MAN KI BAAT : प्राइमरी शिक्षकों को अलादीन का चिराग बनाना चाहती सरकार , मल्टी टास्क वर्कर्स न बनाएं, शिक्षक को शिक्षक ही रहने दें!
राहुल अग्निहोत्री, स्वराज इंडिया 
लखनऊ। आजकल के शिक्षक जिन्हें कभी आदर्श और मार्गदर्शक माना जाता था अब बेचारे एक नई भूमिका निभा रहे हैं। पार्ट-टाइम ब्योरोक्रेट और फुलटाइम बोझ ढोने वाले, शिक्षण तो जैसे अब उनका साइड जॉब बन गया है। अब उनका असली काम तो सरकारी योजनाओं का आंकड़ा संकलन करना और प्रशासनिक मसलों का निपटारा करना है। कॉरपोरेट जगत के काम का दबाव अब क्लासरूम की दीवारों को तोड़कर स्कूलों तक पहुंच गया है। किसी जमाने में कंपनियों के कर्मचारियों पर अधिक उत्पादन का दबाव होता था पर अब शिक्षा विभाग भी वही नीति अपनाने में जुटा है। शिक्षक जो कभी छात्रों के भविष्य निर्माण में व्यस्त रहते थे अब आंकड़ों की दौड़ में ही उलझे रहते हैं।