logo

Basic Siksha News.com
बेसिक शिक्षा न्यूज़ डॉट कॉम

एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

ONLINE CLASSES : ऑनलाइन पढ़ाई की चुनौतियों को पार कर बच्चों को शिक्षा दे रहे ये शिक्षक, अपना रहे अनूठे तरीके

ONLINE CLASSES : ऑनलाइन पढ़ाई की चुनौतियों को पार कर बच्चों को शिक्षा दे रहे ये शिक्षक, अपना रहे अनूठे तरीके

रोली खन्ना, अमर उजाला, लखनऊ कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई में कई तरह की चुनौतियां हैं। सरकारी स्कूल खासकर प्राथमिक व पूर्व प्राथमिक विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाना तो टेढ़ी खीर है। किसी के पास मोबाइल नहीं तो कहीं नेटवर्क की समस्या। इन चुनौतियों का सामना करते हुए प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक संसाधनों की कमी के बीच अपनी रचात्मकता, अपनी लगन के सहारे बच्चों को पढ़ाने में जुटे हैं। इतना ही नहीं वे तकनीक के लिहाज से खुद को लगातार अपडेट भी कर रहे हैं। कोई गूगल मीटिंग के जरिए क्लास करना सीखा रहा है तो किसी ने छोटी-छोटी फिल्मों के जरिए बच्चों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। इसी तरह कार्टून फिल्म खुद बनाकर बच्चों का सिलेबस तैयार करवाने का अनूठा प्रयोग भी सामने आया है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही शिक्षकों के बारे में।

पूरे घर के साथ मिलकर बना डाली फिल्म

अपर प्राइमरी स्कूल हसनापुर, माल के शिक्षक आशीष चंद्रा इन दिनों टीचर के साथ-साथ, स्क्रिप्ट राइटर, निर्माता-निर्देशक की भूमिका भी निभा रहे हैं। विभाग से आदेश हुआ ऑनलाइन पढ़ाने का। शुरुआत बच्चों के व्हाट्सएप ग्रुप से की। घर-घर जाकर पता किया कि किसके भाई, पिता के पास स्मार्ट फोन है। प्रवासी मजदूर इसमें मददगार बन गए, क्योंकि वे आए थे तो उनके पास स्मार्ट फोन था। कुछ बच्चे जोड़े गए।इसके बाद बच्चों में रुचि जगाना जरूरी था, इसके लिए उन्होंने एक छोटी सी फिल्म बनाई, जिसमें उनकी बेटी, भतीजे, भाई ने भूमिका निभाई। इस फिल्म ने जादू का काम किया और बच्चे दीक्षा एप डाउनलोड करने लगे। सफर यहीं से शुरू हुआ और धीरे-धीरे वीडियो, वीडियो कॉलिंग के जरिए पढ़ाई में तब्दील हुआ। जब बच्चों को पिता या भाई लौटते हैं, उसके बाद बच्चे वीडियो कॉल करते हैं। या फिर जब मोबाइल और नेटवर्क साथ दे जाए वहीं और उसी वक्त क्लास शुरू हो जाती है। चुनौतियां कहां नहीं है, लेकिन हम धीरे-धीरे उसे दूर करके आगे बढ़ रहे हैं।

विंडो बुक से पढ़ाई, गूगल मीटिंग से कहानियां

प्राथमिक विद्यालय स्कूटर्स इंडिया की शिक्षिका सुरभि शर्मा कहती हैं कि हमने भी शुरुआत व्हाट्सएप ग्रुप से की है। 45 बच्चों का ग्रुप बनाया। इस बीच हम टेलीविजन पर मौजूद सूचनाओं की जानकारी अपडेट करते रहे। धीरे-धीरे बच्चे जब इसके लिए तैयार हो गए तो हमने वीडियो, वीडियो कॉलिंग को भी जरिया बनाया।

हां, इस बीच विभिन्न दिवसों पर ऑनलाइन काम्प्टीशन का आयोजन भी किया, ई-सर्टिफिकेट दिए। इसका फायदा ये हुआ कि बच्चे पूरी तरह से तैयार हो गए। अब हम नियमित क्लासरूम की तरह पढ़ाई और एक्टिविटी भी करते हैं। जैसे गूगल मीट पर कहानियां सुनना सुनाना जैसे आयोजन भी हफ्ते में एक दिन करते हैं। इसके अलावा विंडो बुक तैयार की है, जिसे हर बच्चे तक पहुंचाने की कोशिश है।

डस्टर-चाक के साथ ट्राईपाड और लैपटॉप लेकर स्कूल जाने लगीं

सिकदरपुर अमोलिया गोसाईगंज इंग्लिश मीडियम स्कूल की बात ही निराली है। जिले का पहला मॉडल व इंग्लिश मीडियम स्कूल की हेड टीचर अजीता सिंह इन दिनों चाक-डस्टर के साथ-साथ ट्राईपाड और लैपटॉप लेकर भी स्कूल जाती हैं। उनके सामने बच्चे नहीं होते, लेकिन मोबाइल व लैपटॉप की स्क्रीन पर बच्चे होते हैं। व्हाट्सएप ग्रुप के साथ-साथ गूगल मीटिंग के जरिए ये बच्चो को कनेक्ट करती हैं। हालांकि सुबह का समय वो स्कूल में वीडियो बनाने में लगाती हैं, उसके बाद शाम को घर लौटकर वे बच्चों की ऑनलाइन क्लास लेती हैं। मजा तब आता है जब वीडियो ऑन होते ही घर के लोग पीछे से उचक-उचक कर झांकने लगते हैं, मानो कुछ अजूबा हो।

अपनाया वन टाइम डेटा यूज का मॉडल

पूर्व माध्यमिक विद्यालय मल्हौर में शिक्षिका वंदना गुप्ता बताती हैं कि शुरुआत में तो कोई माता-पिता तैयार ही नहीं थे। पहले कहा कि बच्चों को फोन नहीं देंगे, फोन से कैसे पढ़ाई होगी, फिर कहा कि हमें इस्तेमाल करना, डाउनलोड करना नहीं आता और तीसरी बार उनका कहना था कि इतना डेटा खर्च होगा, हम नहीं कर पाएंगे। उनके घर के पास-पड़ोस में रहने वाले थोड़े पढ़े-लिखे या फोन का इस्तेमाल करने वालों की मदद से उन्हें डाउनलोड करना और फोन का इस्तेमाल करना सिखाया। इसके बाद वीडियो बनाने शुरू किए और उन्हें बताया कि एक बार डाउनलोड कर लीजिए, हर बार डेटा खर्च नहीं होगा। वीडियो के जरिए पढ़ाने के लिए तंबोला, शब्द सीढ़ी जैसे गेम बनाए और उन्हें भेजकर पढ़ाना शुरू किया। अब बच्चे विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लेने लगे हैं।

Post a Comment

1 Comments

  1. अरे! एक दूसरे से मिलने चलें। वैसे मैं आपके ब्लॉग पसंद करता हूँ

    ReplyDelete