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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

विद्यालय पर शिक्षामित्र का कब्जा : उच्च न्यायालय द्वारा सरकारी अधिकारियों को सरकारी विद्यालयों में अपने बच्चों को पढ़ाने की अनिवार्यता के पीछे जो भी मंशा रही हो लेकिन इस सच को नकारा नहीं जा सकता

विद्यालय पर शिक्षामित्र का कब्जा : उच्च न्यायालय द्वारा सरकारी अधिकारियों को सरकारी विद्यालयों में अपने बच्चों को पढ़ाने की अनिवार्यता के पीछे जो भी मंशा रही हो लेकिन इस सच को नकारा नहीं जा सकता


ऊंचाहार, संवाद सहयोगी : उच्च न्यायालय द्वारा सरकारी अधिकारियों को सरकारी विद्यालयों में अपने बच्चों को पढ़ाने की अनिवार्यता के पीछे जो भी मंशा रही हो लेकिन इस सच को नकारा नहीं जा सकता कि परिषदीय विद्यालयों की दशा बद से बदतर है। हालातों पर गौर किया जाए तो प्राथमिक विद्यालय गंगश्री को शिक्षामित्र ने अपना आवास बना लिया है। जिसमें न सिर्फ वह बल्कि आसपास के लोग भी रहते हैं। यह सब कई वर्षो से चल रहा है और शिक्षा विभाग के अधिकारी इससे दूर बने हुए हैं। स्कूल के कमरों में आवास होने से बच्चों को बाहर खुले में पढ़ना पड़ रहा है। इसके चलते इनकी संख्या में भी कमी आ रही है। स्कूल के प्रधानाध्यापक कुछ भी कर पाने में नाकाम हैं। उन्होंने शिक्षामित्र के आगे हथियार डाल रखे हैं।

प्राथमिक विद्यालय गंगश्री में 126 बच्चे पढ़ते हैं। विद्यालय के भवन के कमरों में विद्यालय का एक शिक्षामित्र व आसपास दुकान चलाने वाले लोग निवास कर रहे हैं। स्कूल के कमरों में रहने वाले लोगों का सामान भरा हुआ है विद्यालय भवन में चारपाई, बिस्तर, खाना बनाने का सामान, साइकिल बर्तन आदि रखा हुआ है। इन कमरों में सामान भरा होने के कारण हमेशा ताला बंद रहता है इस कारण बच्चों को बैठने के लिए स्कूल के बाहर खुले आसमान की छत ही मयस्सर होती है। विद्यालय में रखे हुए सामान व रहने वाले लोगो के बारे में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। आसपास के लोगों ने बताया कि विद्यालय में पढ़ाने वाला एक शिक्षामित्र व पास में दुकान चलाने वाले कुछ लोग विद्यालय भवन में स्थायी रूप से रह रहे हैं। विद्यालय भवन के प्रयोग में जिस प्रकार से लापरवाही की जा रही है उसे देखते हुये विद्यालय की प्रशासनिक व शैक्षिक स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। अव्यवस्था के कारण गुरुवार को इस विद्यालय में कुल 126 बच्चो में से केवल 20 बच्चे पढ़ने को आए।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

विद्यालय के प्रधानाध्यापक अखिलेश कुमार से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि यह व्यवस्था उनकी तैनाती के पहले से चल रही है। खंड शिक्षा अधिकारी अनिल त्रिपाठी का कहना है कि इस संबंध में जांच कराकर दोषी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

      खबर साभार : दैनिकजागरण

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