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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

जस्टिस माथुर ने सौंपी 7वें पे कमीशन रिपोर्ट, 23.55 फीसदी फीसदी बढ़ोतरी की सिफारिश

नई दिल्ली। सरकारी कर्मचारियों के लिए गुरुवार का दिन खुशखबरी लेकर आया है। सरकारी कर्मचारियों के इंतजार की घड़ी अब खत्म हो गई। जस्टिस एके माथुर ने वित्तमंत्री अरुण जेटली को सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट सौंप दी। इस रिपोर्ट में वर्तमान और पूर्व केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन और पेशन में साढ़े तेईस फीसदी इजाफे की सिफारिश की है।

900 पन्नों की सौंपी गई इस रिपोर्ट में सातवें वेतन आयोग के लिए बनाई गई जस्टिस एके माथुर कमेटी ने सरकारी कर्मचारियों के मूल वेतन को 16 फीसदी बढ़ाने की सिफारिश की है, जबकि भत्तों में 63 फीसदी इजाफा करने की सिफारिश गई। तो वहीं, सेवा निवृत कर्मचारियों के लिए पेंशन में 24 फीसदी बढाने की सिफारिश की गई है।

इसके साथ ही, सावते वेतन आयोग की तरफ से केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन 18,000 करने की सिफारिश की गई जबकि अधिकतम वेतन 2.25 लाख करने को कहा गया है।

फरवरी 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उस वक्त के प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सेवा निवृत्त न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर की अध्यक्षता में सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग का गठन किया गया था। इसके सदस्य थे- विवके राय, डॉक्टर राथिन रॉय और मीना अग्रवाल।

ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन बढ़ाने की सिफारिश लागू करने के बाद केंद्र सरकार पर 25 हजार से 38 हजार करोड़ का बोझ बढ़ेगा।

1946 में पहला वेतन आयोग

69 साल पहले साल 1946 में जो पहला वेतन आयोग था उसने 35 रुपए मूल वेतन तय किया था।
1959 में दूसरे वेतन आयोग ने इसे बढ़ाकर 80 रुपए कर दिया।
1973 में मूल वेतन 260 रुपए पहुंचा।
1986 में चौथा वेतन आयोग ने 950 रुपए किया गया।
आजादी के बाद सबसे बड़ी बढ़ोतरी पांचवें वेतन आयोग ने की और मूल वेतन 3050 रुपए तय किए गए।
जिसे छठे वेतन आयोग ने 2006 में बढ़ाकर 7,730 रुपए कर दिया था।

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