| | 'दीक्षा' के विडियो से सीखेंगे शिक्षक
'प्रेरित करने के लिए टॉपर्स को दी डिक्शनरी'
'बाउंड्री वॉल और पोषण वाटिका पर दिया जोर'
'को-ऑर्डिनेशन को करना होगा मजबूत'
बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए हमने दीक्षा पोर्टल पर 5000 विडियो अपलोड किए हैं। इससे शिक्षक शिक्षण साम्रगी डाउनलोड कर समझ सकते हैं। इसके अलावा हम डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों को जल्द ही टैबलेट भी मुहैया करा देंगे। दो साल से चल रहे मिशन कायाकल्प के जरिए हमने स्कूलों में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारा है। अभिभावकों के साथ संवाद के लिए हर बुधवार हम उनके साथ मीटिंग कर रहे हैं।
बदायूं सीडीओ निशा अनंत ने बताया कि हमने आजीविका मिशन के तहत जिले में 4 लाख 50 हजार यूनिफॉर्म बनवाईं। इनमें से ज्यादातर वे महिलाएं थीं, जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते थे। एक तो हमने उनको जीविका में सहयोग किया, साथ ही उनका जुड़ाव स्कूलों से हुआ। अब उनके अभिभावक हर हफ्ते अपने बच्चों को देखने स्कूल आते हैं। ऐसे स्कूलों के छात्रों को प्रेरित करने के लिए हम टॉपर्स को डिक्शनरी और दूसरी चीजें दे रहे हैं।
फिरोजाबाद की सीडीओ नेहा जैन के मुताबिक बेसिक स्कूलों में ऑपरेशन कायाकल्प के तहत क्वॉलिटी एजुकेशन पर काम कर रहे हैं। साथ ही एजुकेशन के बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी बजट खर्च किया जा रहा है। ग्रेडेड लर्निंग प्रोग्राम के आधार पर हमने नवंबर 8 को एक ऑनलाइन परीक्षा करवाई है, जिससे हमें पता चल सके कि हमारे बच्चों की स्थिति क्या है। इसके बाद 8 फरवरी को दोबारा यह एग्जाम करवाया जाएगा, जिससे इंप्रूवमेंट के बारे में जान सकें। इटावा के सीडीओ राजा गणपति ने बताया कि उनके यहां मौजूदा समय में ट्रैफिक मॉडल सिग्नल सिस्टम पर काम कर रहे हैं। इसमें हरी, लाल और पीली लाइटों के आधार पर बच्चों की उपस्थिति को दर्ज किया जाता है। जिन स्कूलों में 60 से ऊपर अटेंडेंस है, उन्हें ग्रीन लाइट, 40 से 60 फीसदी अटेंडेंस वालों को पीली लाइट और 40 से कम वालों को लाल लाइट दी जाती है। इसी आधार पर पुरस्कार भी दिए जाते हैं।
हरदोई की सीडीओ निधि गुप्ता वत्स ने बताया कि उनके जिले के सरकारी स्कूलों में तीन मुख्य काम किए गए। तीन ब्लॉक में एचसीएल फाउंडेशन काम कर रहा है लेकिन दूसरे ब्लॉकों के स्कूलों में सरकार पहल कर रही है। पहले स्कूलों में बाउंड्री वॉल बनाई गई हैं। इसके बाद न्यूट्रिशन के लिए पोषण वाटिका और बेंच मुहैया करवाई गईं। इसके अलावा बच्चे जहां खाना खाते हैं, वहां एमडीएम शेड डाली गई है, ताकि वे गंदगी में खाना न खाएं। गोंडा के मुख्य विकास अधिकारी आशीष कुमार ने बताया कि सरकारी स्कूलों में सुधार न होने की सबसे बड़ी वजह इंटर डिपार्टमेंट को-ऑर्डिनेशन का न होना है। कभी बजट है तो ओनरशिप नहीं, ओनरशिप है तो बजट नहीं। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए विभागों में आपसी तालमेल होना जरूरी है। हम स्कूलों के बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाने का काम कर रहे हैं। शौचालयों का निर्माण, जर्जर भवनों की मरम्मत के साथ हैंड वॉश प्लेटफॉर्म तैयार किए हैं। 'ट्रैफिक सिग्नल मॉडल से दर्ज की हाजिरी'
'ऑपरेशन कायाकल्प से बदले हालात' मुख्य विकास अधिकारियों ने बताई सुधार की कहानी 'स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर पर दिया जोर तो बढ़ी बच्चों की संख्या'
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