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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

शिक्षा मित्रों का सपना हुआ पूरा : बिना टीईटी बन सकेंगे सरकारी शिक्षक( पूरीखबर)


GOODNEWSशिक्षामित्र अब बिना टीईटी बन सकेंगेसरकारी टीचर -
१-यह गजट प्रकाशित होने की तिथि से प्रभावित होगी
२-नये नियम-16(क) का  बढ़ाया जाना जो प्रभावित होगा
३-शिक्षामित्रों को जूनियर बेसिक स्कूलों में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त किया जाना
४-न्यूनतम शैक्षिक अर्हता में शिथिलता प्रदान करते हुए आदेश
लखनऊ. :सूबे की सरकार ने शासनादेश
जारी किया है कि अब जल्द
ही शिक्षामित्रों को नियमित किया जाएगा। इससे पहले सरकार ने 1.70
शिक्षामित्रों को बिना टीईटी के सहायक
अध्यापक बनाने का फैसला किया था। शिक्षामित्रों के समायोजन में
टीईटी की पात्रता अनिवार्य
नहीं होगी।कैबिनेट में बेसिक
शिक्षा नियमावली 1981 के अंतर्गत
नियमावली बनाकर प्रस्ताव रखा गया था। इसे
मंजूरी भी दे दी गई है।
पिछले शुक्रवार को सीएम अखिलेश
की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक
हुई। इसमें मुख्यमंत्री ने
संविदा की तिथि से लगातार स्कूलों में संतोषजनक काम
कर रहे स्नातक योग्यताधारी शिक्षामित्रों के हित मेंफैसला लिया।
उन्होंने कहा कि बीटीसी,
विशिष्ट बीटीसी या पत्राचार
बीटीसी का दो वर्ष
प्रशिक्षण देकर बेसिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों बनाया जाएगा।
शिक्षामित्रों के समायोजन में शिक्षक
पात्रता परीक्षा (टीईटी)
की अनिवार्यता नहीं रह
जाएगी। यहनियुक्ति अधिसूचना जारी होने की तिथि सेप्रभावी मानी जाएगी।
बताते चलें कि प्रदेश में शिक्षकों के 4 लाख 86 हजार 182 पद खाली हैं। न्यायालय में याचिकाएं विचाराधीनहोने के चलते भर्ती प्रक्रिया बाधित थी।साथ ही गुरुवार को हाईकोर्ट ने प्रदेश के
सीनियर बेसिक स्कूलों में सहायक
अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया को दो मह
में पूरा करने का निर्देश दिए था। इस मामले में ब्रह्म देव यादवऔर अन्य की याचिका पर न्यायाधीशसुधीर अग्रवाल सुनवाई कर रहे थे।
इस समय 1.70 लाख शिक्षामित्र संविदा पर कार्यरत हैं।
आरटीआई लागू होने के बाद 2 जून 2010 से
शिक्षामित्रों की नई नियुक्ति बंद कर
दी गई थी। उन्हें बेसिक शिक्षा परिषद
सहायक अध्यापक के तौर पर नियुक्त करने की बातहुई थी। इसी साल 28
जनवरी को प्रदेश की कैबिनेट ने उनके
समायोजन का फैसला लिया था, लेकिन स्थिति साफ नहीं थी।

#कौनहैंशिक्षामित्र -

यूपी में करीब 2 लाख 32 हजारप्राइमरी स्कूल हैं।यहां शिक्षकों की कम संख्या देखते हुए सरकार नेसंविदा पर शिक्षकों को रखने की प्रक्रिया शुरुकी। इनको शिक्षामित्र नाम दिया गया। प्रदेश केप्राथमिक स्कूलों में इनके रखने की प्रक्रिया शुरू की गई।इनकी योग्यता 12वीं पास
रखी गई, साथ ही यह शर्त
भी रखा गया कि अभ्यर्थी उक्त प्राथमिक
विद्यालय परिक्षेत्र का रहना वाला हो।
वेतनमानशिक्षा मित्रों को शुरू में प्रतिमाह 3500 रुपए मानदेय दिया जाता था।
बाद में उनकी मांग पर इस बढ़ाकर 5000 रुपए करनेका प्रस्ताव किया गया है।

#क्योंअहमहैंशिक्षामित्र -

यूपी में कुल एक लाख 70 हजार शिक्षामित्र हैं।
इनमें करीब एक लाख शिक्षामित्रों को नियमित करनेकी प्रक्रिया सरकार द्वारा शुरू कर दी गई
है। इसको अमली जामा चुनाव बाद
ही यूपी सरकारद्वारा पहनाया जा सकता है। मुलायम की नजर इनएक लाख लोगों पर हैं, क्योंकि इनके साथ करीबतीन लाख लोग जुड़े हुए हैं, जो कि एक बड़ा वोट बैंक है।

साभार : भास्कर

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