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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

SHIKSHAMITRA : शिक्षामित्रों के धड़ों के अलग-अलग हैं सुर, गैर समायोजित और टीईटी पास शिक्षामित्र सोशल साइटों के माध्यम से एकजुट हो रहे हैं और अपने लिए अलग नेता तलाश रहे

SHIKSHAMITRA : शिक्षामित्रों के धड़ों के अलग-अलग हैं सुर, गैर समायोजित और टीईटी पास शिक्षामित्र सोशल साइटों के माध्यम से एकजुट हो रहे हैं और अपने लिए अलग नेता तलाश रहे

राज्य मुख्यालय शिखा श्रीवास्तव : भले ही शिक्षा मित्र अपने समायोजन के लिए एकजुट होकर आंदोलन कर रहे हों लेकिन अंदर ही अंदर उनमें कई धड़े बन रहे हैं। पहला धड़ा उन शिक्षा मित्रों का हैं जो टीईटी पास हैं, दूसरा असमायोजित शिक्षामित्रों का है और तीसरा धड़ा समायोजित शिक्षामित्रों का है। बात तीसरे धड़े की हो तो ये सबसे ज्यादा संख्या में हैं लेकिन इन्हें टीईटी देना पड़ेगा। विभाग की बैठकों में इनके नेता खुद स्वीकार कर चुके हैं कि ये टीईटी पास नहीं कर पाएंगे क्योंकि पढ़ाई से नाता टूट चुका है।

वहीं बैठक में ही एक शिक्षामित्र ने अपने नेताओं पर आरोप लगा दिया कि राज्य सरकार कोई ऐसा हल तलाशे कि इनकी चंदा उगाही बंद हो जाए। ऐसे में इस धड़े से भी शिक्षा मित्रों के टूटने की आशंका प्रबल है। समायोजित शिक्षामित्रों की संख्या 1.37 लाख है जिनमें से टीईटी पास लगभग 22 हजार शिक्षामित्र हैं। वहीं गैर समायोजित शिक्षामित्रों की संख्या भी लगभग 26 हजार है।

गैर समायोजित और टीईटी पास शिक्षामित्र सोशल साइटों के माध्यम से एकजुट हो रहे हैं और अपने लिए अलग नेता तलाश रहे हैं। मिर्जापुर में कार्यरत टीईटी पास समायोजित शिक्षामित्र अनिल कुमार कहते हैं कि हम एक ऐसी प्रक्रिया से समायोजित हो गए जो अब अवैध करार दी गई जबकि हम टीईटी पास थे। हम अपने नेताओं के कहने में रहे। अब हम सरकार को अपनी बात पहुंचाएंगे कि पहले हमें समायोजित किया जाए।

वहीं हम सरकार से आम शिक्षा मित्रों से मत संग्रह कराने की मांग भी करेंगे। गैर समायोजित शिक्षा मित्रों को अभी तक 3500 रुपये मानदेय ही मिला है जबकि यह बढ़कर 10 हजार रुपये हो चुका है। इनमें भी कई टीईटी पास कर चुके हैं। उनके धड़े का कहना है कि वे शासन को पत्र सौंपने की तैयारी कर रहे हैं कि वे टीईटी होने तक 10 हजार में काम करने को तैयार हैं।

शिक्षामित्रों की मांग के सामने हैं अड़चनें

’ मांग- ऐसी टीईटी का आयोजन हो जिसमें शिक्षामित्रों के अलावा और कोई अभ्यर्थी न बैठे। वहीं भर्ती भी इसी तर्ज पर की जाए। ’

अड़चन- ऐसा संभव नहीं है क्योंकि इससे समान अवसर देने का नियम बाधित होता है।’

मांग- समान कार्य, समान वेतन यानी शिक्षामित्र के तौर पर भी शिक्षकों का वेतन मिले, वहीं 11 की जगह 12 माह का मानदेय मिले।’

अड़चन- समायोजित शिक्षामित्रों को 10 हजार रुपये मानदेय का प्रस्ताव दिया गया है। इसे थोड़ा बढ़ाया जा सकता है लेकिन वेतन की धनराशि यानी लगभग 39 हजार रुपये देने और लगातार 12 महीने मानदेय देने में कानूनी अड़चने हैं। ’

मांग-अध्यादेश लाकर शिक्षामित्रों को बिना टीईटी समायोजित किया जाए।’

अड़चन-केन्द्र सरकार ने आरटीई एक्ट 2009 में शिक्षकों की योग्यता निर्धारित की है। केन्द्रीय एक्ट के खिलाफ राज्य सरकार कोई कानून नहीं बना सकती।

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