ALLAHABAD HIGHCOURT : 69000 शिक्षक भर्ती के उत्तर कुंजी मामले में आज होगी सुनवाई
उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के जवाब पर आपत्ति करने वालों की संख्या है काफी अधिक
इलाहाबाद हाई कोर्ट की मुख्य न्यायपीठ से लेकर लखनऊ खंडपीठ तक कई याचिकाएं भी हो चुकी हैं दाखिल
प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों 69000 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के जवाब पर आपत्ति करने वालों की संख्या काफी अधिक है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की मुख्य न्यायपीठ से लेकर लखनऊ खंडपीठ तक कई याचिकाएं भी दाखिल हो चुकी हैं। कुछ की सुनवाई की तारीख मुकर्रर हो गई है तो अन्य में सुनवाई होने की दरकार है। अहम यह है कि कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले सभी अभ्यर्थियों को शिक्षक बनने का अवसर मिलना मुश्किल है, फिर भी याचियों की तादाद कम होने का नाम नहीं ले रही।असल में, शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में पूछे गए 150 सवालों में से कुछ प्रश्नों के जवाब ऐसे हैं, जिनको लेकर शुरू से अभ्यर्थी सहमत नहीं है। अंतिम उत्तर कुंजी आने तक उन्होंने इंतजार किया, जब उन प्रश्नों के जवाब नहीं बदले तो आहत अभ्यर्थियों ने कोर्ट की शरण ली है। इसमें अधिकांश वे अभ्यर्थी हैं जो चंद अंकों से परीक्षा में अनुत्तीर्ण हुए हैं, उनका दावा है कि करीब आधा दर्जन प्रश्नों के जवाब बदलने पर वे परीक्षा उत्तीर्ण हो जाएंगे।शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के दावे पर यकीन कर भी लिया जाए तो वे भले ही लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाएंगे, लेकिन शिक्षक बनने की राह इस बार बेहद कठिन है। वजह, यह है कि पहले से ही तय पदों से दोगुने से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा में उत्तीर्ण हैं। यदि कुछ सैकड़ा नए अभ्यर्थी प्रश्नों के जवाब बदलने से परीक्षा उत्तीर्ण होंगे तो दावेदारों की संख्या तो बढ़ जरूर बढ़ जाएगी।शिक्षक पद पर चयन में उन्हीं याचियों को लाभ होगा, जो शिक्षामित्र हैं या फिर अनुसूचित जाति जनजाति के हैं। परीक्षा उत्तीर्ण होते ही शिक्षामित्र भारांक के दम पर आसानी से चयनित हो जाएंगे तो एसटी के तय पदों के सापेक्ष अभ्यर्थी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं है। इसके अलावा अन्य सामान्य, ओबीसी व एससी वर्ग के अभ्यर्थियों को विशेष राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। इसीलिए आम अभ्यर्थी प्रश्नों के जवाब की याचिका को लेकर उस तरह से गंभीर नहीं है, जैसे 68500 भर्ती में उत्साह दिखा था। इसके उलट आम अभ्यर्थियों में यह डर जरूर है कि कहीं कोर्ट प्रश्नों के जवाब की सुनवाई में चयन प्रक्रिया प्रभावित न कर दें।
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