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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

न ड्रेस, न कापी- किताब, खाली बस्ता लेकर स्कूल जा रहे बच्चे : सूत्रों का कहना है कि शासन स्तर पर अभी तक कापी-किताब के लिए टेंडर ही नहीं किया गया

न ड्रेस, न कापी- किताब, खाली बस्ता लेकर स्कूल जा रहे बच्चे : सूत्रों का कहना है कि शासन स्तर पर अभी तक कापी-किताब के लिए टेंडर ही नहीं किया गया
   
गोरखपुर । सरकारी प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार मिड डे मील और  दूध  से लेकर फल बंटवाने तक के जतन कर रही है लेकिन जमीन पर इन कवायदों का असर क्यों नहीं हो रहा इसकी एक वजह गोरखपुर में देखी जा सकती है जहां सत्र शुरू होने के तीन महीने गुजर जाने के बाद भी बच्चों को ड्रेस-कापी-किताब तक नहीं मिली है।

जिले के करीब ढाई लाख बच्चे खाली बस्ता लेकर स्कूल जाते और मिड डे मील खाकर लौट आते हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई का कोई इंतजाम नहीं है। बच्चों के पास न ड्रेस है, न कापी-किताब। सरकार ने अब स्कूल बैग देने का भी ऐलान किया है लेकिन वह कब मिलेगा इसका जवाब  जिम्मेदारों के पास नहीं है।
सरकार और अफसरों की इस बेपरवाही से प्राथमिक शिक्षक संघ भी नाराज है। उसके जिलाध्यक्ष भक्तराज त्रिपाठी ने कहा कि सरकार ने जुलाई के बजाए अप्रैल में सत्र शुरू कर दिया लेकिन बच्चों के लिए कापी-किताब की कोई व्यवस्था नहीं की। पुरानी किताबों को  निचली कक्षाओं के  बच्चों को देने की बात कही गई थी लेकिन पुरानी किताबें ऐसी हालत में नहीं थी कि कोई और उनसे पढ़ सके इसलिए यह उपाय भी लागू नहीं हो सका।

सूत्रों का कहना है कि शासन स्तर पर अभी तक कापी-किताब के लिए टेंडर ही नहीं किया गया है। टेंडर निकलने के बाद किताबें छपने में भी एक महीने से अधिक वक्त लग जाता है। जाहिर है, बच्चों को अभी लम्बा इंतजार करना पड़ सकता है। बीएसए ओमप्रकाश यादव का कहना है कि उन्हें भी इस बारे में शासन के निर्देश का इंतजार है।

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  1. 📌 न ड्रेस, न कापी- किताब, खाली बस्ता लेकर स्कूल जा रहे बच्चे : सूत्रों का कहना है कि शासन स्तर पर अभी तक कापी-किताब के लिए टेंडर ही नहीं किया गया
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