TEACHER : गलती करेंगे प्रधानजी तो भुगतेंगे हेडमास्टर, पहली बार बेसिक विद्यालयों के मास्टरजी की तैयार होनी है वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट
एक आपत्ति उम्रदराज हेड मास्टरों की तरफ से भी जताई जा रही है। उनका कहना है कि दीक्षा पोर्टल के उपयोग को अनिवार्य बनाया जा रहा है जबकि बहुत से उम्रदराज शिक्षक ऐसे हैं, जिन्हें स्मार्टफोन ऑपरेट करना ही नहीं आता है। किताबों में हर पाठ पर क्यूआर कोड दिया है, जिसे स्कैन करके ही दीक्षा पोर्टल का इस्तेमाल किया जाना है। इसके अलावा तमाम इलाकों में नेटवर्क भी नहीं आता है। ऐसे में इस तरह के पोर्टल के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाना भी उचित नहीं है। शिक्षकों का कहना है कि नई उम्र के शिक्षकों के लिए तो यह ठीक है, जबकि उम्रदराज शिक्षकों के लिए यह उचित नहीं है। इसके अलावा अब तक सभी शिक्षकों की ट्रेनिंग तक इसके लिए नहीं हुई है। फिर अनिवार्यता की श्रेणी में इसे रखना कहां तक जायज है/
• लखनऊ : पहली बार बेसिक विद्यालयों के मास्टरजी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट तैयार होनी है। विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। लेकिन यह आदेश भी हेडमास्टरों के लिए 'मुसीबत' बन गया है। इसकी वजह यह है कि ग्राम पंचायतें अगर स्कूलों के 'कायाकल्प' में असफल होती हैं तो इसका असर हेडमास्टर साहब की परफॉर्मेंस पर पड़ेगा। अब हेड मास्टर परेशान हैं कि अगर ग्राम प्रधान काम न करें तो इससे उनका मूल्यांकन क्यों प्रभावित हो/
अब तक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापकों और सहायक अध्यापकों की वार्षिक गोपनीय आख्या लिखे जाने की कोई सुदृढ़ व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में इस साल बेसिक शिक्षा विभाग ने योजनाओं के परफॉर्मेंस के आधार पर मूल्यांकन करने और उसी के आधार पर वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं। पहले अध्यापक और प्रधान अध्यापक योजनाओं में परफॉर्मेंस के आधार पर अपना मूल्यांकन करेंगे और उसके बाद उसपर अधिकारी समीक्षा करके अपनी टिप्पणी लिखेंगे। जो योजनाएं शिक्षा विभाग की हैं और उसमें सीधे जिम्मेदारी अध्यापकों और प्रधान अध्यापकों की बनती है, उनके आधार पर मूल्यांकन से तो शिक्षकों को दिक्कत नहीं है, लेकिन सबसे ज्यादा समस्या कायाकल्प योजना के तहत है। योजना ग्राम पंचायतों को संचालित करनी है। काम ग्राम प्रधानों को करवाना है। पैसा प्रधान और सचिवों के खाते में आना है, ऐसे में काम में लापरवाही पर शिक्षक जिम्मेदार कैसे होंगे
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