मीना की दुनिया एपिसोड 07 | Story - तन की शक्ति | Meena Ki Duniya Episode 07 | Story - Tan Ki Shakti
आकाशवाणी केंद्र- लखनऊ | समय-11:15am | दिनांक: 29/09/2015
मीना स्कूल से लौट रही है,मिठ्ठू के साथ| रास्ते में रवि को खड़ा देख, मीना उसे आवाज़ लगाती है |
मीना- रवि!......ज़रा अपनी भूगोल की कॉपी दिखाना तो| ..... ये क्या रवि? तुमने तो एक भी उत्तर नहीं लिखा | रवि- मीना, आज सुबह से मेरे हाथों में दर्द हो रहा है,इसीलिए मैं कुछ लिख नहीं पाया | मिठ्ठू चहका- ‘लिख नहीं पाया,कॉपी खाली छोड़ आया |’
मीना, रवि को नर्स बहिन जी के पास जाने की सलाह देती है|..रवि कहता है की अभी कंचे खेलना चाहता है लेकिन खेल नहीं सकता....यही हाथों के दर्द की वजह से |
मीना , रवि को लेके नर्स बहिन जी के घर की तरफ चली, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद......
मीना- रवि तुम उस तरफ क्यों जा रहे हो? नर्स बहिन जी का घर तो इस तरफ है |
रवि कहता है की उसे पहले पहलवान चाचा से मिलना है |
रवि और मीना पहलवान चाचा के घर पहुंचे| रवि पहलवान चाचा से कहता है- ‘.....आप मेरी बाजुओं और हाथों को भी तगड़ा कर दीजिये न |’
मिठ्ठू चिल्लाया-‘तगड़ा कर दीजिये,ताकत भर दीजिये |’
पहलवान चाचा के कारण पूँछने पर रवि कहता है-“.....ताकि मैं ज्यादा टोकरियाँ बुन सकूँ...मैं तो अपने पिताजी के साथ रोज़ टोकरियाँ बुनता हूँ |”
पहलवान चाचा- क्या! लेकिन तुम अभी तो बहुत छोटे हो |
रवि- मेरे पिताजी कहते हैं कि अगर मैं अभी से टोकरियाँ बुनने में उनकी मदद करुंगा तो मैं जल्दी ही ये काम अच्छे से सीख जाऊंगा |
मीना- रवि, अब मैं समझी की तुम्हारे हाथों में दर्द क्यों हो रहा था?
पहलवान चाचा रवि से कहते हैं कि मैं तुम्हें पहलवानी जरूर सिखाऊंगा लेकिन समय आने पर........जब तुम बड़े हो जाओगे तब| रवि बेटा....अभी तुम्हारी उम्र पढ़ने-लिखने की है नकि पहलवानी करने की |
रवि- पिताजी कहते हैं कि अगर मैं अभी से टोकरियाँ बुनना सीख जाऊँगा...तो आगे जाके इस काम मैं में पूरी तरह से निपुण हो जाऊँगा| और तब मेरा भविष्य भी सुरक्षित होगा |
पहलवान चाचा सोच में पड़ जाते हैं और रवि को लेके ‘भोला’ यानी रवि के पिताजी के पास पहुंचे जो उस वक्त एक टेम्पो में टोकरियाँ रखवा रहे थे |
पहलवान चाचा, भोला को समझाते हैं कि अभी रवि के लिए सबसे जरूरी चीज है इसकी पढाई-लिखाई.....भोला, किसी समझदार इंसान ने कहा है- “नजदीक का फायदा सोचने से पहले दूर के नुकसान का सोचना चाहिए |”
...अगर अभी वह तुम्हारे साथ काम में लग गया तो वह जीवन भर टोकरियाँ ही बनाता रहेगा क्योंकि इसे और कुछ करना आएगा ही नहीं|....पढ़ने- लिखने से इसका भविष्य सुधरेगा,हज़ार तरह के हुनर सीख सकेगा तुम्हारा रवि |
रवि के पिताजी टोकरियों को शहर भेज रहे हैं जहाँ रंगसाज इन टोकरियों पर रंग करेगा ताकि टोकरियों को और अधिक दामों पर बेच कर मुनाफा कमाया जा सके |
रवि अपने पिताजी से कहता है-‘ये काम तो यहाँ भी किया जा सकता है |......थोड़े दिन पहले स्कूल में बहिन जी ने एक पाठ पढाया था जिसमे हमें सिखाया गया था कि पौधों की मदद से कई रंग बनते हैं जिनका इस्तेमाल चीजों को रंगने के लिए किया जा सकता है |
भोला- पहलवान जी मुझे नहीं पता था की स्कूल में ये सब चीजें भी सिखाई जाती है |
पहलवान चाचा भोला से कहते हैं-स्कूल में जाके बच्चा हजारों चीजें जैसे जीवन कौशल और विभिन्न विषय सीखता है जो आगे जाके जीवन में बहुत काम आती हैं...पता नहीं क्या-क्या सीख जाएगा,अलग-अलग क्षेत्रों में अपना भविष्य बना सकेगा|..क्या तुम नहीं चाहते की तुम्हारा बेटा पढ़ लिखके एक बड़ा आदमी बने |
भोला को बात समझ आ जाती है |
धूम चिक-चिक धूम धूम चिक-चिक धूम-२
जिसमे शौक तुम्हारा,चुन लो तुम वो राहें
मिलेगी तुमको मंजिल,थाम लो स्कूल की बाहें |
तुम सभी को मौका देता पढ़ने-लिखने का
पढ़-लिख कर जीवन में जो चाहो वो बनने का |
स्कूल सभी को मौका देता पढ़ने-लिखने का
पढ़-लिख कर जीवन में जो चाहो वो बनने का |
इसीलिए......तो खूब पढो,खूब लिखो
जीवन में तुम आगे बढ़ो
दुनिया को कुछ बन के दिखाओ
थाम लो इस रस्ते को |
खूब पढो,खूब लिखो
जीवन में तुम आगे बड़ो-२
चला गया जो बचपन वापस नही है आता
इसे गवाने वाला तो बाद मैं है पछताता |
खेल-कूद मस्ती है बचपन, और है पढ़ना लिखना
बचपन में मजदूरी करना ना रे बाबा ना-ना |
खेल कूद मस्ती भरा.............................
पढ़-लिख कर जीवन में जो चाहो वो बनने का |-2
आज का खेल - 'अक्षरों की अन्त्याक्षरी'
शब्द- ‘सितार’
‘स’- सफेद( चेहरा सफेद पड़ना
‘त’- ताला(अक्ल पे ताला पड़ना
‘र’- रात (रात-दिन एक करना
0 Comments