री है और टीईटी भी उत्तीर्ण हैं। मगर प्रदेश सरकार ने 12 सितंबर 2014 को आदेश जारी कर ऐसे सभी अभ्यर्थियों को काउंसलिंग में शामिल होने से रोक दिया है जिनका स्नातक में पचास प्रतिशत से कम अंक है। सरकार ने एनसीटीई द्वारा जारी 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना को आधार बनाया है जिसके मुताबिक बीएड में दाखिले केलिए स्नातक में 50 प्रतिशत अंक होना चाहिए। जबकि एनसीटीई रेग्युलेशन 2007 और 2008 में बीएड करने के लिए स्नातक अथवा परास्नातक किसी एक में 50 प्रतिशत अंक होना चाहिए होना चाहिए।

एनसीटीई ने 23 अगस्त की अधिसूचना में परास्नातक को शामिल नहीं किया है। एनसीटीई के अधिवक्ता रिजवान अली अख्तर का कहना था कि इस मामले में केंद्र सरकार आवश्यक पक्षकार है क्योंकि एनसीटीई को एक विशेषज्ञ के रूप शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 23 के तहत मानक तय करने के लिए कहा गया था। उसने मानक तय कर दिए हैं अब आगे का कार्य केंद्र सरकार की अनुमति से ही हो सकता है।

हाईकोर्ट ने 72825 शिक्षकों की भर्ती मामले में राज्य सरकार से किया जवाब-तलब-

इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने प्राथमिक स्कूलों में 72825 शिक्षकों की भर्ती मामले में राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है। कोर्ट में दाखिल याचिका में एनसीटीई की 2010 एवं 2011 की अधिसूचना की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। मामले की अगली सुनवाई सात अक्टूबर को होगी। न्यायालय ने इसमें केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने को कहा है।  

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश व न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खंडपीठ ने नीरज कुमार राय व अन्य की याचिका पर दिया है। उल्लेखनीय है कि प्राथमिक स्कूलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में राज्य सरकार ने परास्नातक अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग से रोक दिया था। 

दरअसल एनसीटीई ने 2007 में अधिसूचना जारी की थी कि परास्नातक या फिर स्नातक में पचास फीसदी अंक पाने वाले ही बीएड करने के अर्ह होंगे। बाद में 2010 एवं 2011 में संशोधित अधिसूचना में कहा गया है कि स्नातक में ही पचास फीसदी अंक पाने वाले ही बीएड करने के अर्ह होंगे। ऐसे हालात में नीरज कुमार ने याचिका में एनसीटीई की ओर से जारी 23 अगस्त 2010 व संशोधित 29 जुलाई 2011 की अधिसूचना के क्लाज 3(1)(3) की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। जिसके तहत बीएड में पचास प्रतिशत से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग में रोके जाने का प्रावधान है

खबर साभार : अमरउजाला व दैनिकजागरण

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